
पिछले दिनों कर्नाटक सरकार ने विधानसभा में मंदिरों से टैक्स लेने वाला बिल पेश किया, जिसे लेकर काफी हंगामा हुआ. हालांकि बाद में यह बिल विधान परिषद से खारिज हो गया है. इन सबके बीच अब कर्नाटक सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है जिससे आने वाले दिनों में बवाल मचना तय माना जा रहा है. दरअसल राज्य सरकार ने विवादास्पद कदम उठाते हुए पशुपालन विभाग की 2 एकड़ जमीन अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को सौंप दी है.
मंत्री ने दिया था सुझाव
मंत्री जमीर अहमद खान ने पशुपालन विभाग की जमीन मौलाना आजाद/मोराजी देसाई स्कूलों के निर्माण के लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को हस्तांतरित करने का सुझाव दिया था. इसके बाद चामराजपेट में 2 एकड़ सरकारी जमीन अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को सौंप दी गई. एक पत्र में पत्र में पशु चिकित्सालय की जगह के अनुपयोगी होने का दावा किया गया है.
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पहले मंदिरों पर टैक्स का विवादित प्रस्ताव लाई थी सरकार
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले कर्नाटक सरकार ने विधानसभा में कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक पारित किया था जिसे लेकर उसकी काफी किरकरी हुई थी. इस विधेयक में कहा गया था कि जिन मंदिरों का राजस्व एक करोड़ रुपये से ज़्यादा है, सरकार उनकी आय का 10 प्रतिशत टैक्स वसूल करेगी.हालांकि विधान परिषद में ये विधेयक खारिज हो गया था.
तब भाजपा ने आरोप लगाया था कर्नाटक की कांग्रेस सरकार हिंदू विरोधी नीतियां अपना रही है और इसमें हिंसा, धोखाधड़ी और धन का दुरुपयोग होना तय है. वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार ने सारे आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि केवल ₹1 करोड़ से अधिक राजस्व वाले मंदिरों पर 10% की धनराशि ली जाएगी.
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सरकार ने दावा किया था कि इकट्ठा किए गए धन का इस्तेमाल "धार्मिक परिषद" उद्देश्यों के लिए किया जाएगा. जिससे पुजारियों की आर्थिक स्थिति बेहतर की जाएगी और सी-ग्रेड मंदिरों या जिन मंदिरों की स्थिति बहुत ख़राब है उनमें सुधार किया जाएगा तथा मंदिर के पुजारियों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाएगी.