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सोने की तलवार और मुकुट, मोर वाली गोल्ड की करधनी... जयललिता की वो जब्त संपत्ति जो तमिलनाडु को सौंपी गई

ये संपत्तियां लंबे समय से कानूनी विवाद में थीं. जुलाई 2023 में एक विशेष अदालत ने जयललिता के भतीजे और भतीजी- जे. दीपक और जे. दीपा के दावों को खारिज कर दिया था. वे इन संपत्तियों पर अपने उत्तराधिकार का दावा कर रहे थे, लेकिन अदालत ने फैसला सुनाया कि ये संपत्तियां भ्रष्टाचार मामले में जब्त की गई थीं और अब तमिलनाडु सरकार की संपत्ति होंगी.

 सोने की तलवार और मुकुट समेत जयललिता की कई संपत्तियां तमिलनाडु सरकार को सौंपी गईं (फोटो- आजतक) सोने की तलवार और मुकुट समेत जयललिता की कई संपत्तियां तमिलनाडु सरकार को सौंपी गईं (फोटो- आजतक)
सगाय राज
  • चेन्नई ,
  • 15 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 8:34 PM IST

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे. जयललिता की बेहिसाब संपत्ति से जुड़े मामले में बड़ा कदम उठाते हुए कर्नाटक प्रशासन ने जब्त की गई संपत्तियां तमिलनाडु सरकार को सौंप दी हैं. बेंगलुरु की एक अदालत के आदेश के एक दिन बाद यानी शुक्रवार को यह आधिकारिक हस्तांतरण किया गया.

इन जब्त संपत्तियों में सोने की तलवार, सोने का मुकुट और मोर की आकृति से सजी एक सोने की करधनी शामिल है. इसके अलावा कर्नाटक सरकार के पास 27 किलोग्राम 558 ग्राम सोने के आभूषण, 1,116 किलोग्राम चांदी और 1,526 एकड़ भूमि से संबंधित दस्तावेज भी थे, जिन्हें अब तमिलनाडु सरकार को सौंप दिया गया है. ये संपत्तियां अब तक कर्नाटक विधानसभा (विधान सौधा) के खजाने में सुरक्षित रखी गई थीं.

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अदालत और सरकारी अधिकारियों की मौजूदगी में हस्तांतरण प्रक्रिया पूरी की गई. कानूनी कार्यवाही के दौरान जब्त की गई इन संपत्तियों की तस्वीरें भी सामने आई हैं, जिनमें सोने का खूबसूरत मुकुट, नक्काशीदार तलवार और कई कीमती आभूषण नजर आ रहे हैं.

 

बता दें कि ये संपत्तियां लंबे समय से कानूनी विवाद में थीं. जुलाई 2023 में एक विशेष अदालत ने जयललिता के भतीजे और भतीजी- जे. दीपक और जे. दीपा के दावों को खारिज कर दिया था. वे इन संपत्तियों पर अपने उत्तराधिकार का दावा कर रहे थे, लेकिन अदालत ने फैसला सुनाया कि ये संपत्तियां भ्रष्टाचार मामले में जब्त की गई थीं और अब तमिलनाडु सरकार की संपत्ति होंगी. 

 

हालांकि इस संपत्ति का हस्तांतरण मार्च 2024 में किया जाना था, लेकिन दीपक और दीपा ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में इसे चुनौती दी, जिससे प्रक्रिया में देरी हुई. अंततः 13 जनवरी 2025 को कर्नाटक हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और विशेष अदालत के फैसले को बरकरार रखा, जिससे तमिलनाडु सरकार को इन संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने का रास्ता साफ हो गया. 

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