
नई दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत उलेमा ए हिंद का अधिवेशन चल रहा है. अधिवेशन में जमीयत ने तुर्की और सीरिया में आए भूकंप को लेकर दुख जाहिर किया. इसके साथ ही जमीयत ने तुर्की में आई त्रासदी में लोगों की मदद के लिए एक करोड़ रुपए देने का प्रस्ताव पास किया है.
जमीयत चीफ महमूद मदनी ने तुर्की की मदद के लिए मोदी सरकार के प्रयासों को धन्यवाद दिया था. मदनी ने कहा था कि तुर्की की मदद करने के सरकार के प्रयास केवल प्रकाशिकी के लिए नहीं हैं, बल्कि संकट के इस समय में हमारी सरकार तुर्की की मदद के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. यह भारत की विदेश नीति का अच्छा हिस्सा है.
इतना ही नहीं, मदनी ने कहा कि फ़िलिस्तीन और इजराइल को लेकर भारत की विदेश नीति में बदलाव दीर्घावधि में भारत के लिए फायदेमंद नहीं है. यह अल्पकालिक लाभ ला सकता है, लेकिन लंबी अवधि में सही नहीं है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन में शामिल होने वाले मौलवियों ने इस्लामोफोबिया, समान नागरिक संहिता, पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप के खिलाफ, पिछड़े वर्ग के मुसलमानों के लिए आरक्षण, मदरसों के सर्वेक्षण, इस्लाम के खिलाफ गलत सूचना और कश्मीर मुद्दे पर प्रस्ताव पारित किया है.
जमीयत ने अधिवेशन में कहा कि UCC लाने की सरकार की मंशा वोट की राजनीति से प्रेरित है. जमीयत उलेमा ए हिंद ने UCC को लागू करने के खिलाफ सरकार को चेतावनी दी. साथ ही कहा कि सरकार UCC पर अदालतों को गुमराह कर रही है. वर्तमान सरकार समान नागरिक संहिता लागू करके मुस्लिम पर्सनल लॉ को समाप्त करना चाहती है, जो वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित है.
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