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राष्ट्रीय आपदा क्या होती है? जानिए जोशीमठ संकट को इस दायरे में लाने की मांग क्यों उठ रही

जोशीमठ में भू-धंसाव को 'राष्ट्रीय आपदा' घोषित करने की मांग हो रही है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर हुई थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को उत्तराखंड हाईकोर्ट जाने को कहा है. ऐसे में जानना जरूरी है कि किसी आपदा को राष्ट्रीय आपदा कब घोषित किया जाता है और इससे क्या बदल जाता है?

जमीन धंसने से जोशीमठ में घरों में दरारें पड़ गईं हैं. लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ रहा है. (फाइल फोटो-PTI) जमीन धंसने से जोशीमठ में घरों में दरारें पड़ गईं हैं. लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ रहा है. (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 9:53 PM IST

उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में जो कुछ हो रहा है, क्या उसे 'राष्ट्रीय आपदा' घोषित किया जा सकता है? मांग तो उठी है. सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर हुई. याचिका में मांग हुई कि जोशीमठ में जो जमीन धंस रही है, उसे 'राष्ट्रीय आपदा' घोषित करने के लिए अदालत दखल दे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को उत्तराखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए.

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जोशीमठ के भू-धंसाव को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया. बेंच ने कहा कि इस मुद्दे को उत्तराखंड हाईकोर्ट को डील करना चाहिए.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट सुशील कुमार जैन ने दलील दी कि लोग मर रहे हैं और जमीन धंसने से प्रभावित लोगों को राहत और पुनर्वास के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है.

जोशीमठ में दिन-ब-दिन हालात बिगड़ते जा रहे हैं. अब तक लगभग 850 घरों में दरारें पड़ चुकीं हैं. इनमें से 165 घर डेंजर जोन में स्थित हैं. ऐसे में लोगों की मांग है कि इसे 'राष्ट्रीय आपदा' घोषित किया जाए ताकि लोगों को तत्काल मदद मिल सके.

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राष्ट्रीय आपदा क्या होती है?

आपदा प्रबंधन को लेकर कानून है. ये कानून दिसंबर 2005 में लागू हुआ था. ये एक केंद्रीय कानून है, जिसका इस्तेमाल केंद्र सरकार करती है, ताकि किसी आपदा से निपटने के लिए देशव्यापी योजना बनाई जा सके.

इसी कानून में 'आपदा' की परिभाषा दी गई है. इसके मुताबिक, 'किसी भी इलाके में प्राकृतिक या मानवजनित कारणों से या दुर्घटना या उपेक्षा की वजह से आई ऐसी कोई महाविपत्ति, अनिष्ट, तबाही आदि जिससे मानव जीवन को हानि या संपत्ति को भारी नुकसान और विनाश, या पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचे और ये इतने बड़े पैमाने पर हो जिससे स्थानीय समुदाय के लिए निपटना संभव न हो, वो आपदा होगी.'

भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, चक्रवात, सुनामी, शहरी इलाकों में बाढ़, लू आदि को 'प्राकृतिक आपदा' माना जाता है, जबकि न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल आपदाओं को  'मानवजनित आपदा' माना जाता है. 

जोशीमठ में 850 घरों में दरारें पड़ चुकीं हैं. (फाइल फोटो-PTI)

कैसे तय होती है राष्ट्रीय आपदा?

किसी भी आपदा को 'राष्ट्रीय आपदा' मानने के बारे में कोई सरकारी या कानूनी प्रावधान नहीं है. 

2018 में संसद में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया था, 'स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (SDRF) या नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (NDRF) की मौजूदा गाइडलाइन इसके बारे में नहीं बताती कि किस आपदा को 'राष्ट्रीय आपदा' घोषित किया जाए.' 

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मार्च 2001 में तत्कालीन कृषि राज्यमंत्री श्रीपाद नाईक ने संसद में बताया था कि सरकार ने 2001 के गुजरात भूकंप और 1999 में ओडिशा में आए चक्रवाती तूफान को 'अभूतपूर्व गंभीरता की आपदा' माना था.

दसवें वित्त आयोग (1995-2000) के सामने एक प्रस्ताव आया था. इसमें कहा गया था, किसी आपदा को 'असाधारण प्रचंडता की राष्ट्रीय आपदा' घोषित किया जा सकता है, अगर इससे राज्य की एक-तिहाई आबादी प्रभावित हो. 

वित्त आयोग ने इस प्रस्ताव को मान तो लिया, लेकिन ये तय नहीं किया कि 'असाधारण प्रचंडता की राष्ट्रीय आपदा' किसे कहा जाएगा. हालांकि, आयोग ने कहा कि ये अलग-अलग मामलों के हिसाब से तय किया जा सकता है. 

जोशीमठ में असुरक्षित घरों से लोगों को निकाला जा रहा है. (फाइल फोटो-PTI)

राष्ट्रीय आपदा घोषित करने पर होता क्या है?

नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट पॉलिसी के मुताबिक, राज्य सरकार को स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (SDRF) से राहत मुहैया कराई जाती है. अगर गंभीर प्राकृतिक आपदा होती है तो ही नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (NDRF) से मदद दी जाती है.

अगर किसी आपदा को 'असाधारण प्रचंडता की राष्ट्रीय आपदा' घोषित किया जाता है, तो राज्य सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग मिलता है. केंद्र सरकार NDRF के साथ-साथ और भी मदद करती है. एक आपदा राहत कोष (CRF) बनाया जाता है, इसमें जमा रकम को केंद्र और राज्य के बीच 3:1 के अनुपात में साझा किया जाता है.

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अगर आपदा राहत कोष में जरूरत से कम फंड होता है तो फिर राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक फंड (NCCF) से मदद की जाती है. इस फंड में पूरी फंडिंग केंद्र सरकार की ही होती है. इतना ही नहीं, प्रभावित लोगों से लोन वसूली में माफी या रियायती दरों पर नए लोन देने की व्यवस्था की जाती है.

 

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