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Karnataka Hijab Row: 11 दिन की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

कर्नाटक में चल रहे हिजाब मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई लगातार चल रही थी. कोर्ट मामले पर जल्द फैसला देना चाहती थी. 11 दिन तक लगातार सुनवाई के बाद, अब कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

11 दिन की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित 11 दिन की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:31 PM IST
  • हाई कोर्ट ने वकीलों से शुक्रवार तक अपनी दलीलें खत्म करने को कहा था
  • कर्नाटक सरकार ने हाई कोर्ट में CFI से जुड़े डिटेल दिए

हिजाब मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट ने शुक्रवार को 11 दिन तक लगातार सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने गुरुवार को हिजाब मामले में वकीलों से शुक्रवार तक अपनी दलीलें खत्म करने को कहा था, क्योंकि अदालत इस मामले को लंबा खींचना नहीं चाहती थी और इस पर जल्द फैसला सुनाना चाहती थी. 

तीन न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी ने वकीलों से कहा था कि इस मामले पर बहस शुक्रवार तक समाप्त हो जाना चाहिए. उन्होंने पार्टियों से दो से तीन दिनों के भीतर अपनी लिखित दलीलें देने को भी कहा था.

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क्या था मामला 

आपको बता दें कि 1 जनवरी 2022 को उडुपी के एक कॉलेज की छह छात्राओं ने सीएफआई द्वारा शहर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाग लिया, जिसमें कॉलेज के अधिकारियों द्वारा हिजाब पहनकर कक्षाओं में प्रवेश से इनकार करने का विरोध किया था. छात्राओं ने प्रिंसिपल से कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति मांगी थी, जिसकी इजाज़त नहीं दी गई थी. कॉलेज के प्रिंसिपल रुद्रे गौड़ा का कहना था कि अब तक छात्राएं कैंपस में हिजाब पहन कर आती थीं, लेकिन उसे हटाकर क्लास में जाती थीं. 

उन्होंने कहा था, 'संस्थान में हिजाब पहनने का कोई नियम नहीं था, क्योंकि पिछले 35 सालों में कोई भी इसे कक्षा में नहीं पहनता था. जिन छात्राओं ने इसे क्लास में पहनने की मांग की थी, उन्हें बाहरी ताकतों का समर्थन है.' 

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कर्नाटक सरकार ने हाई कोर्ट में CFI के बारे में जानकारी दी

कर्नाटक हिजाब मामले का मुख्य केंद्र रहे पीयू कॉलेज ने सोमवार को कर्नाटक हाई कोर्ट को बताया कि कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) एक कट्टरपंथी संगठन था जो इस विवाद को तूल दे रहा था. पीयू कॉलेज के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता एसएस नागानंद ने कहा कि 2004 में कॉलेज द्वारा यूनिफॉर्म को अनिवार्य कर दिया गया था और अब तक कोई मुद्दा नहीं था. लेकिन इसके बाद, सीएफआई कुछ ऐसी छात्राओं से मिला, जो कॉलेज में हिजाब पहनना चाहती थीं. इसके बाद ही ये सब विवाद हुआ.

राज्य सरकार ने गुरुवार को हाई कोर्ट को सूचित किया कि सीएफआई के सदस्यों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, जिन्होंने उडुपी जिले के गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज में कुछ शिक्षकों को कथित तौर पर धमकी दी थी.

कोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार से सीएफआई की भूमिका जानना चाही थी. कार्रवाई शुरू होते ही राज्य के महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने हाई कोर्ट की बेंच को बताया कि एफआईआर दर्ज कर ली गई है. उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने बेंच को सीलबंद लिफाफे में सीएफआई से जुड़े डिटेल दिए हैं.

 

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