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डल्लेवाल के आमरण अनशन ने किसान आंदोलन 2.0 में फूंकी जान, सरकार, विपक्ष से लेकर SC भी चिंतित

300 दिनों से बॉर्डर पर बैठे किसान आंसू गैस, झुलसाने वाली गर्मी और कड़ाके की सर्दियां झेल चुके हैं, इस बीच जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन ने न केवल किसान आंदोलन को बढ़ावा दिया है, बल्कि किसानों से जुड़े मुद्दों को फिर से सुर्खियों में ला दिया है.

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल
असीम बस्सी
  • चंडीगढ़/नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:16 PM IST

70 साल के जगजीत सिंह डल्लेवाल किसान आंदोलन 2.0 का चेहरा बन गए हैं. सरकार से लेकर विपक्ष और यहां तक ​​कि सुप्रीम कोर्ट भी बीमार डल्लेवाल की खराब सेहत को लेकर चिंतित है. हजारों किसानों और सुरक्षा गार्डों से घिरे डल्लेवाल अब इस आंदोलन की जीवन रेखा हैं. उन्होंने न केवल एमएसपी सहित किसानों की मांगों को फिर से सुर्खियों में ला दिया है, बल्कि अब वह गांधीवादी तरीके से इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं- आमरण अनशन. पहले से ही प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित डल्लेवाल किसानों के हित के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं.

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26 नवंबर से आमरण अनशन पर बैठे किसान जगजीत सिंह डल्लेवाल ने न केवल किसान आंदोलन 2.0 को फिर से सक्रिय कर दिया है, बल्कि किसान आंदोलन को फिर से सुर्खियों में ला दिया है. 13 फरवरी, 2024 को एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा अपनी मांगों को लेकर 'दिल्ली मार्च' शुरू करने के लिए एक साथ आए थे.

300 दिनों से बॉर्डर पर बैठे किसान

हजारों किसान दिल्ली की ओर मार्च करने के लिए शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर इकट्ठा हुए, लेकिन हरियाणा पुलिस ने कड़ी बैरिकेडिंग की और आंसू गैस के गोले और पानी की बौछार करके किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोक दिया.

इसके बाद से ही शंभू और खनौरी दोनों बॉर्डर पर सैकड़ों किसान बैठे हुए हैं और केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने इस महीने दिल्ली जाने के लिए सीमा पार करने का प्रयास किया लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें अनुमति नहीं दी. पिछले दो हफ्ते में पुलिस कार्रवाई के कारण कई किसान घायल भी हुए हैं.

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सरकार और किसानों के बीच अब तक कोई बातचीत नहीं हुई है और किसान 300 दिनों से ज्यादा समय से बॉर्डर पर बैठे हैं जबकि हरियाणा पुलिस युद्ध जैसी बैरिकेडिंग करके डटी हुई है. इस बीच डल्लेवाल के अनशन ने आंदोलन को फिर से सक्रिय कर दिया है.

अनशन ने आंदोलन में फूंकी जान

300 दिनों से बॉर्डर पर बैठे किसान आंसू गैस, झुलसाने वाली गर्मी और कड़ाके की सर्दियां झेल चुके हैं, इस बीच जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन ने न केवल किसान आंदोलन को बढ़ावा दिया है, बल्कि किसानों से जुड़े मुद्दों को फिर से सुर्खियों में ला दिया है.

अपने सख्त रुख के लिए मशहूर 70 साल के डल्लेवाल 26 नवंबर से खनौरी बॉर्डर पर अनशन पर बैठे हैं. हालांकि, राज्य पुलिस ने पहले उन्हें उठाया था और अस्पताल में भर्ती कराया था लेकिन वह चार दिनों के बाद फिर से सीमा पर वापस आ गए.

डल्लेवाल के आंदोलन का मुद्दा न केवल संसद में घूम रहा है, बल्कि कई राजनेता और किसान संगठन भी जगजीत सिंह डल्लेवाल का हालचाल जानने के लिए खनौरी पहुंच रहे हैं. हालांकि, डल्लेवाल की सेहत नाजुक बनी हुई है, लेकिन प्रशासन और सरकार को किनारे रखते हुए वह अपने अनशन पर बैठे हुए हैं.

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'डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर सभी चिंतित'

जगजीत डल्लेवाल के साथ साए की तरह रहने वाले हरियाणा के सोनीपत के किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि जगजीत डल्लेवाल के इस अनशन ने पूरे देश में एक मजबूत संदेश दिया है. चाहे संसद हो, सुप्रीम कोर्ट हो या आम आदमी, हर कोई डल्लेवाल के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है और आंदोलन को लेकर मजबूत महसूस कर रहा है. वह किसानों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए लड़ रहे हैं और इसके लिए उन्होंने अपनी जान जोखिम में डाल दी है. 

उन्होंने कहा कि आज कृषि पर संसद की समिति भी मानती है कि एमएसपी गारंटी की मांग सही है लेकिन इस पर विचार करना अब सरकार पर निर्भर है. अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि आज जगजीत डल्लेवाल का जीवन खतरे में है और इस आंदोलन ने किसानों के मुद्दों को फिर से सुर्खियों में ला दिया है.

डल्लेवाल से मिलने पहुंच रहे नेता और किसान संगठन के सदस्य

जैसे-जैसे जगजीत डल्लेवाल का अनशन जोर पकड़ रहा है, राजनेता भी खनौरी बॉर्डर पहुंच रहे हैं. डल्लेवाल से मिलने के लिए कांग्रेस सांसद और कई राजनीतिक दलों के नेता पहुंचे हैं. आम आदमी पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख अमन अरोड़ा ने कहा, 'आज हमने पंजाब के राज्यपाल से अनुरोध किया है कि वह इस मामले को भारत के राष्ट्रपति के साथ उठाएं और सुनिश्चित करें कि किसानों और भारत सरकार के बीच बातचीत शुरू होनी चाहिए क्योंकि जगजीत डल्लेवाल का स्वास्थ्य बहुत महत्वपूर्ण है.'

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कांग्रेस विधायक परगट सिंह, जो डल्लेवाल से मिलने खनौरी बॉर्डर पर गए थे, ने कहा, 'किसानों की मांगें बहुत महत्वपूर्ण हैं और अब समय आ गया है कि सरकार इस पर तुरंत प्रतिक्रिया दे क्योंकि दिग्गज किसान नेता का स्वास्थ्य अत्यधिक महत्वपूर्ण है.' पिछले कुछ दिनों में हरियाणा के किसान संगठनों और खाप पंचायतों के कई सदस्यों ने डल्लेवाल का दौरा किया है तो राकेश टकैत भी उनसे मिलने गए थे.

'डल्लेवाल को कुछ भी हो सकता है'

किसान नेता लखविंदर औलख ने कहा जगजीत डल्लेवाल को अस्थाई तौर पर अस्पताल में शिफ्ट नहीं करेंगे. कोई अगर जबरदस्ती ले जाने का प्रयास करेगा तो उसे हमारी लाश से होकर गुजरना पड़ेगा. डॉ तनवीर कौर ने कहा कि हम हर 6 घंटे में जगजीत डल्लेवाल की मेडिकल जांच करते हैं. उनकी हालत स्थिर नहीं है और उन्हें क्रिटिकल केयर की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि डल्लेवाल का शरीर काफी कमजोर हो गया है. उनकी हालत काफी नाजुक है. उन्हें कभी भी कुछ ही सकता है. लेकिन वो कोई भी इलाज नहीं लेना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि कल जो सरकारी डॉक्टरों ने रिपोर्ट दी है वो पूरी तरह से गलत है.

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