Advertisement

पशुपालन की जमीन अल्पसंख्यक विभाग को देकर फिर घिर गई कर्नाटक की कांग्रेस सरकार

कर्नाटक सरकार ने एक और विवादास्पद कदम उठाया है. कर्नाटक सरकार ने पशुपालन विभाग की 2 एकड़ जमीन अल्पसंख्यक कल्याण को सौंप दी है. सरकार का दावा है कि यह जमीन उपयोग में नहीं हो रही थी, इसलिए इसे ट्रांसफर किया गया है.

सिद्धारमैया सरकार का एक और विवादित फैसला सिद्धारमैया सरकार का एक और विवादित फैसला
सगाय राज
  • बेंगलुरु,
  • 29 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 9:19 AM IST

पिछले दिनों कर्नाटक सरकार ने विधानसभा में मंदिरों से टैक्स लेने वाला बिल पेश किया, जिसे लेकर काफी हंगामा हुआ. हालांकि बाद में यह बिल विधान परिषद से खारिज हो गया है. इन सबके बीच अब कर्नाटक सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है जिससे आने वाले दिनों में बवाल मचना तय माना जा रहा है. दरअसल राज्य सरकार ने विवादास्पद कदम उठाते हुए पशुपालन विभाग की 2 एकड़ जमीन अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को सौंप दी है.

Advertisement

मंत्री ने दिया था सुझाव

मंत्री जमीर अहमद खान ने पशुपालन विभाग की जमीन मौलाना आजाद/मोराजी देसाई स्कूलों के निर्माण के लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को हस्तांतरित करने का सुझाव दिया था. इसके बाद  चामराजपेट में 2 एकड़ सरकारी जमीन अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को सौंप दी गई. एक पत्र में पत्र में पशु चिकित्सालय की जगह के अनुपयोगी होने का दावा किया गया है.

यह भी पढ़ें: कर्नाटक में मंदिरों से टैक्स लेने वाला बिल विधान परिषद से खारिज, BJP ने बताया था हिंदू विरोधी

पहले मंदिरों पर टैक्स का विवादित प्रस्ताव लाई थी सरकार

आपको बता दें कि कुछ दिन पहले कर्नाटक सरकार ने विधानसभा में कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक पारित किया था जिसे लेकर उसकी काफी किरकरी हुई थी. इस विधेयक में कहा गया था कि जिन मंदिरों का राजस्व एक करोड़ रुपये से ज़्यादा है, सरकार उनकी आय का 10 प्रतिशत टैक्स वसूल करेगी.हालांकि विधान परिषद में ये विधेयक खारिज हो गया था.

Advertisement

तब भाजपा ने आरोप लगाया था कर्नाटक की कांग्रेस सरकार हिंदू विरोधी नीतियां अपना रही है और इसमें हिंसा, धोखाधड़ी और धन का दुरुपयोग होना तय है. वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार ने सारे आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि केवल ₹1 करोड़ से अधिक राजस्व वाले मंदिरों पर 10% की धनराशि ली जाएगी.

यह भी पढ़ें: मंदिरों के चढ़ावे पर 10% का टैक्स... कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के फैसले पर क्यों मचा है बवाल?

सरकार ने दावा किया था कि इकट्ठा किए गए धन का इस्तेमाल "धार्मिक परिषद" उद्देश्यों के लिए किया जाएगा. जिससे पुजारियों की आर्थिक स्थिति बेहतर की जाएगी और सी-ग्रेड मंदिरों या जिन मंदिरों की स्थिति बहुत ख़राब है उनमें सुधार किया जाएगा तथा मंदिर के पुजारियों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाएगी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement