
कल्याणी परिवार का आंतरिक विवाद अब पुणे के एक सिविल कोर्ट में दस्तक दे चुका है, जहां देश के प्रमुख उद्योगपति बाबा काल्याणी और उनकी बहन सुगंधा हिरेमठ के बीच मां सुलोचना काल्याणी की समाधि को लेकर कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है. सुगंधा ने अपने भाई बाबा कल्याणी के खिलाफ स्पेशल सिविल केस दाखिल किया है, जिसमें उन्होंने समाधि निर्माण के बारे में अपन भाई पर झूठे बयानों का आरोप लगाया है. कोर्ट में दाखिल उनकी एफिडेविट के मुताबिक बाबा ने विभिन्न मौकों पर खुद को अंतर्विरोधी साबित किया है.
2024 के दिसंबर को, बाबा ने सुगंधा को चिट्ठी लिखकर सुझाव दिया कि समाधि उनके माता-पिता के सम्मान में पार्वती निवास पर बनाई जानी चाहिए.
हालांकि, जब सुगंधा ने मामला दाखिल किया, तब बाबा कल्याणी की एक नई चिट्ठी सामने आया जिसमें उन्होंने परिवार गुरु से विचार-विमर्श करने की बात कही. 20 फरवरी को निर्धारित मीटिंग में बाबा ने हिस्सा नहीं लिया, जिससे अदालत में नए आरोप भी सामने आए.
यह भी पढ़ें: कल्याणी से लेकर मार्क्समैन तक... चीन-पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने का दम रखते हैं भारत के ये 'युद्धवीर'
भाई बाबा कल्याणी पर लगाए गंभीर आरोप
मार्च 6 को सुगंधा ने अदालत में यह दावा किया कि उनके भाई बाबा कल्याणी का यह कहना कि समाधि काशी में बनाई जा चुकी है, गलत है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके भाई ने अदालत और उन्हें गुमराह किया है. बाबा के वकील ने कहा कि उनका मकसद विवाद का शांति पूर्ण समाधान करना है, जबकि सुगंधा की तरफ से विवादित आरोप लगाए जा रहे हैं.
सुगंधा ने कहा कि कुछ दिनों बाद 3 मार्च को वह मठ में गईं तो पाया कि वहां एक लाख से अधिक अन्य चीजों के साथ सिर्फ एक छोटा सा शिवलिंग रखा हुआ था, जो समाधि के लिए योग्य नहीं है. लिहाजा उन्होंने पुणे कोर्ट में अपने दो भाई बाबा कल्याणी और गौरीशंकर के खिलाफ याचिका दायर की.
यह भी पढ़ें: बंगाल: जानिए क्या है कल्याणी एम्स भर्ती घोटाला मामला, जिसमें बीजेपी के 8 नेताओं पर दर्ज है केस?
संपत्ति बंटवारे का भी चल रहा मामला
अधिकारों पर विवाद की जड़ें गहरी होती जा रही है, क्योंकि सुगंधा ने भाई बाबा और गौरिशंकर के खिलाफ संपत्ति बंटवारे का मुकदमा भी दाखिल कर दिया है, जिसमें परिवार की संपत्ति और भागीदारी की मांग की गई है. बाबा कल्याणी की तरफ से उनके प्रवक्ता ने सुगंधा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह मसला अदालत के दायरे से बाहर का है और धार्मिक अनुष्ठानों का विषय है. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 2 अप्रैल को होनी है.