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जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पहुंची दिल्ली पुलिस की टीम, जहां मिले थे अधजले नोट उस एरिया को किया सील

तीन जजों की एक टीम मंगलवार को करीब 45 मिनट तक जस्टिस वर्मा के घर रुकी और इस दौरान तीनों जज उस कमरे में भी गए जहां जले हुए नोट मिले थे. जांच किस तरीके और किन नियमों के तहत आगे बढ़ेगी, यह कमेटी को खुद ही तय करना है. 

जस्टिस वर्मा के घर पर मिले थे अधजले नोट जस्टिस वर्मा के घर पर मिले थे अधजले नोट
जितेंद्र बहादुर सिंह/हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 26 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 6:42 PM IST

दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास पर अधजले नोट मिलने के बाद मामले की जांच तेज हो गई है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित तीन जजों की कमेटी तुगलक रोड स्थित उनके घर पहुंची थी और अब तुगलक रोड थाना में कार्यरत पुलिस अधिकारी भी जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर पहुंचे. दिल्ली पुलिस की टीम घटना वाली जगह को सील करने के लिए जज के घर गई थी, जहां अधजले नोट मिले थे.

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घर के एक हिस्से को किया सील

सूत्रों ने बताया कि दिल्ली पुलिस की टीम करीब दो घंटे घटनास्थल पर रही जिसके साथ नई दिल्ली के डीसीपी देवेश कुमार महला भी मौजूद थे. जांच कमेटी के कहने पर जिस जगह आग लगी थी उस एरिया को सील करने के लिए यह टीम जस्टिस वर्मा के घर पहुंची थी. जजों की तीन सदस्यीय कमेटी की मदद करने वाले हाई कोर्ट के अधिकारी भी जस्टिस वर्मा के घर गए थे और इस पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी भी की गई है.

ये भी पढ़ें: जिस कमरे में जले थे नोट वहां पहुंचे तीनों जज, जस्टिस यशवंत वर्मा के घर 45 मिनट रुकी जांच कमेटी

इससे पहले तीन जजों की एक टीम मंगलवार को करीब 45 मिनट तक जस्टिस वर्मा के घर रुकी और इस दौरान तीनों जज उस कमरे में भी गए जहां जले हुए नोट मिले थे. जांच किस तरीके और किन नियमों के तहत आगे बढ़ेगी, यह कमेटी को खुद ही तय करना है. 

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जज पर FIR दर्ज करने की मांग

उधर, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर जस्टिस वर्मा पर FIR दर्ज कराने की मांग की गई है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना की अगुआई वाली बैंच के सामने इस मामले की मेंशनिंग की गई और सर्वोच्च अदालत इस याचिका की सुनवाई के लिए तैयार हो गई है. याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली पुलिस को FIR दर्ज करने के निर्देश दिए जाएं क्योंकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीन जजों की कमेटी बनाने का कोई औचित्य नहीं है.

इस याचिका में मामले की जांच पुलिस को सौंपने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि न्यायपालिका में सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार को प्रभावी और सार्थक कदम उठाने चाहिए. याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी कि अगर जस्टिस वर्मा की जगह कोई कारोबारी होता तो क्या उसे भी संदेह का लाभ देकर पुलिस जांच से छूट दी जा सकती थी. इस पर अदालत ने कहा कि आप मामले में कोई सार्वजनिक बयान न दें, हम याचिका को सुनवाई के लिए लिस्टेड करने को तैयार हैं.  

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