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'आपकी असली पीड़ा समझ सकता हूं', आम्बेडकर को लेकर केजरीवाल की चिट्ठी पर JDU नेता संजय झा का पलटवार

जद (यू) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने केजरीवाल के पत्र का जवाब देते हुए उन्हें याद दिलाया कि नीतीश कुमार ने महादलित समुदाय से आने वाले जीतन राम मांझी को बिहार का सीएम बनाया था. उन्होंने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते समय किसी दलित को सीएम नहीं बनाया और न ही पंजाब में एक दलित को डिप्टी सीएम बनाने का अपना चुनाव का वादा निभाया.

जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल. (PTI Photo) जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल. (PTI Photo)
अमित भारद्वाज
  • नई दिल्ली,
  • 21 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:54 PM IST

दलितों के आइकन बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर के मुद्दे पर भाजपा और विपक्षी दलों के बीच जारी खींचतान के बीच, जनता दल (यूनाइटेड) ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी पर पलटवार किया है. AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर, गृह मंत्री अमित शाह के संसद में आम्बेडकर पर दिए बयान पर विचार करने की सलाह दी थी. अरविंद केजरीवाल ने नीतीश कुमार को लिखे अपने पत्र में कहा था, 'बीजेपी ने संसद में बाबा साहेब का अपमान किया है. लोगों को लगता है कि जो लोग बाबा साहेब को प्यार करते हैं, वे बीजेपी का समर्थन नहीं कर सकते. आपको भी इस बारे में सोचना चाहिए.' 

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जद (यू) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने केजरीवाल के पत्र का जवाब देते हुए उन्हें याद दिलाया कि नीतीश कुमार ने महादलित समुदाय से आने वाले जीतन राम मांझी को बिहार का सीएम बनाया था. उन्होंने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते समय किसी दलित को सीएम नहीं बनाया और न ही पंजाब में एक दलित को डिप्टी सीएम बनाने का अपना चुनाव का वादा निभाया.

अमित शाह ने आम्बेडकर मुद्दे पर कांग्रेस की कलई खोली: JDU

संजय झा ने अपने पत्र में लिखा, 'अरविंद केजरीवाल जी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखा गया आपका पत्र मैंने पढ़ा. आपकी असली पीड़ा मैं समझ सकता हूं. आपका दर्द यह है कि उस दिन सदन में आपके गठबंधन के नेता राहुल गांधी, उनकी पार्टी और उनके परिवार की कलई खुल रही थी. सच से पर्दा हट रहा था. कांग्रेस ने पूज्य बाबा साहब भीमराव आंबेडकर, उनकी सोच और संविधान के साथ जो किया वह सच पूरे देश के सामने आ रहा था. देश के गृह मंत्री अमित शाह जी ने उस दिन इतिहास के वो पन्ने पलटे, जो आप और आपके गठबंधन के नेता राहुल गांधी नहीं देखना चाहते हैं. अमित शाह ने देश को बताया कि किस तरह से दलितों और महिलाओं की उपेक्षा से आहत होकर बाबा साहब को नेहरू की कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था. मैं समझ सकता हूं इस तरह की बातों पर चर्चा, आप और आपके गठबंधन के नेता राहुल गांधी को कतई पसंद नहीं आई होगी.'

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उन्होंने लिखा, 'अमित शाह ने देश को बताया कि जब बाबा साहब चुनाव लड़े, तो पंडित नेहरू ने न सिर्फ उनके खिलाफ प्रचार किया बल्कि उनको चुनाव हरवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. अंततः बाबा साहब ने चुनावी राजनीति से दूरी बना ली. आपको याद दिलाना चाहूंगा कि कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं ने बाबा साहब के साथ जो दुर्व्यवहार किया वह अक्षम्य है. 1955 में पंडित नेहरू ने खुद को भारत रत्न दिया. 1971 में इंदिरा गांधी ने खुद को भारत रत्न दिया. जबकि बाबा साहब को भारत रत्न मिलने में चार दशक से ज्यादा लग गए. उनको यह सम्मान 1990 में तभी मिला, जब कांग्रेस को इस देश की जनता ने सत्ता से बाहर कर दिया. जनता दल की उस सरकार में मेरे नेता और जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंत्री हुआ करते थे. और उन्होंने यह मांग रखी थी कि बाबा साहब डॉ. भीमराव आम्बेडकर को भारत रत्न से नवाजा जाए. नीतीश कुमार ने बाबा साहब के पदचिन्हों पर चलते हुए बिहार में, दलितों और पिछड़ों के लिए जो किया है; आप और आपके गठबंधन के नेता राहुल गांधी उसे करने की कल्पना भी नहीं कर सकते. बिहार में 1990 तक कांग्रेस पार्टी लगातार सत्ता में रही और 1990 से लेकर 2005 तक आरजेडी के साथ सत्ता की मलाई खाती रही. मगर बिहार में पंचायती राज व्यवस्था में दलितों और अति पिछड़ों को आरक्षण तब मिला जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने. तब कहां गया था आपके गठबंधन के नेता और उनकी पार्टी की संविधान के प्रति आस्था और बाबा साहब के प्रति प्रेम.'

