
ईरान के तेहरान से उड़ान भरने वाले एक विमान ने पाकिस्तान से लेकर भारत तक और फिर चीन में हाई अलर्ट करवा दिया. बम की अफवाह ने यात्रियों की जान को तो खतरे में डाला ही, इसके अलावा बड़े आतंकी हमले की ओर भी इशारा कर दिया. कहने को अफवाह थी, लेकिन क्योंकि कोई पुख्ता जानकारी नहीं रही, ऐसे में भारत में भी आपातकाल जैसी स्थिति बन गई. जैसे ही बम वाली सूचना मिली, दिल्ली का एयर ट्रैफिक कंट्रोलर सक्रिय हुआ, वायुसेना को एक्टिव किया गया और देखते ही देखते मिशन मोड पर एक ऑपरेशन शुरू किया गया. ऑपरेशन था उस विमान की सच्चाई जानने का, बम वाली अफवाह को डीकोड करने का और सबसे बड़ा सवाल- क्या ईरानी विमान को दिल्ली में लैंड करने की इजाजत दी जाए या नहीं?
अब क्योंकि इस पूरे मिशन को भारतीय वायुसेना लीड कर रही थी, ऐसे में देश की सुरक्षा सर्वोपरि रही और किसी भी कीमत पर उसे जोखिम में नहीं डाला जा सकता था. इसी वजह से फैसला हुआ कि ईरानी विमान को दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंडिंग की परमीशन नहीं दी जाएगी. पायलट जरूर कहता रहा कि उसे दिल्ली में लैंड करना पड़ेगा, लेकिन वायुसेना ने उस मांग को सिरे से खारिज कर दिया. दो विकल्प दिए गए- या तो विमान चंडीगढ़ में लैंड हो जाए या फिर जोधपुर में. अब ये विकल्प तो दिए गए, लेकिन सवाल ये रहा कि दिल्ली में लैंडिंग की इजाजत क्यों नहीं दी गई?
दरअसल इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता था कि ईरानी फ्लाइट में विस्फोटक का जखीरा मौजूद हो.दिल्ली को निशाना बनाने के लिए ईरानी फ्लाइट के सहाने आतंकी साजिश को अंजाम दे सकते थे. अगर ऐसा कुछ होता तो दिल्ली में विमान की लैंडिंग से एयरपोर्ट भी बंद करना पड़ सकता था, ऐसी सूरत में जांच एजेंसिया ऐसा जोखिम नहीं उठाना चाहती थी. इसके अलावा कई ऐसे सवाल थे जिनके जवाब एजेंसियों के पास नहीं थे.
सवाल नंबर 1- क्या ईरानी फ्लाइट को आतंकियों ने हाईजैक कर लिया था?
सवाल नंबर 2- क्या ईरानी फ्लाइट के अंदर बम प्लांट किया गया था?
सवाल नंबर 3- क्या फ्लाइट में भारी मात्रा में विस्फोटक की संभावना थी
अब शुरूआती तौर पर कुछ भी मुमकिन था, लिहाजा पाकिस्तान से शेयर की गई जानकारी को हल्के में नहीं लिया जा सकता था. इसी वजह से ATC दिल्ली को जैसे ही जानकारी मिली कि ऑन बोर्ड विमान में बम है और वो भारतीय एयर स्पेस में मौजूद है, तत्काल डिटेल एयरफोर्ट अथॉरिटी, दिल्ली पुलिस, वायुसेना और तमाम एजेंसियों के साथ साझा की गई.आनन फानन हर हालात से निपटने की रणनीति शुरू कर दी गई. इधर वायुसेना ने अपना ऑपरेशन शुरू कर दिया, तो दूसरी तरफ इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आपातकाल स्थिती से निपटने वाला अमला तैयार हो गया.
यहां ये समझना जरूरी हो जाता है कि भारतीय वायु सेना किसी भी खतरे से निपटने के लिए साल के 365 दिन, 24 घंटे मुस्तैद रहती है. यही वजह है कि खतरे से जुड़ी खबर मिलते ही ईरानी फ्लाइट की स्क्रैम्बलिंग शुरू हो गई, यानी-किसी इमरजेंसी में फौरन एक्शन में आना, इसे आपको सरल शब्दों में बताते हैं किसी देश की हवाई सीमा में किसी दूसरे देश का विमान घुसने या हवाई हमले की स्थिति में एयरफोर्स की जवाबी कार्रवाई.आपातकाल स्थिति को संभालने के लिए स्कैम्बलिंग की जाती है.
अब इतना सबकुछ इसलिए हो रहा था कि विमान में कथित बम की जानकारी थी. 30 मिनट तक स्थिति स्पष्ट नहीं थी कि आखिर इस आसमानी मुसीबत का क्या किया जाए. लेकिन फिर 35 मिनट बाद ईरान की तरफ से भारतीय वायु सेना को बम से जुडी अहम जानकारी शेयर की गई.
ईरानी एजेंसियों ने यात्री विमान में बम की खबर को नकार दिया, बड़ी बात ये थी कि विमान के अंदर ऐसा. कुछ नहीं था जो संदिग्घ हो, लिहाजा ईरानी एजेंसियों ने भारतीय वायुसेना से विमान को चीन की ओर उड़ान जारी करने के लिए कहा गया.भारतीय लड़ाकू विमान के द्वारा ईरानी विमान को अपने एयरस्पेस से बाहर छोड़ दिया गया, जहां से विमान म्यांमार होते हुए चीन के ग्वांगझू में लैंड हुआ.
आजतक ब्यूरो