
कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार के पास कांग्रेस की गारंटियों को पूरा करने के लिए भले ही फंड की कमी हो, लेकिन विधानसभा में विधायकों की लग्जरी के लिए पैसे की कोई कमी नजर नहीं आती. विधायकों के लिए आलीशान रिक्लाइनर, मसाज कुर्सियां और हाई-एंड ऑफिस रेनोवेशन को हरी झंडी दे दी गई है. स्पीकर यूटी खादर ने विधायकों के ऑफिस और अन्य कार्यालयों में 3 करोड़ रुपये खर्च करके स्मार्ट लॉक लगाने का प्रस्ताव दिया है.
कर्नाटक की विधानसभा ने दो मसाज कुर्सियां किराए पर ली हैं, जिनमें से प्रत्येक की कीमत लगभग 10,000 रुपये प्रति दिन है, साथ ही 15 रिक्लाइनर भी रेंट पर लिए गए हैं. एक रिक्लाइनर का रेंट 1500 रुपये प्रति दिन है. स्पीकर खादर ने विधानसभा में विधायक बेहतर कार्य कर सकें, इसके लिए इस कदम को आवश्यक बताया और दृढ़तापूर्वक अपने फैसले का बचाव किया. इस बीच, विधानसभा के बाहर सड़कें गड्ढों से भरी हुई हैं, नालियां जाम हैं और नागरिकों को खराब इंफ्रास्ट्रक्चर से रोज जूझना पड़ रहा है.
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विजयनगर के विधायक एचआर गविअप्पा ने नवंबर 2024 में अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए फंड की कमी की बात कही थी. उन्होंने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार दोनों पर निराशा व्यक्त की थी. लगभग उसी समय, भाजपा नेताओं ने बेंगलुरु के जयनगर को बारिश के बाद मरम्मत कार्यों के लिए 10 करोड़ रुपये का फंड नहीं मिलने का आरोप लगाया था. बीजेपी ने इसके लिए राजनीतिक पूर्वाग्रह को जिम्मेदार ठहराया था, क्योंकि इस निर्वाचन क्षेत्र का विधायक उनकी पार्टी का है.
जनता के काम के लिए फंड का रोना
कोप्पल से कांग्रेस विधायक राघवेंद्र हितनाल ने भी 5 जनवरी, 2025 को कहा था कि कांग्रेस की गारंटी योजनाओं पर आने वाले खर्च के कारण जरूरी विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं. यहां तक कि डीके शिवकुमार ने भी आर्थिक तंगी से इनकार नहीं किया. कर्नाटक में सत्ता में आने के तुरंत बाद, कांग्रेस विधायकों ने सिद्धारमैया को पत्र लिखकर कहा कि मंत्री उनके निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्य कराने के लिए सहयोग नहीं कर रहे हैं. 27 जुलाई, 2023 को डीके शिवकुमार ने कहा था कि गारंटी योजनाओं को पूरा करने में सारा पैसा चला जा रहा, और किसी भी नई विकास परियोजना के लिए कोई फंड नहीं है.
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ऐसा नहीं है कि सिर्फ विकास परियोजनाएं ही रुकी हुई हैं. कर्नाटक में कांग्रेस की 'गारंटी योजनाएं' भी ठीक से नहीं चल रहीं. महिलाओं को कैश ट्रांसफर से लेकर मुफ्त राशन तक, सभी योजनाओं के भुगतान में दो से तीन महीने की देरी हो रही है. इससे लाभार्थी वर्ग में कांग्रेस सरकार के प्रति काफी नाराजगी भी है. सिद्धारमैया सरकार ने इस अव्यवस्था के लिए केंद्र पर धन जारी नहीं करने का आरोप लगाया, जबकि भाजपा ने कांग्रेस पर गैर-जिम्मेदाराना तरीके से खर्च करने और राजकोषीय प्रबंधन पर वोट-बैंक की राजनीति को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया.
पार्टी पहले, जनता का कल्याण बाद में?
जब सार्वजनिक परियोजनाओं की बात आती है तो सरकारी अधिकारी फंड नहीं होने की बात करते हैं, लेकिन कांग्रेस पार्टी को राज्य में प्रॉपर्टी हासिल करने में कोई परेशानी नहीं होती है. सिद्धारमैया सरकार ने हाल ही में कांग्रेस को अपना नया पार्टी कार्यालय बनाने के लिए रियायती दर पर भूमि आवंटन को मंजूरी दी है. भाजपा नेताओं ने इस कदम की आलोचना की और सवाल उठाया कि जब बात जनता के काम की आती है तो फंड की कमी का हवाला दिया जाता है, लेकिन जब बात पार्टी के हितों की होती है तो फंड की कमी नहीं रहती.
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सितंबर 2023 में, सत्ता में आने के कुछ ही महीनों बाद, कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने 33 हाई-एंड हाइब्रिड कारें खरीदने के लिए 9.9 करोड़ रुपये मंजूर किए. हर मंत्री को एक नई कार मिलनी थी. भाजपा के अश्वथ नारायण ने कहा, 'कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को धन का उपयोग लोगों के कल्याण के लिए करने की जरूरत है. सिद्धारमैया सरकार को 2 वर्ष से अधिक हो गए हैं और लेकिन वे लोगों की सुध नहीं ले रहे हैं. ये सब एक फैशन बन गया है.' कह सकते हैं कि कर्नाटक में विकास कार्य भले फंड की कमी के कारण रुक सकते हैं, लेकिन सरकार अपने आराम का पूरा ध्यान रख रही है.
(दीप्ति राव की रिपोर्ट)