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'क्या समय से पहले रिहाई मांगना मौलिक अधिकार है?', बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पहला सवाल किया कि पीड़ित अगर कोर्ट नहीं आएंगे तो कहां आएगा? दूसरा सवाल ये कि क्या समय से पहले रिहाई मांगना मौलिक अधिकार है? तीसरा सवाल ये कि क्या सुप्रीम कोर्ट के ऐसे फैसले हैं जिनमें पीड़ितों को अर्जी पर दोषियों की समय पूर्व रिहाई रद्द की गई?

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 9:29 PM IST

बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई के मामले में बुधवारको भी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पहला सवाल किया कि पीड़ित अगर कोर्ट नहीं आएंगे तो कहां आएगा? दूसरा सवाल ये कि क्या समय से पहले रिहाई मांगना मौलिक अधिकार है? तीसरा सवाल ये कि क्या सुप्रीम कोर्ट के ऐसे फैसले हैं जिनमें पीड़ितों को अर्जी पर दोषियों की समय पूर्व रिहाई रद्द की गई?

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जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने रिहा किए गए दोषियों से इन सवालों के जवाब देने के लिए अगली सुनवाई चार अक्टूबर को तय कर दी है. सुनवाई के दौरान दोषियों के वकील ने जब दोष सिद्धि के फैसले पर सवाल उठाए तो जस्टिस नागरत्ना ने आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आप सही गलत नहीं कह सकते. आप पीछे जाकर दोष सिद्धि के फैसले पर सवाल नहीं उठा सकते. सही और गलत जैसे शब्दों का प्रयोग न करें.

इसके बाद रिहा दोषियों के वकील ने कहा कि कोर्ट के फैसले के बाद मुझे सारी जिंदगी सलाखों के पीछे गुजारनी थी. लेकिन सही या गलत नियमों के तहत ही मुझे समय पूर्व रिहाई मिली. उस पर विवाद उठाना उचित नहीं है. क्योंकि ये सब मुझे नियमानुसार ही मिला. 

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कोर्ट ने कहा कि कौन कहेगा कि आपको रिहाई नियमानुसार ही मिली? दोषियों के पैरवीकार वकील ने कहा कि ये तो हाईकोर्ट ही तय करेगा. कोर्ट ने कहा लेकिन यहां हमारे पास तो पीड़ित खुद आई है. लिहाजा अब आप हमारे सवालों के जवाब अगली सुनवाई पर दें.

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