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Kargil War Vijay Diwas: बलिदान, सम्मान, विज्ञान और जज्बा... करगिल फतह की चार ऐसी कहानियां, जो अपने आप में गौरवगाथा हैं

Kargil War Vijay Diwas: करगिल की जंग... दो महीने, तीन हफ्ते और दो दिनों तक चलीं. पाकिस्तानी घुसपैठियों को हमारे वीर जवानों ने उनकी औकात दिखा दी. लेकिन इस युद्ध के दौरान कुछ ऐसी घटनाएं हुई, जो आपको हैरान कर देंगी. ये कहानियां है जज्बे की, बहादुरी की, मदद की और फतह की.

करगिल युद्ध के समय इन हॉवित्जर तोपों ने तोड़ डाली थी पाकिस्तानी घुसपैठियों के रीढ़ की हड्डी. (फोटोः India Today) करगिल युद्ध के समय इन हॉवित्जर तोपों ने तोड़ डाली थी पाकिस्तानी घुसपैठियों के रीढ़ की हड्डी. (फोटोः India Today)
सुकन्या सिंह जादौन
  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 11:09 AM IST

Kargil Vijay Diwas: आज से ठीक 24 साल पहले इसी दिन भारत ने पाकिस्तान को घुटने के बल ला दिया था. ये वो जंग थी जब भारत ने पाकिस्तान को उसकी औकात याद दिलाई. हमारे जवानों ने बता दिया कि कश्मीर पर कब्जा करना पाकिस्तान का अधूरा सपना रहेगा. पाकिस्तान को पता है कि भारत अब और कफन नहीं गिनेगा बल्कि घर में घुसकर मारेगा. 

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ये तो हुई पाकिस्तान की बात लेकिन क्या आपको मालूम है कि आज यानी 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस मनाया जाता है. वो दिन जिसे भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया. इन अक्षरों में स्याही हमारे बलिदानियों के रक्त की थी. 

ऐसे तो करगिल युद्ध से जुड़े कई किस्से-कहानियां आपने सुने होंगे लेकिन अब पेश हैं कुछ ऐसे किस्से जो आपको न सिर्फ अपने देश के वीर जवानों की याद दिलाएंगे बल्कि आपको एक भारतीय होने पर गर्व भी महसूस कराएंगे.

इस सिपाही ने नंगे पैर लड़ी थी कारगिल की जंग 

भारतीय सेना में थे बड़े ही काबिल अफसर नींबू साहब (Captain Neikezhakuo Kenguruse). द्रास पर चढ़ने की जब बारी आई तो सबके हाथ पैर फूल गए. 16 हजार फीट की ऊंचाई. पारा माइनस 10 डिग्री पर. जवानों को दिक्कत आ रही थी. पर चोटी पर कब्जा तो करना था. पाकिस्तानियों को भगाना था. सबसे आगे नींबू साहब थे. 

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ये है शहीद नीकेझाकुओ केनगुरुसे यानी नींबू साहब. 

नींबू साहब ने जब चढ़ने की कोशिश की तो उनके जूते फिसलने लगे. लेकिन तभी कुछ सोचकर अचानक उन्होंने अपने जूते उतारने शुरू कर दिए. इतनी ठंड में जूते उतारना ख़तरनाक था. उन्हें फ्रॉस्ट बाइट हो सकता था. लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, नींबू साहब ने मोजे भी उतार दिए. नंगे पैर चट्टान पर ऊपर चढ़ गए. 

फिर धीरे-धीरे अपने बाकी साथियों को ऊपर चढ़ाया. ऊपर चढ़ने के बाद नींबू साहब ने रॉकेट लांचर से फायर किया और एक के बाद एक करके, सात पाकिस्तानी बंकरों को तबाह कर दिया. जवाबी फायरिंग में नींबू साहब को गोली लगी. बावजूद इसके दुश्मनों से लड़ते रहे. आखिरकार नींबू साहब के साथियों ने पोस्ट को अपने कब्जे में ले लिया. लेकिन जब पीछे अपने हीरो की तरफ मुड़े तो वो खाई में गिर चुके थे. नींबू साहब जा चुके थे. साथियों की आंखों में आंसू थे. सब एक ही बात दोहरा रहे थे..''ये आपकी जीत है नींबू साहब, ये आप की जीत है". 

