
कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया भ्रष्टाचार को लेकर विपक्ष के निशाने पर हैं. कथित मुडा घोटाले समेत उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं. विपक्ष ने इन मामलों को लेकर विधानसभा में हंगामा और धरना तक किया है. विपक्ष लगातार सिद्धारमैया से इस्तीफे की मांग कर रही है. लेकिन इसी बीच एक अजीब वाकया देखने को मिला है, जहां कांग्रेस के नेता ही 'अगला मुख्यमंत्री' बनने का सपना देख रहे हैं. यहीं नहीं वो इसके लिए अभियान भी चला रहे हैं.
सतीश जारकीहोली को सीएम बनाने की मांग
एक तरफ जहां राज्य में सिद्धारमैया को लेकर विपक्ष का हंगामा जारी है तो वहीं कांग्रेसी नेता सतीश जारकीहोली के समर्थक उन्हें राज्य का अगला मुख्यमंत्री बनाने का अभियान चला रहे हैं. बेलागावी में सतीश के समर्थन में सोशल मीडिया से लेकर अखबारों के इश्तहारों तक प्रचार किया जा रहा है. बेलागावी में सतीश जारकीहोली के समर्थकों ने पद खाली होने पर उन्हें कर्नाटक का अगला मुख्यमंत्री बनाने की वकालत करते हुए एक अभियान शुरू किया है. यह अभियान सोशल मीडिया तक सीमित नहीं है. बल्कि प्रमुख अखबारों में विज्ञापन देकर उनके पक्ष में समर्थक एक कदम आगे बढ़ गए हैं.
अखबारों में दिया जा रहा विज्ञापन
कर्नाटक के अखबारों में सतीश जारकीहोली को लेकर विज्ञापन दिए जा रहे हैं. रजनीश आचार्य फाउंडेशन द्वारा समर्थित इस अभियान में कहा गया है कि कई लोग बेलागावी को अपना पहला मुख्यमंत्री मिलने की कामना कर रहे हैं. सतीश के समर्थक भी इस अभियान में बड़े पैमाने पर जुटे हैं.
क्या बोले एमबी पाटिल
कर्नाटक के मंत्री एमबी पाटिल भी इस रेस में शामिल हैं. उन्होंने कहा कि अगर पार्टी फैसला करती है तो सीनियर या जूनियर का सवाल ही नहीं उठता. उन्होंने कहा कि एक दिन मैं जरूर इस सीएम पद पर काबिज हो जाउंगा. फिलहाल ये पद खाली नहीं है. उन्होंने कहा कि शिवानंद पाटिल के लिए यह अवसर अभी दूर है, क्योंकि वह जेडीएस/बीजेपी से आए हैं.
यह भी पढ़ें: कर्नाटक: हिजाब बैन करने वाले शिक्षक को नहीं करेंगे सम्मानित, विरोध के बाद सिद्धारमैया सरकार का यू-टर्न
जानें क्या है मुडा घोटाला
मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण को शॉर्ट फॉर्म में MUDA कहते हैं. मैसूर शहर के विकास कार्यों के लिए यह अथॉरिटी स्वायत्त संस्था यानी कि ऑटोनॉमस बॉडी है. जमीनों के अधिग्रहण और आवंटन का कार्य प्राधिकरण की ही जिम्मेदारी है. मामला जमीन घोटाले का है, इसलिए MUDA का नाम इस मामले में शुरू से जुड़ता आ रहा है. शुरू यानी कि 2004 से. यह मामला MUDA की ओर से उस समय मुआवजे के तौर पर जमीन के पार्सल के आवंटन से जुड़ा है जब सिद्धारमैया मुख्यमंत्री थे. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि इस प्रक्रिया में अनियमितताएं हुई हैं. इससे सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ है. इस मामले में MUDA और राजस्व विभाग के आला अधिकारियों के नाम भी सामने आये हैं.