
एआईएडीएमके और भाजपा के बीच 2023 में गठबंधन टूटने के मुख्य कारणों में से एक माने जाने वाले के. अन्नामलाई पार्टी के तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकते हैं. क्योंकि दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत अपने अंतिम दौर में पहुंच गई है. भाजपा सूत्रों का कहना है कि इसे अन्नामलाई के लिए ‘सजा’ के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि पार्टी जातिगत समीकरणों के कारण यह फैसला लेने जा रही है.
सूत्रों के अनुसार AIADMK के महासचिव ई. पलानीस्वामी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की नई दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद दोनों दलों के बीच गठबंधन को अंतिम रूप देने की कवायद शुरू हो चुकी है. एआईएडीएमके ने गठबंधन के लिए बीजेपी आलाकमान के सामने शर्त रखी है कि के. अन्नामलाई की जगह किसी और नेता को तमिलानाडु में प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए. पिछले हफ्ते के. अन्नामलाई ने भी दिल्ली में बीजेपी आलाकमान से मुलाकात की थी.
तमिलनाडु BJP चीफ बनने की रेस में आगे हैं ये तीन नाम
तमिलनाडु में बीजेपी संगठन के चुनाव पूरे हो चुके हैं और नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी अगले दो हफ्ते में होना है. ऐसे में बीजेपी तमिलनाडु में पार्टी की कमान केंद्रीय मंत्री एल मुरुगन, तमिलिसाई सौंदर्यराजन या नैना नागेंद्रन के हाथों सौप सकती है. अगर दोनों पार्टियां 2026 का राज्य चुनाव एक साथ लड़ती हैं तो भाजपा नहीं चाहती कि उसका और अन्नाद्रमुक का चेहरा गौंडर समुदाया से ही हो.
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के. अन्नामलाई की तरह, एआईएडीएमके प्रमुख एडप्पादी के. पलानीस्वामी भी गौंडर समुदाय से आते हैं, जो तमिलनाडु में एक महत्वपूर्ण पिछड़ी जाति है. साथ ही पलानीस्वामी उसी पश्चिमी कोंगु क्षेत्र से आते हैं (यहां गौंडर समुदाय का प्रभुत्व है), जहां से के. अन्नामलाई आते हैं. भाजपा सूत्रों ने बताया कि अन्नामलाई को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक में इस बारे में बता दिया गया था.
अन्नामलाई ने तमिलनाडु में भाजपा को दिलाई नई पहचान
युवा अन्नामलाई के विभिन्न मुद्दों पर आक्रामक रुख ने तमिलनाडु में भाजपा को पहचान दिलाई है. भले ही उन्हें अभी तक राजनीतिक सफलता न मिली हो- लेकिन बीजेपी ने उनको बताया है कि पार्टी उनके लिए उज्ज्वल भविष्य देखती है. बदले में, आलाकमान को उम्मीद है कि अन्नामलाई पार्टी की रणनीति पर भरोसा करेंगे और उसके फैसले का पालन करेंगे. माना जा रहा है कि अन्नामलाई ने पार्टी के प्रति पूरी निष्ठा जताई है.
एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, 'अमित शाह के साथ मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा कि पार्टी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लेकर मेरे मन में कोई संदेह नहीं है और मैं एक साधारण कार्यकर्ता के तौर पर भी काम करने को तैयार हूं.' एक अन्य नेता ने कहा, 'अन्नामलाई प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहें या नहीं, लेकिन तमिलनाडु के लिए पार्टी की दीर्घकालिक रणनीति में वह एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बने रहेंगे. पार्टी उन्हें कोई राष्ट्रीय भूमिका सौंपती है या राज्य में कोई अलग कार्यभार देती है, यह देखना होगा.'
