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लखनऊ जेल में रहेगा पत्रकार कप्पन, जानिए SC से जमानत मिलने के बाद भी क्यों नहीं मिली राहत?

हाथरस में 14 सितंबर को दलित लड़की का कुछ युवकों ने गैंगरेप किया था. हैवानियत के बाद लड़की की हालत गंभीर हो गई थी, जिसके बाद उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 29 सितंबर को लड़की की इलाज के दौरान मौत हो गई थी. इसके बाद केरल के पत्रकार पीड़ित परिवार से मिलने के लिए जा हाथरस जा रहे थे, तभी उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था.

UAPA मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दी है जमानत (फाइल फोटो) UAPA मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दी है जमानत (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 6:33 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत दायर मामले में केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को राहत दे दी थी लेकिन इसके बाद भी अभी उन्हें अभी जेल में रहना पड़ेगा. डीजी जेल पीआरओ संतोष वर्मा ने पीटीआई को बताया,'कप्पन जेल में ही रहेगा क्योंकि उनके खिलाफ दर्ज एक मामले की प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच की जा रही जांच अभी भी लंबित है.'

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मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि अगले 6 हफ्ते कप्पन दिल्ली में रहेगा. पुलिस थाने में साप्ताहिक तौर पर हाजिरी लगानी पड़ेगी. 6 हफ्ते बाद वो समुचित प्रक्रिया पूरी कर केरल भी जा सकता है.

23 महीने पहले हाथरस जाते वक्त हुई थी गिरफ्तारी

9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत दायर मामले में केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को सुप्रीम कोर्ट से राहत दे दी थी. मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की सुनवाई हुई थी. 

यूएपीए और राजद्रोह जैसे सख्त कानूनों के तहत गिरफ्तार जर्नलिस्ट कप्पन ने मथुरा कोर्ट में जमानत की याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन निराशा हो हाथ लगी थी.

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हाथरस रेप कांड के बाद कानून व्यवस्था में गड़बड़ी पैदा करने के आरोप में पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को मथुरा पुलिस ने 5 अक्टूबर 2020 को उस समय गिरफ्तार किया था. उन्हें उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह दलित लड़की के परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए हाथरस के गांव जा रहे थे.

PFI कनेक्शन, हिंसा भड़काने की साजिश का आरोप

जानकारी के मुताबिक कप्पन के साथ अथिकुर रहमान, आलम और मसूद को पुलिस ने मथुरा में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से कथित रूप से संबंध रखने और हिंसा भड़काने की साजिश का हिस्सा होने के आरोप में गिरफ्तार किया था. उन पर आईपीसी, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था.

आरोप तय होने में दो महीने का लग सकता है वक्त

पत्रकार कप्पन सिद्दीकी कप्पन की याचिका पर CJI जस्टिस यूयू ललित ने यूपी सरकार से पूछा कि क्या कप्पन के पास से कोई विस्फोटक पदार्थ मिला था? या कोई ऐसी सामग्री मिली, जिससे लगता हो कि वो साजिश रच रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लगता है कि अभी आरोप तय होने के चरण तक भी मामला नहीं पहुंचा है.

यूपी सरकार की ओर से कहा गया कि दो महीने में आरोप तय हो सकते हैं. यूपी सरकार की ओर से पेश हुए महेश जेठमलानी ने कहा कि कप्पन के पास से कोई विस्फोट नहीं मिला था. उसकी कार में आपत्तिजनक साहित्य मिला था. उससे पता चला कि वो PFI से जुड़ा है. इस पर CJI ने पूछा कि साहित्य में खतरनाक क्या लगता है? 

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कप्पन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि साहित्य ये था कि हाथरस की पीड़िता को इंसाफ दिलाना है. 

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि कप्पन के खिलाफ वास्तव में क्या पाया गया, इस पर जेठमलानी ने कहा कि हाथरस से जुड़ी घटना और उसके पीएफआई से उसके संबंध हैं. उसे क्षेत्र में दंगा भड़काने के लिए 45000 रुपये दिए गए थे. उनका किसी प्रेस संगठन में रजिस्ट्रेशन नहीं था. वह आधिकारिक तौर पर तेजस से जुड़ा हुआ है, जिसका संबंध PFI से है. झारखंड में PFI एक आतंकवादी संगठन है.

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