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केजरीवाल ने दलितों को उनके अधिकारों से दूर रखा: JDU

उन्होंने आगे लिखा, 'आपके गठबंधन के नेता राहुल गांधी, पूरे देश में जाति जनगणना की डुगडुगी बजाते रहते हैं. इस मामले पर आपकी याददाश्त को ताजा करने के लिए मैं आपको इंडिया गठबंधन की कुछ बैठकों के बारे में याद दिलाना चाहता हूं. ये तब की बात है जब देश में पहली बार नीतीश जी की अगुवाई में बिहार में जाति आधारित गणना पूरी हो चुकी थी. हमारी पार्टी भी इंडिया गठबंधन की उन बैठकों में हिस्सा ले रही थी. तब अक्सर यह हुआ कि जब भी नीतीश कुमार जी ने जाति आधारित गणना पर चर्चा करने की कोशिश की, उसका या तो विरोध किया गया या फिर आपके गठबंधन के नेताओं ने पीठ दिखाकर निकलना पसंद किया.'

जदयू नेता ने आगे लिखा, 'गृह मंत्री ने संसद में बताया कि कैसे महिलाओं और दलितों की अनदेखी से बाबा साहब आम्बेडकर आहत हुए थे और उन्हें नेहरू कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था. जेडीयू भी इंडिया ब्लॉक का हिस्सा थी. इंडिया ब्लॉक की बैठक में नीतीश कुमार ने जब भी जाति जनगणना के मुद्दे पर चर्चा करने की कोशिश की, तो इसका विरोध किया गया या आपके गठबंधन के नेता बैठक से बाहर चले गए. राहुल गांधी अब पूरे देश में घूम-घूम कर जातीय जनगणना की बात कर रहे हैं. आप और आपके गठबंधन सहयोगियों ने हमेशा सत्ता हासिल करने के लिए पिछड़े वर्गों का इस्तेमाल किया है. जब उन्हें धोखा देना ही राहुल गांधी और कांग्रेस की मंशा रही है. अरविंद केजरीवाल, आज आप बाबा साहब के अनुयायी बन गए हैं और दलित अधिकारों की बात कर रहे हैं. लेकिन इतिहास गवाह है कि आपने दलितों को उनके अधिकारों और समानता से दूर रखा है.'

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AAP ने दलितों को हिस्सेदारी से कोसों दूर रखा है: जदयू

संजय झा ने अरविंद केजरीवाल को लिखे पत्र में कहा, 'आपके गठबंधन और उसके नेताओं के लिए दलित और पिछड़ा वर्ग सिर्फ सत्ता में आने का जरिया है. जब उन्हें हिस्सेदारी देने की बात आती है, तब आपकी, आपके गठबंधन के साथियों की, आपके गठबंधन के नेता राहुल गांधी और उनकी पार्टी की, नीयत में खोट साफ नजर आती है. अरविंद केजरीवाल, आज देखा कि आप भी बाबा साहब के अनुयायी बन गए! दलित हितों की बात करने लगे! मगर पूरे देश ने देखा है कि जब भी मौका मिला आपने दलितों को हिस्सेदारी से कोसों दूर रखा. आपने अपनी पार्टी से कितने दलितों और पिछड़ों को राज्यसभा में भेजा है? शून्य. क्या आपकी पार्टी में एक भी दलित या पिछड़ा नेता आपको नहीं दिखा, जो राज्यसभा जा सके? या आपकी कभी मंशा ही नहीं रही दलितों और पिछड़ों को हिस्सेदारी देने की.'

जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष ने अपने पत्र में लिखा, 'केजरीवाल जी, दलित और पिछड़ों के हितों की बात आपके मुंह से शोभा नहीं देती है. 2022 में पंजाब में आपकी सरकार बनी. सबको मालूम है मुख्यमंत्री आपने जिसे चाहा वो बना. पंजाब में सबसे बड़ी आबादी दलितों की है. फिर वहां मुख्यमंत्री चुनते वक्त आपको कोई दलित क्यों नहीं याद आया. जबकि 2017 के पंजाब चुनाव में आपने एक दलित को उपमुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था. लेकिन 2022 में सत्ता में आने के बाद आपने दलितों को भुला दिया. जब शराब घोटाले में जेल से बेल पर छूटने के बाद आपने अपने पद से इस्तीफा दिया तब क्या आपको दलित या पिछड़े वर्ग से कोई नहीं मिला, जिसे मुख्यमंत्री बनाया जा सके. आपकी सरकार के दो दलित मंत्रियों ने इस्तीफा दिया. दोनों ने यह आरोप लगाया कि दलितों के साथ आपका और आपकी पार्टी का रवैया ठीक नहीं है. क्या आपने कभी इस बात पर चिंतन किया? केजरीवाल जी, हमें मालूम है कि आप अपने शुरुआती दौर से दलित विरोधी- पिछड़ा विरोधी, आरक्षण विरोधी रहे हैं. आरक्षण विरोधी फोरम यूथ फॉर इक्वालिटी से आपके संबंध सबको पता हैं और वही आज आपकी करनी में नजर आता है.'

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केजरीवाल के लिए संविधान कोई मायने नहीं रखता: जदयू


संजय झा ने आगे लिखा, 'दलित और पिछड़े वर्ग का सम्मान कैसे होता है, इसका एक उदाहरण मैं आपको देता हूं. 2014 में हमारे नेता नीतीश कुमार ने जब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, तब उन्होंने महादलित समाज से आने वाले जीतन राम मांझी जी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया. केजरीवाल जी, संविधान, देश के सिस्टम और व्यवस्था पर आपका कितना भरोसा है, ये किसी से छुपा नहीं है. आपकी सरकार में कई बार अधिकारियों को न सिर्फ मानसिक रूप से प्रताड़ित करने की खबरें आती रहीं, बल्कि दिल्ली के मुख्य सचिव से मारपीट तक की खबरों से यह देश वाकिफ है. आपकी पार्टी की महिला सांसद के साथ आपके आवास पर जो हुआ, वह देखकर बाबा साहब ने क्या सोचा होगा. क्या आपको कभी इसकी चिंता हुई? केजरीवाल जी, आप का क्या ही कहना, जिस कांग्रेस के साथ गठबंधन ना करने की कसम खाई थी, उसके साथ 2013 में सरकार बनाई और आज भी आप उसके साथ गठबंधन में हैं. देश संविधान से चलता है, लेकिन आप अपने आपको ही व्यवस्था मानते हैं. आपके लिए संविधान कोई मायने नहीं रखता. आप सिर्फ मौके का फायदा उठाना जानते हैं. भले ही वह देशहित में ना हो.'

पूर्वांचलियों-बिहारियों से नफरत करते हैं केजरीवाल: जदयू

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जदयू नेता ने अपने पत्र में लिखा, 'केजरीवाल जी, आप पूर्वांचलियों और बिहारियों से नफरत करते हैं. दिल्ली में पूर्वांचली और बिहारी किस हालत में रहते हैं, ये किसी से छुपा नहीं है. जिन कालोनियों में वे रह रहे हैं, वहां हालात बदतर हैं. जीना दूभर है. आज भी कोरोनाकाल का वो भयानक मंजर सबको याद है, जब आपने भूखे प्यासे पूर्वांचलियों और बिहारियों को दिल्ली से खदेड़ दिया था. दिल्ली के बॉर्डर से आपने हमारे लोगों को बस में भड़-भड़ कर भेज दिया था. हमारे नेता ने सभी बिहारवासियों के बैंक अकाउंट में 1000 रुपये तत्काल ट्रांसफर किया था और कैम्प लगाकर सभी के रहने, खाने-पीने और दवाइयों की व्यवस्था की थी. क्या तब आपको, इंसानियत, इस देश का संविधान, बाबा साहब के आदर्श की याद नहीं आई. लिखने को तो बहुत सी बातें हैं केजरीवाल जी. मगर मैं आपको बस इतना बताना चाहता हूं कि जनता दल (यूनाइटेड) सहित एनडीए परिवार का हर सदस्य इस समाज के हर वर्ग को साथ लेकर विकसित भारत की ओर तेजी से कूच कर रहा है. देश की यह प्रगति और लोगों की खुशहाली, एक वर्ग को नागवार गुजर रही है. केजरीवाल जी, मेरा आग्रह है कि देश के प्रगति के प्रति दुराग्रह छोड़िए, सकारात्मक सोच रखिए. इस देश का संविधान बहुत मजबूत है. जय हिन्द.'
 

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