
भारत के पूर्वात्तर में स्थित मणिपुर राज्य हिंसा की आग में झुलस रहा है. पश्चिम में असम, दक्षिण में मिजोरम और उत्तर में नगालैंड से घिरा मिजोरम भारत के लिए बेहद अहम है, क्योंकि पूर्व में इसकी सीमा म्यांमार से मिलती है. मणिपुर में हिंसा की शुरुआत 3 मई यानी आज से ठीक 81 दिन पहले हुई. तब से लेकर अब तक भारत का बॉर्डर स्टेट (मणिपुर) तनाव का शिकार हो रहा है. अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है तो वहीं कुछ ऐसी घटनाएं भी सामने आई हैं, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है.
हिंसा की इन घटनाओं के बीच आजतक ने मणिपुर की 'आयरन लेडी' के नाम से मशहूर इरोम शर्मिला से बात की. इरोम वही हैं, जिन्होंने अफस्पा (Armed Forces Special Powers Act, 1958) के खिलाफ 16 साल तक अनशन किया. मणिपुर में हिंसा को लेकर उनसे 6 अहम सवाल किए गए, जिनका जवाब देते हुए उन्होंने हिंसा के पीछे की वजह से लेकर यह भी बताया कि इसे कंट्रोल करने के लिए क्या किया जा सकता है. बता दें कि इरोम ब्रिटिश नागरिक डेसमंड कौटिन्हो (Desmond Coutinho) से शादी कर चुकी हैं. उनके दो बच्चे हैं और वह बेंगलुरु में रहती हैं.
1. मणिपुर की त्रासदी को किस तरह देखती हैं?
मैं खुद को अपराधी मानती हूं. मणिपुर हिंसा की जड़ें बेरोजगारी, नशाखोरी और बड़े पैमाने पर मादक पदार्थों की तस्करी से जुड़ी हुई है. राज्य सरकार तो कर्मचारियों को हर महीने नियमित तनख्वाह तक नहीं दे पा रही है. इतना ही नहीं राज्य में आतंकी कर्मचारियों से एक उनकी सैलरी का एक हिस्सा भी लेते हैं. मणिपुर के लोगों का मन आशांत हैं.
2. 78 दिन बीत चुके हैं. इस अशांति का क्या समाधान हो सकता है?
हिंसा की आग में झुलस रहे दोनों पक्ष नफरत से भरे हुए हैं. दोनों एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए शांतिवार्ता के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं. उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मणिपुर के विधायकों से मुलाकात कर समस्या का समाधान करेंगे. पीएम से निवेदन है कि वे तत्काल मामले पर हस्तक्षेप करें. पड़ोसी राज्यों को इस मामले में दखलअंदाजी तो नहीं करना चाहिए. लेकिन वह स्थिति सामान्य करने के लिए कोशिश कर सकते हैं.
3. आपको क्या लगता है कि राज्य में हिंसा के लिए कौन जिम्मेदार है?
राज्य में जारी तनाव के लिए लीडरशिप जिम्मेदार है. सरकार ने कभी भी लोगों से सलाह-मशविरा नहीं किया. जातीय पहचान के लिहाज से मणिपुर विविधता से भरपूर है. एकतरफा नेतृत्व में दूसरा समुदाय असहाय महसूस करता है.
4. हिंसा सिर्फ मैतेई-कुकी समस्या तक ही सीमित है या इसके आगे भी कुछ है?
असली समस्या मैतेई और कुकी के बीच नहीं है. बल्कि मुख्य परेशानी यह है कि वहां के लोग हिंसा के कुप्रबंधन की वजह से नाराज हैं. युवाओं की बात की जाए तो असली समस्या स्थानीय शराब है. नशे की हालत में आदमियोंका महिलाओं से घरेलू हिंसा करना भी बड़ी समस्या है.
5. मणिपुर के उबलने से किसे फायदा है?
फायदा तो किसी को नहीं होगा. वे (लोग) बस खुद को बर्बाद कर रहे हैं. इसका असर भारत की अखंडता पर पड़ सकता है. लेकिन केंद्र सरकार इसे जानबूझकर नजरअंदाज कर रही है. सही समय पर सही हस्तक्षेप की जरूरत है.
6. आपको मणिपुर की 'आयरन लेडी' के रूप में जाना जाता है, क्या आप आने वाले समय में मणिपुर जाएंगी?
भविष्य के बारे में तो मैं नहीं जानती, भगवान योजना बनाते हैं तो नहीं कह सकती. हालांकि, मणिपुर कभी नहीं लौटूंगी.
मणिपुर में कैसे हुई हिंसा की शुरुआत?
हिंसा की शुरुआत तब हुई, जब कुकी समुदाय ने पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' निकाला और मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग का विरोध किया. मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है. वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि कुकी और नागा आदिवासी की संख्या 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
(रिपोर्ट: अनघा)