
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हासन से जनता दल (सेक्युलर) के सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना का चुनाव शुक्रवार को अमान्य घोषित कर दिया. जस्टिस के नटराजन ने अपने फैसले में निर्वाचन क्षेत्र के एक मतदाता जी देवराज गौड़ा और बीजेपी के तत्कालीन (2019 लोकसभा चुनाव) पराजित उम्मीदवार ए. मंजू की तरफ से दायर दो याचिकाओं को आंशिक रूप से अनुमति देते हुए निर्वाचन आयोग को चुनाव संबंधी नियमों के तहत रेवन्ना के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया.
रेवन्ना जद (एस) के संरक्षक और पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के पोते हैं और 2019 में कर्नाटक में लोकसभा चुनाव जीतने वाले पार्टी के एकमात्र उम्मीदवार हैं.
याचिका दायर करने वाली खुद जेडीएस में हुईं शामिल
मंजू, जिन्होंने भाजपा के टिकट पर रेवन्ना के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गईं, बाद में जेडी (एस) में शामिल हो गईं, और वर्तमान में विधायक हैं. याचिकाओं में दावा किया गया था कि रेवन्ना चुनावी कदाचार में शामिल थे और उन्होंने चुनाव आयोग के सामने अपनी संपत्ति की घोषणा नहीं की थी. न्यायमूर्ति के नटराजन ने शुक्रवार को अदालत में अपने फैसले का मुख्य भाग सुनाया.
हाईकोर्ट का आदेश
हालांकि, उच्च न्यायालय ने मंजू को विजयी उम्मीदवार घोषित करने की याचिकाकर्ताओं के अनुरोध को खारिज कर दिया, क्योंकि वह स्वयं ‘भ्रष्ट आचरण में संलिप्त थी.’ हाईकोर्ट ने कहा,'दोनों मामलों में ए मंजू को निर्वाचित उम्मीदवार घोषित करने की याचिकाकर्ताओं की प्रार्थना को इस निष्कर्ष के मद्देनजर खारिज कर दिया गया है कि वह खुद भ्रष्ट आचरण में शामिल हैं.' उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को चुनावी कदाचार के लिए प्रज्वल के पिता एचडी रेवन्ना (विधायक और पूर्व मंत्री) और भाई सूरज रेवन्ना (एमएलसी) के खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया.
हाईकोर्ट ने कहा, 'चुनाव के समय भ्रष्ट आचरण करने के लिए जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत शिकायत में एचडी रेवन्ना और सूरज रेवन्ना का नाम लिया गया है और साथ ही ए मंजू का नाम भी शामिल है, जो भ्रष्ट आचरण में शामिल है. चुनाव आयोग नोटिस जारी करेगा और चुनाव प्रक्रिया नियमों का अनुपालन करेगा.'
प्रज्वल ने छिपाई थी कई जानकारियां
याचिकाओं में कदाचार के साथ-साथ प्रज्वल द्वारा संपत्ति की घोषणा न करने के कई उदाहरण दिए गए थे. दावा किया गया था कि चेन्नाम्बिका कन्वेंशनल हॉल की कीमत कम से कम 5 करोड़ रुपये थी, लेकिन प्रज्वल ने इसकी कीमत केवल 14 लाख रुपये बताई थी. एक अन्य उदाहरण एक खाते में बैंक शेष 5 लाख रुपये घोषित किया गया था लेकिन कथित तौर पर 48 लाख रुपये जमा थे. यह आरोप लगाया गया था कि सांसद के पास बेनामी नाम पर कई संपत्तियां थीं और उन्होंने "आयकर धोखाधड़ी" भी की थी.