
कोरोना की तीसरी लहर (Corona Third Wave) के अंदेशे के कारण उत्तराखंड (Uttarakhand) और ओडिशा (Odisha) सरकार ने कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) पर रोक (Ban) लगा दी है. हालांकि, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) ने कांवड़ियों को छूट दी, लेकिन मामला अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है.
देश में ऑक्सीजन संकट हो, टीकाकरण की लेटलतीफी हो, कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा देना हो.. हर बार अदालत को निर्देश देकर सरकारों को रास्ता दिखाना पड़ा है. अब कांवड़ यात्रा को लेकर भी यही हुआ है. उत्तर प्रदेश सरकार की छूट पर सुप्रीम कोर्ट सख्त है और नोटिस जारी कर दिया है. आइए जानते हैं कांवड़ यात्रा के 10 बड़े अपडेट-
- कांवड़ यात्रा को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को ध्यान में रखकर जनता की जान बचानी जरूरी बताकर स्थगित कर दिया.
- यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा की इजाजत दे दी. सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि कोरोना गाइडलाइन का पालन कराते हुए कांवड़ यात्रा निकालने की इजाजत होगी.
- कोरोना के संकटकाल में कांवड़ यात्रा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान ले लिया और यूपी सरकार से 16 जुलाई से पहले जवाब तलब किया है. अब मामले की सुनवाई 16 जुलाई को होगी.
- सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस नरीमन ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि हमने आज अखबार कुछ कुछ परेशान करने वाला पढ़ा कि यूपी राज्य ने कांवड़ यात्रा आयोजित करने का फैसला किया है, जबकि उत्तराखंड राज्य ने अपने अनुभव के आधार पर फैसला किया कि कोई यात्रा आयोजित नहीं की जाएगी, हम जानना चाहते हैं कि संबंधित सरकारों की क्या मंशा है?
- जस्टिस नरीमन ने कहा कि भारत की जनता तो पूरी तरह किंकर्तव्यविमूढ़ दिखती है, वो नहीं जानते कि क्या हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी करके पूछा कि कांवड़ यात्रा की इजाजत देने के पीछे उनकी क्या मंशा है? अब यूपी सरकार अपना स्टैंड बताएगी. इसके बाद कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा.
- सुप्रीम कोर्ट के मन में अब खुद से संज्ञान लेकर ये सवाल है कि तीसरी लहर की आशंका के बीच कांवड़ यात्रा कराने के पीछे मंशा क्या है? इस मंशा को जानने के पीछे वजह ये भक्तों की भारी भीड़. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 की कांवड़ यात्रा के दौरान 3.5 करोड़ भक्त कांवड़िया हरिद्वार गए थे, जबकि दावा है कि दो से तीन करोड़ से ज्यादा लोग पश्चिम यूपी के तीर्थस्थलों पर गए थे. ऐसे में औसत 3 करोड़ भक्तों की उत्तर भारत में कांवड़ यात्रा के दौरान हलचल दिख सकती है.
- क्या कांवड़ यात्रा से कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका नहीं रहेगी ? इस सवाल का जवाब देते हुए यूपी सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि सरकार कह चुकी है कि यूपी में कांवड़ यात्रा चलेगी, जिसमें स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल, सोशल डिस्टेसिंग, मास्क, आरटीपीसीआर टेस्ट का पालन होगा, निगरानी भी होगी.
- ऐसे ही तमाम भरोसे तो चुनाव आयोग को भी चुनावी रैलियों में दिए गए थे, लेकिन क्या संक्रमण मुक्त रैलियां हो पाईं थीं? इसीलिए सुप्रीम कोर्ट केंद्र, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार से कांवड़ यात्रा के बारे में अपना जवाब देने को कहा है.
- सुप्रीम कोर्ट के नोटिस जारी होने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि कांवड़ यात्रा के कारण किसी को जान गंवानी पड़ी तो भगवान भी पसंद नहीं करेंगे. हरिद्वार जाने वाले किसी भी श्रद्धालु को 14 दिन तक क्वारनीट होना होगा.
- इस बीच केंद्र के पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट कहते हैं कि लोगों की जिंदगी खतरे में नहीं डाली जा सकती है, लेकिन यूपी सरकार कहती है कि कोविड मैनेजमेंट में हम अव्वल हैं, कांवड़ यात्रा होगी.
अब कांवड़ यात्रा पर कोर्ट करेगा सुप्रीम फैसला
क्या यूपी की बीजेपी सरकार को उत्तराखंड की बीजेपी सरकार पर कोविड मैनेजमेंट का भरोसा नहीं है ? या फिर चुनाव नजदीक देख कांवड़ यात्रा कराना जरूरी समझा जा रहा है ? यही कारण है कि देश की सर्वोच्च अदालत ने नोटिस देकर जवाब मांगा है. अगली सुनवाई 16 जुलाई को है.