जब भारतीय सेना के आला अधिकारी से मिला तो रोने लगा पाकिस्तानी फौजी 

ये हैं ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा, जो करगिल युद्ध के दौरान मजबूत रणनीति बनाने के लिए जाने जाते हैं. 

अभी टाइगर हिल पर हमला नहीं हुआ था उससे दो दिन पहले ही हिंदुस्तानी फौज ने एक पाकिस्तानी फौजी मोहम्मद अशरफ को पकड़ लिया था. वो बुरी तरह जख्मी था. ब्रिगेडियर एमपीएस बाजवा ने अपने जवानों से उसे उनके सामने लाने को कहा. जिसके बाद इस पाकिस्तानी फौजी को जब ब्रिगेडियर के सामने पेश किया गया और उसके आंखों की पट्टी खोली गई तो वो जोर-जोर से रोने लगा. जब ब्रिगेडियर ने रोने की वजह पूछी तो वो बहुत ही चौंकाने वाला था. पाकिस्तानी फौजी ने कहा कि उसने कभी अपनी पूरी जिंदगी में कमांडर नहीं देखा था. पाकिस्तान में इतना बड़ा अफसर उनसे बात करना तो दूर उनके पास भी नहीं आता. इसी वजह से वो इतने हाई रैंकिंग अफसर को देखकर अपने आंसू नहीं रोक पाया.  

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जब इज़रायल ने की करगिल युद्ध जीतने में भारत की मदद 

भारत और पाकिस्तान में जंग तेज थी. भारत अपना पूरा जोर लगा रहा था लेकिन कहीं न कहीं भारत को इस बात का एहसास था की ये जंग लंबी चलेगी. इसे जीतने के लिए उन्हें एडवांस इक्विपमेंट्स की जरूरत पड़ेगी. इसके साथ ही अब करगिल में वायुसेना की एंट्री हो गई थी. जिसके बाद अब इस जंग में मिराज फाइटर जेट का इस्तेमाल किया गया. 

मिराज से दुश्मन को टारगेट करने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा था जिसके बाद भारत ने इज़रायल से सम्पर्क किया. दरअसल इज़रायल से लाइटनिंग इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल टार्गेटिंग पॉड्स खरीदने के लिए भारत ने 1997 में डील की थी. इन पॉड्स की खासियत ये थी कि इनमें लेज़र डेज़िग्नेटर के अलावा एक तगड़ा कैमरा लगा था जो टार्गेट की तस्वीर दिखाता था. 

भारत ने इजरायल से जल्द डिलीवरी की बात कही जिसमें अभी काफी वक्त था. लेकिन इज़रायल ने भारत की मदद की और अपने कुछ इंजीनियर भारत भेजे जिसके बाद मिराज फाइटर जेट्स में इस डिवाइस को लगाया गया.

टाइगर हिल जीतने से पहले ही हुआ जीत का ऐलान

उस वक्त भारत के रक्षा मंत्री जार्ज फ़र्नांडिस थे. टाइगर हिल अब भी भारत के हाथ से बाहर था. पाकिस्तानी घुसपैठिए उसपर कब्जा जमाए बैठे थे. भारत के 2 जांबाज अफसर लेफ़्टिनेंट बलवान सिंह और कैप्टन सचिन निंबाल्कर टाइगर हिल फतह करने से बस 50 मीटर ही नीचे थे. ब्रिगेड मुख्यालय तक संदेश पहुंचा, 'दे आर शॉर्ट ऑफ़ द टॉप.' यानी कि टाइगर हिल की चोटी अब बस कुछ ही दूर है. 

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श्रीनगर से दिल्ली पहुंचते-पहुंचते इस संदेश की भाषा बिलकुल बदल गई थी. दिल्ली में इसे 'दे आर ऑन द टाइगर टॉप' समझा गया. फिर क्या था, जिस वक्त ये खबर रक्षा मंत्री तक पहुंची उस दौरान वो पंजाब में एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे. उसी दौरान उन्होंने ऐलान कर दिया कि टाइगर हिल पर अब भारत का कब्ज़ा हो गया है. हालांकि भारतीय सेना ने बाद में टाइगर हिल पर भारत का झंडा फहरा दिया था.

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