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एलएसी पर चीन से चल रही तनातनी के बीच भारत ने पूर्वी लद्दाख में अपनी K-9 वज्र तोपों को तैनात कर दिया है. इन के-9 वज्र हॉवित्जर तोपों को लद्दाख के ऊंचे पहाड़ी इलाकों में 12000 से लेकर 16000 फीट की ऊंचाई पर तैनात किया गया है. यह तैनाती इन तोपों की ऊंचे पहाड़ी इलाकों में चीन के खिलाफ मारक क्षमता परखने के लिए की गई है.
पिछले एक साल से अधिक समय से लद्दाख में भारत और चीन के बीच विवाद चल रहा है. दोनों सेनाएं युद्ध के मोर्चे पर तैनात हैं. आजतक के संवाददाता मनजीत नेगी लेह पूर्वी लद्दाख के फॉरवर्ड इलाके में पहुंचे.
हर खतरे का सामना करने के लिए तैयार भारतीय सेना
भले ही इस वक्त भारत और चीनी सेनाओं ने अपने-अपने सैनिकों की वापसी कर ली है, लेकिन भारतीय सेना के तेवर से साफ है कि वह किसी भी मोर्चे पर चीन के खिलाफ अपनी तैयारियों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. के-9 वज्र स्वचालित तोपों की पहली रेजीमेंट पूर्वी लद्दाख सरहद पर तैनात हो चुकी है. आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे शुक्रवार को दो दिन के पूर्वी लद्दाख दौरे पर पहुंचे. यहां उन्होंने मौजूदा सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया. इस दौरान आर्मी चीफ ने कहा कि चीन सीमा पर स्थिति नियंत्रण में है. हालांकि, उन्होंने कहा, चीन की सेना ने अपनी सीमा में काफी निर्माण कार्य किया है, लेकिन भारतीय सेना हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है.
रेगिस्तान से लेकर पहाड़ों तक में चलने में सक्षम
भारतीय सेना में बोफोर्स तोप के बाद साल 1986 से कोई भारी आर्टिलरी शामिल नहीं की गई थी. इस लिहाज से 100 के-9 वज्र-टी तोपों को सेना में शामिल किया जाना बेहद अहम माना जा रहा है. इसी साल फरवरी के महीने में एलएंडटी ने थलसेना प्रमुख, जनरल एमएम नरवणें को 100वीं तोप सौंपी थी. ये सेल्फ-प्रोपेल्ड आर्टेलेरी गन हैं यानि इन तोपों को किसी ट्रक या किसी दूसरी तरह से खींचने की जरूरत नहीं होती है, बल्कि इनमें टैंक की तरह व्हील लगे होतें हैं और खुद रेगिस्तान और पहाड़ों तक में दौड़ सकती हैं.
38 किमी है मारक क्षमता
के-9 वज्र तोप की मारक क्षमता 38 किलोमीटर है. यह जीरो रेडियस पर चारों तरफ घूमकर वार कर सकती है. 155 एमएम/52 कैलिबर की 50 टन वजनी तोप से 47 किलो का गोला फेंका जा सकता है. यह तोप 15 सेकंड के अंदर 3 गोले दागने में सक्षम है. इसमें 155 मिमी की तोप लगी है, जिसकी रेंज 18 से 52 किमी है. इसमें टैंकों की तरह ट्रैक लगे हुए हैं, जिससे ये किसी भी तरह के मैदान में चल सकती है. इसका ताकतवर इंजन इसे 67 किमी प्रति घंटे की रफ्तार देता है. इसमें 5 सैनिकों का क्रू होता है, जो किसी टैंक की तरह मजबूत बख्तर से पूरी तरह सुरक्षित होता है.
दक्षिण कोरियाई कंपनी और एल एंड टी ने इसका साझा निर्माण किया है. गुजरात के हजीरा में इसके लिए जनवरी, 2018 में निर्माण इकाई शुरू की गई. नवंबर, 2018 में इसे भारतीय सेना में शामिल किया गया था. यह 80 फीसदी स्वदेशी है. 1000 एमएसएमई कंपनियों ने इसके पुर्जे बनाए.