
जयपुर से मुंबई जा रही ट्रेन में सोमवार को महाराष्ट्र के पालघर स्टेशन के RPF कॉन्स्टेबल ने फायरिंग कर दी. इस गोलीबारी में आरपीएफ के ASI और तीन यात्रियों की मौत हो गई. आरोपी कॉन्स्टेबल चेतन को गिरफ्तार कर लिया गया है. उससे पूछताछ जारी है. इसी बीच ट्रेन में चेतन के साथ तैनात एक और अन्य जवान ने दावा किया है कि चेतन ने पहले उसका गला दबाने की कोशिश की थी. इतना ही नहीं चेतन उससे ही अपनी राइफल छीन कर ले गया था. इसी से उसने फायरिंग की.
आरोपी चेतन के खिलाफ FIR में RPF कॉन्स्टेबल अमय घनश्याम आचार्य का बयान दर्ज किया गया है. इसमें अमय ने बताया कि हमेशा की तरह 30 जुलाई को मैं अपने साथियों के साथ सौराष्ट्र मेल ट्रेन से मुंबई सेंट्रल के लिए रवाना हुआ. मेरे पास 20 राउंड वाली एक एआरएम राइफल थी, चेतन के पास 20 राउंड वाली एआरएम राइफल और एएसआई टीकाराम मीना के पास 10 राउंड वाली एक पिस्तौल और हेड कॉन्स्टेबल नरेंद्र परमार के पास 10 राउंड वाली एक पिस्तौल थी.
घनश्याम आचार्य ने बताया, ''रात 02:53 बजे हमने जयपुर मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन पकड़कर मुंबई की यात्रा शुरू की. एएसआई टीकाराम मीना और चेतन सिंह की नियुक्ति ऐसी डिब्बे में थी. जबकि मैं और हेड कॉन्स्टेबल स्लीपर कोच में थे.''
चेतन ने खराब तबीयत का दिया था हवाला
घनश्याम आचार्य ने बताया, ''जब मैं टीकाराम को रिपोर्ट सौंपने उनके डिब्बे में गया, तो उन्होंने बताया कि चेतन की तबीयत खराब हो गई है. चेतन कह रहा था कि उसे वलसाड स्टेशन उतार दिया जाए. जबकि एएसआई टीकाराम मीना ने उसे समझाया कि दो-तीन घंटे की ड्यूटी बाकी है, ट्रेन में मुंबई तक आराम करे. लेकिन चेतन सिंह सुनने के मूड में नहीं थे. ऐसे में टीकाराम ने पहले इंस्पेक्टर और फिर कंट्रोल रूम में संपर्क किया. कंट्रोल रूम से कहा गया कि चेतन से कहा जाए कि वह ड्यूटी खत्म करके दवा या आराम के लिए मुंबई जाए.''
चेतन ने गुस्से में छुड़ाई राइफल
घनश्याम आचार्य ने बताया, ''इसके बाद भी चेतन मानने को तैयार नहीं था. इसके बाद टीकाराम ने कहा, मैं चेतन की राइफल ले लूं और चेतन आराम करे. इसके बाद चेतन एक खाली सीट पर सो गया. लेकिन वह 10-15 मिनट में ही जग गया. इसके बाद उसने राइफल मांगी, तो मैंने देने मना कर दिया. काफी बार मांगने के बाद चेतन ने मेरा गला दबा दिया. इसके बाद वह मेरी राइफल ले गया. हालांकि, बाद में मैंने उसे बताया कि यह मेरी राइफल है, तो उसने राइफल बदल ली.''
आचार्य के मुताबिक, ''राइफल कब्जे में लेने के बाद भी चेतन सिंह गुस्से में था. वहीं, एएसआई टीकाराम मीना उसे समझाने का प्रयास कर रहे थे. मैं चेतन को यह बात समझाने की कोशिश भी कर रहा था. लेकिन वो हम दोनों की एक भी बात नहीं सुन रहा था. इसलिए मैंने वहां से चले जाने का फैसला किया. इसके बाद चेतन राइफल से फायरिंग के मूड में दिख रहा था. तभी मैंने टीकाराम को बताया. वे चेतन के पास पहुंचे और उसे प्यार से शांत रहने के लिए समझाया.''
घनश्याम ने बताया, ''मैं पेंट्री कार में चला गया. लगभग 05.25 बजे कॉन्स्टेबल कुलदीप राठौड़ का फोन आया, उन्होंने बताया कि टीम के प्रभारी एएसआई टीकाराम मीना पर गोली चलाई गई है. इसके बाद मैंने तुरंत इसकी सूचना हवलदार नरेंद्र कुमार को दी.
चेतन ने ट्रेन में की फायरिंग
घनश्याम आचार्य ने बताया, ''उन्होंने बताया कि तभी सामने से दो-तीन यात्री दौड़ते हुए आए. वे डरे हुए लग रहे थे. उन्होंने मुझे यह भी बताया कि मेरे साथ मौजूद एएसआई टीकाराम मीना को मेरे साथी चेतन सिंह ने गोली मार दी थी. मैंने हवलदार नरेंद्र परमार को फोन पर घटना की सूचना दी और सुनिश्चित किया कि वह सुरक्षित हैं.
घनश्याम आचार्य ने बताया, मैंने देखा कि चेतन सिंह ने अपनी राइफल ट्रेन की ओर तान रखी थी. और वह बीच-बीच में फायरिंग भी कर रहा था. मैंने कुछ गोलीबारी की आवाजें सुनीं. मैं थोड़ी देर के लिए बाथरूम में छिप गया. इसके बाद चेतन ट्रेन से नीचे उतर गया. उसके हाथ में राइफल थी. करीब 15 मिनट बाद जब ट्रेन दोबारा चली तो मैंने देखा कि यात्रियों के शव खून से लथपथ पड़े हैं. लगभग 06.20 बजे ट्रेन बोरीवली स्टेशन पर रुकी और मैं उतर गया. वहां ट्रेन से टीकाराम मीना और अन्य को उतारा गया. लेकिन तब तक साफ हो गया था कि उनकी जान जा चुकी है.