
झारखंड में जैन धर्म का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है सम्मेद शिखर जी. क़रीब 15 दिन पहले सरकार ने इसे पयर्टन स्थल घोषित कर दिया. जैन समुदाय इसके खिलाफ था. पहले तो झारखंड समेत देश के कई हिस्सों में इसे लेकर छिटपुट आंदोलन हुए,लेकिन अब वो आंदोलन बड़ा बनता दिख रहा है. जैन समाज के लोगों का कहना है कि पयर्टन स्थल बनाने से सम्मेद शिखर जी को नुकसान होगा और उस जगह की पवित्रता को भी ख़तरा है. नए साल के पहले दिन दिल्ली मुंबई समेत कई जगह जैन समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किया. जैन संगठनों ने इसे लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन भी सौंपा. आंदोलन में शामिल डॉ धरणेन्द्र जैन ने आजतक रेडियो से बातचीत में सरकार से अपनी मांगों को बताया.
कल दिल्ली में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से भी प्रदर्शनकारियों ने मुलाकात की है. क्या है पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित 'श्री सम्मेद शिखरजी' का मामला और जैन समुदाय की मांग क्या है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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कुछ ही दिन पहले की बात है. नीतीश कुमार के मिशन 2024 की बातें चल रहीं थीं. कहा गया कि नीतीश कुमार 2024 में केन्द्रीय राजनीति में अपनी उम्मीदवारी देख रहे हैं. बिहार तेजस्वी के हाथ में होगा. नीतीश कुमार ने ताबड़तोड़ कई क्षेत्रीय नेताओं से मुलाकात भी की थी. उस समय भी ये सवाल था कि क्या नीतीश की ये कोशिशें जो विपक्ष को एकजुट करने के लिए है उसमें कांग्रेस भी शंमिल होगी? और अगर नीतीश प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी पर नजरें गड़ाए हैं, उस सूरत में तो विपक्ष ही दो फाड़ दिखेगा क्योंकि कांग्रेस नीतीश कुमार के चेहरे पर क्यों सहमत होगी. ये बीती बात हो गई , नया है नीतीश का एक बयान. जिसकी हलचल दिल्ली तक है. पटना में बोलते हुए उन्होंने कहा कि राहुल की पीएम पद की उम्मीदवारी से उन्हें दिक्कत नहीं. हम वैसे भी चुनावों के लिहाज से जल्द ही मीटिंग रखने वाले हैं, ताकि साथ ही मैदान में उतरा जाए. अब वजह क्या है इस बदले समीकरण और माहौल का और नीतीश कुमार के इस बयान को उनके अब तक के रुख से उलट देखा जाना चाहिए क्या और कांग्रेस के लिए ये बयान कितनी राहत की बात होगी? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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ईरान में एंटी हिजाब प्रोटेस्ट के बाद सरकार के पीछे हटने के बाद लग रहा था कि मामला शांत हो जाएगा. पर हुआ नहीं. देश भर में विरोध प्रदर्शनों का सिलिसिला सौ दिन के बाद भी जारी है. इस्लामिक क्रांति के बाद भड़का ये प्रदर्शन अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन और इसने सत्ता की चूल्हे हिला दी लेकिन जनता को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी है. ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट न्यूज एजेंसी के मुताबिक अब तक 500 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है, सरकार दो लोगों को फांसी की सजा सुना चुकी है और कई लोग इस खतरे का सामना कर रहे हैं. प्रोटेस्ट इस हद तक बढ़ चुके हैं कि अब वहाँ सुप्रीम लीडर अयतुला अली खुमैनी को मौत की सज़ा की मांग हो रही है.प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अब ये लड़ाई केवल हिजाब की नहीं है अब सारे लोकतांत्रिक अधिकारों की लड़ाई लड़ी जाएगी. सवाल ये है कि क्या ऐसा माना जाना चाहिए हिजाब से शुरू हुआ आंदोलन क्या अब एन्टी इस्लामिक स्टेट के विरोध तक पहुंच चुका है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.