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शनिवार सुबह से शुरू हुई सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के ओएसडी नीटू यादव के घर और पार्टी के महासचिव के ठिकानों पर छापेमारी मंगलवार देर रात पूरी हो गई. 4 दिनों तक चली इस छापेमारी में आयकर विभाग ने लखनऊ, मैनपुरी, मऊ, कोलकाता, बेंगलुरु, दिल्ली, आगरा के 30 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की. इनकम टैक्स को इस छापेमारी में एक करोड़ 12 लाख रुपए नगद बरामद हुए हैं. वहीं तमाम फर्जी कंपनियों में फण्ड डायवर्जन और बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज भी आयकर विभाग को मिले हैं, जिनपर जांच जारी है.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजीव राय, पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के ओएसडी नीटू यादव, लखनऊ के व्यापारी राहुल भसीन, मैनपुरी के जिला पंचायत अध्यक्ष मनोज यादव के ठिकानों पर शनिवार सुबह 7:00 बजे से शुरू हुई. आयकर विभाग की छापेमारी मंगलवार देर रात पूरी हो गई. आयकर विभाग ने लखनऊ, मैनपुरी, मऊ, कोलकाता, बेंगलुरु समेत के कुल 30 जगह पर एक साथ छापेमारी शुरू की. इस छापेमारी के सभी ठिकानों से आयकर विभाग को कुल 1 करोड़ 12 लाख रुपए की नकदी बरामद हुई है.
आयकर विभाग की छापेमारी में कंस्ट्रक्शन कंपनी के खातों में करोड़ों रुपए के फर्जी खर्च सामने आए हैं. कंपनी के निवेशकों के पास 86 करोड़ से अधिक की अघोषित आय सामने आई है, जिसमें से 68 करोड़ की आय को कंपनी के मालिक ने स्वीकार भी किया है और टैक्स अदा करने को तैयार हुआ है. फर्म की अकाउंट बुक को खंगालने के बाद सामने आया है कि चंद सालों में कंपनी का टर्नओवर 150 करोड़ से ऊपर हो गया. चंद सालों में एक मामूली कंपनी का टर्नओवर 150 करोड़ कैसे हो गया, इसको लेकर भी आयकर विभाग की जांच जारी है.
बता दें कि मैनपुरी के जिला पंचायत अध्यक्ष मनोज यादव की आरसीएल कंपनी का भी कंस्ट्रक्शन का काम है और टर्नओवर डेढ़ सौ करोड़ से अधिक का ही बताया जाता है. वहीं एक अन्य छापेमारी में बोगस कंपनी में 12 करोड़ की रकम निवेश के भी सुबूत मिले हैं. वहीं 3.5 करोड़ की बेनामी संपत्ति के दस्तावेज छापेमारी में सामने आए हैं.
वहीं दूसरी तरफ सपा के राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता राजीव राय का बेंगलुरु स्थित मेडिकल कॉलेज संचालित करने वाली ट्रस्ट के ठिकानों पर की गई आयकर विभाग की छापेमारी में बेनामी खाते में 80 लाख ट्रांसफर करने की बात सामने आई है. ट्रस्ट के बाहर भेजी गई रकम में दुबई की मरकज नॉलेज सिटी ट्रस्ट में भी फंड ट्रांसफर के बात सामने आई है, जिसे इनकम टैक्स ने सीधे तौर पर फेमा नियमों का उल्लंघन माना है.
इतना ही नहीं जांच में सामने आया कि एडमिशन फीस के तौर पर 3 सालों में ₹10 करोड़ नगद लिया गया जिसमें से 4 करोड़ 80 लाख की रकम ट्रस्टी यानी राजीव राय ने अपने निजी प्रयोग में ली है. फिलहाल इनकम टैक्स की टीम को छापेमारी में मिले दस्तावेजों पर अभी भी जांच जारी है.