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जातीय समीकरण साधने के लिए बीजेपी करेगी ये बदलाव
सूत्रों के अनुसार, तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के रूप में अन्नामलाई की जगह लेने की दौड़ में सबसे आगे भाजपा विधायक नैनार नागेंद्रन हैं, जो तिरुनेलवेली के एक लोकप्रिय नेता हैं, जो पहले अन्नाद्रमुक में थे और प्रभावशाली थेवर समुदाय से आते हैं. जे. जयललिता के कार्यकाल के दौरान तमिलानाडु के इस अति पिछड़ा वर्ग की एआईएडीएमके पर मजबूत पकड़ थी. जयललिता की करीबी सहयोगी वीके शशिकला भी थेवर समुदाय से आती थीं.
एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, 'भाजपा पश्चिमी तमिलनाडु से परे अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है. नागेंद्रन जैसे थेवर नेता को लाने से पार्टी को राज्य के दक्षिणी जिलों और उससे आगे के क्षेत्रों में अपना प्रभाव बढ़ाने में मदद मिल सकती है, जहां AIADMK-भाजपा गठबंधन को DMK के गढ़ का मुकाबला करने की आवश्यकता होगी.' साथ ही उन्होंने कहा कि अमित शाह की 'सोशल इंजीनियरिंग' ने तमिलनाडु में पार्टी की प्रगति में उल्लेखनीय योगदान दिया है.
तमिलनाडु में भाजपा का विस्तार करना मेरा लक्ष्य: अन्नामलाई
कोयंबटूर में रविवार को मीडिया से बात करते हुए के. अन्नामलाई ने एआईएडीएमके-बीजेपी गठबंधन पर कोई भी सवाल लेने से इनकार कर दिया और कहा, 'केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में एक समारोह में इस बारे में बात की थी. आप इसे (पार्टी का) अंतिम फैसला मान सकते हैं.' इसके बजाय उन्होंने भाजपा आलाकमान को तमिलनाडु का विस्तृत राजनीतिक अध्ययन देने में अपनी भूमिका के बारे में बात की. उन्होंने कहा, 'एक कैडर और नेता के रूप में, मैंने सूक्ष्म विश्लेषण किया है और राज्य इकाई की वर्तमान स्थिति और इसे कैसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए, इस पर तथ्यों के साथ पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं के सामने अपनी बात रखी है.'
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तमिलनाडु के इलेक्टोरल डायनामिक्स को पांच जोन में बांटते हुए के. अन्नामलाई ने समझाया कि भाजपा ने राज्य के पश्चिमी (54 सीटें) और दक्षिणी क्षेत्रों (60 सीटें) में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है. किसी पार्टी को 150 सीटें जीतने के लिए, राज्य के तीन क्षेत्रों में जीत हासिल करनी पड़ेगी; 180-190 सीटें हासिल करने के लिए, उसे राज्य के 4 क्षेत्रों पर हावी होना होगा. अन्नामलाई ने तर्क दिया कि भाजपा पहले से ही पूरे दक्षिणी क्षेत्र में अन्नाद्रमुक पर बढ़त बनाए हुए है, और द्रविड़ पार्टी पश्चिमी क्षेत्र के महत्वपूर्ण स्थानों पर भी भाजपा की अनदेखी नहीं कर सकती.
अन्नामलाई ने कहा कि उनका एकमात्र लक्ष्य राज्य में भाजपा का विस्तार करना है. उन्होंने कहा, 'मैं हमेशा से स्पष्ट रहा हूं... मैं सत्ता के लिए राजनीति में नहीं आया हूं, मैं तमिलनाडु की राजनीति में बदलाव लाने आया हूं.' पलानीस्वामी की अमित शाह से मुलाकात पर अन्नामलाई ने कहा, 'इसमें कुछ भी गलत नहीं था. भाजपा नेताओं को किसी भी पार्टी नेता से गुप्त रूप से मिलने की कोई जरूरत नहीं है.' बता दें कि तमिलनाडु में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं. राज्य में सत्ताधारी डीएमके और कांग्रेस के बीच गठबंधन है.