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गलत हाथों में खतरनाक हथियार बन जाते हैं ड्रोन, जानें कैसे करते हैं ऑपरेट, कितनी होती हैं किस्में?

वायुसेना के जम्मू स्थित एयरपोर्ट पर ड्रोन के जरिए धमाके के बाद लोगों की ड्रोन के बारे में जानने की दिलचस्पी बढ़ रही है. अलग-अलग तरह के ड्रोन इंटेलिजेंस और आर्मी इस्तेमाल करती है. लेकिन इनका गलत हाथों की ओर जाना, बड़ी तबाही मचा सकती है.

ड्रोन को लेकर जम्मू में भी है अलर्ट (सांकेतिक तस्वीर-PTI) ड्रोन को लेकर जम्मू में भी है अलर्ट (सांकेतिक तस्वीर-PTI)
मंजीत नेगी
  • नई दिल्ली,
  • 29 जून 2021,
  • अपडेटेड 11:23 PM IST
  • खतरनाक बनती जा रही है ड्रोन टेकनिक
  • मिलिट्री स्टेशन के पास मंगलवार को दिखा ड्रोन
  • गलत हाथों में तबाही मचा सकता है ड्रोन

वायुसेना के जम्मू स्थित एयरपोर्ट पर ड्रोन के जरिए धमाका किए जाने के बाद, अब भारत में ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर बहस छिड़ गई है. जम्मू में लगातार चल रही ड्रोन एक्टिविटी के बाद लोग यह जानना चाहते हैं कि किस तरह से ड्रोन काम करते हैं और इनका इस्तेमाल कैस किया जा सकता है. ड्रोन अगर सही हाथों में है तो इसका सकारात्मक इस्तेमाल हो सकता है, वहीं अगर गलत हाथों में हो तो तबाही मच सकती है.

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गुरुग्राम की एक ड्रोन मैनुफैक्चरिंग कंपनी में काम करने वाले इंजीनियर सौरव श्रीवास्तव ने बताया कि ड्रोन कई तरह के होते हैं. सामान्य तौर पर तीन तरह के ड्रोन प्रचलन में हैं. एक नैनो ड्रोन, माइक्रो ड्रोन, मिडिल ड्रोन और लार्ज ड्रोन. 

नैनो ड्रोन- इस ड्रोन जिनका वजन 250 ग्राम तक होता है.
माइक्रो ड्रोन- इस ड्रोन का वजन 250 ग्राम से अधिक लेकिन 2 किलोग्राम से कम होता है.
स्मॉल ड्रोन- इस ड्रोन का वजन 2 किलोग्राम से अधिक लेकिन 25 केजी से कम होता है. 
मीडियम ड्रोन- इस ड्रोन का वजन 25 केजी से अधिक लेकिन 150 केजी से कम होता है. 
लार्ज ड्रोन- इस ड्रोन का वजन 150 किलोग्राम से अधिक होता है.

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आतंकियों का घातक हथियार है ड्रोन!

मौजूदा वक्त में ड्रोन तकनीक अपने विकास के एक नए दौर से गुजर रही है. जरूरी यह है कि ड्रोन का इस्तेमाल अच्छे कामों के लिए ही हो, न कि ये आतंकियों के पास पहुंच जाए. जब आतंकियों के हाथ में यह पहुंचता है, तब यह बेहद खतरनाक साबित होता है. ड्रोन के जरिए न सिर्फ जासूसी की जा सकती है बल्कि जरूरत पड़ने पर इसके सहारे हमला भी किया जा सकता है. ठीक यही काम जम्मू में हो रहा है.

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कैसे उड़ता है ड्रोन?

ड्रोन में चार रोटर होते हैं, जिनके सहारे ही इसे उड़ाया जाता है. रोटर में लगी ब्लेड हवा के जरिए हवा को नीचे धकेला जाता है, जिसकी वजह से ड्रोन ऊपर उठ जाता है और उड़ने लगता है. रोटर की 2 पत्तियां क्लॉकवाइज घूमती हैं, वहीं 2 एंटी क्लॉकवाइज घूमती हैं. इसके जरिए ही हवा के दबाव को नियंत्रित किया जाता है. भारत में ड्रोन उड़ाने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन सबके लिए जरूरी होता है. 

अगर नैनो ड्रोन का वजन 250 ग्राम से कम है तो आप बिना किसी से परमिशन लिए बिना ही ड्रोन उड़ा सकते हैं. हालांकि उन्हीं जगहों पर ड्रोन उड़ाया जा सकता है, जहां स्थितियां संवेदनशील नहीं हैं. ड्रोन को महज 50 फीट तक की ही ऊंचाई पर उड़ा सकते हैं.

इन ड्रोन्स के लिए परमिशन की होती है जरूरत!

अगर आपके पास माइ्क्रो ड्रोन है, जिसका वजन 250 ग्राम से 2 केजी तक के बीच का है तो इसे उड़ाने के लिए आपको इजाजत लेनी होगी. इसके लिए आपको सिक्योरिटी क्लियरेंस, यूनिक आइडेंटीफिकेशन नंबर और लोकल पुलिस परमिशन की जरूरत पड़ती है. ऐसे ड्रोन अधिकतम 200 फीट तक उड़ाए जा सकते हैं. अगर आपके पास मिनी ड्रोन है, जिसका वजन 2 किलोग्राम से ज्यादा है तो इसे उड़ाने के लिए परमिशन की जरूरत पड़ती है. इसे भी 200 फीट तक उड़ाया जा सकता है.
 

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