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भारत के 50वें चीफ जस्टिस बने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, राष्ट्रपति मुर्मू ने दिलाई शपथ

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भारत के 50वें चीफ जस्टिस बन गए हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के तौर पर शपथ दिलाई.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को सीजेआई पद की शपथ दिलाई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को सीजेआई पद की शपथ दिलाई
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:32 AM IST

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भारत के 50वें चीफ जस्टिस बन गए हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के पद की शपथ दिलाई.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यूयू ललित की जगह ली. जस्टिस ललित का सीजेआई के तौर पर 74 दिनों का छोटा कार्यकाल था जो 8 नवंबर को पूरा हो गया. अब जस्टिस चंद्रचूड़ दो साल यानी 10 नवंबर 2024 तक सीजेआई रहेंगे. 

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16वें चीफ जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ के बेटे हैं डीवाई चंद्रचूड़

जस्टिस चंद्रचूड़ भारत के 16वें चीफ जस्टिस वाई वी चंद्रचूड़ के बेटे हैं. उन्हें 29 मार्च 2000 को बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज के रूप में नियुक्त किया गया था. 31 अक्टूबर 2013 को उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली थी. 

 

Delhi | President Droupadi Murmu administered the oath of office to Justice DY Chandrachud as the 50th Chief Justice of India in succession to Justice Uday Umesh Lalit, in Rashtrapati Bhavan. pic.twitter.com/R4Z3e4cDMr

— ANI (@ANI) November 9, 2022

 

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नाम अनगिनत ऐतिहासिक फैसले हैं. हाल ही में, जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक ऐतिहासिक फैसले में, जिसने महिलाओं के प्रजनन अधिकारों को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया. अविवाहित या अकेली गर्भवती महिलाओं को 24 सप्ताह तक गर्भपात करने से रोकने के कानून को रद्द कर सभी महिलाओं को ये अधिकार दिया है. पहली बार मेरिटल रेप को परिभाषित करते हुए पति द्वारा जबरन यौन संबंध बनाने से गर्भवती विवाहित महिलाओं को भी नया अधिकार दिया है. उन्होंने कहा कि ये समानता के अधिकार की भावना का उल्लंघन करता है.

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अयोध्या समेत कई केस में संविधान पीठ का हिस्सा रहे चंद्रचूड़

जस्टिस चंद्रचूड़ कई संविधान पीठों का हिस्सा भी रहे हैं. अयोध्या का ऐतिहासिक फैसला, निजता के अधिकार, व्यभिचार को अपराध से मुक्त करने और समलैंगिता को अपराध यानी IPC की धारा 377 से बाहर करने, सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश, और लिविंग विल जैसे बड़े फैसले दिए हैं. वे उन जजों में से एक हैं, जिन्होंने कभी-कभी अपने साथी जजों के साथ सहमति भी नहीं जताई - आधार के प्रसिद्ध फैसले में, जस्टिस चंद्रचूड़ ने बहुमत से असहमति जताते हुए कहा था कि आधार को असंवैधानिक रूप से धन विधेयक के रूप में पारित किया गया था और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन था. 

उन्होंने भीमा कोरेगांव में कथित रूप से हिंसा भड़काने के आरोपी पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी से संबंधित एक मामले में भी असहमति जताई थी, जब पीठ के अन्य दो जजों ने पुणे पुलिस को कानून के अनुसार अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी थी. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को मेहनती जज कहा जाता है. अपने पिछले जन्मदिन पर भी लगातार कई घंटों तक काम करते रहे हैं.

 

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