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कर्नाटक हिजाब मामले पर तुरंत सुनवाई से SC का इनकार

हिजाब बैन को लेकर कर्नाटक HC के फैसले के खिलाफ छात्राओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि होली की छुट्टी के बाद इस मामले को सुनवाई के लिए लगाया जाएगा.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 24 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 11:37 AM IST
  • छात्राओं की कोर्ट में दलील- हिजाब पहनना उनका अधिकार
  • कोर्ट ने कहा था- हिजाब इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं

हिजाब बैन को लेकर कर्नाटक HC के फैसले के खिलाफ छात्राओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तुरंत सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि होली की छुट्टी के बाद इस मामले को सुनवाई के लिए लगाया जाएगा. तब चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा था कि होली की छुट्टियों के बाद मामले की सुनवाई करेंगे.

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दरअसल, छात्राओं ने याचिका में दलील दी है कि संविधान के आर्टिकल 19(1)(a) के तहत हिजाब पहनना उनका अधिकार है. आर्टिकल 19(1)(a) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है. इससे पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि हिजाब इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है. कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 2 याचिकाएं दाखिल की गई हैं. याचिकाकर्ता की ओर से वकील संजय हेगड़े पेश हुए थे.

क्या है हिजाब विवाद?

कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद की शुरुआत जनवरी में हुई थी. यहां उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में 6 छात्राएं हिजाब पहनकर कॉलेज गई थीं. कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं को हिजाब पहनने के लिए मना कर दिया था. इसके बाद लड़कियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कॉलेज प्रशासन के खिलाफ विरोध दर्ज किया था. इसके कर्नाटक से लेकर पूरे देशभर में हिजाब को लेकर विवाद शुरू हो गया था. स्कूलों में हिजाब के समर्थन और विरोध में प्रदर्शन किए गए. ऐसे में कुछ छात्राओं ने स्कूल कॉलेजों में हिजाब पहनने की इजाजत मांगने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था. कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया.

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फैसला देने वाले 3 जजों को Y कैटेगरी सुरक्षा

हिजाब विवाद के बीच मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा था कि हिजाब विवाद पर फैसला देने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के तीनों न्यायाधीशों को मौत की धमकी मिलने के बाद 'वाई' श्रेणी की सुरक्षा देने का फैसला लिया गया. बेंगलुरु में अपने आवास के बाहर मीडिया से बात करते हुए बोम्मई ने कहा कि हमने हिजाब पर फैसला देने वाले तीनों जजों को 'वाई' श्रेणी की सुरक्षा देने का फैसला किया है. मैंने महानिदेशक और आईजी को विधानसौधा पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत की पूरी जांच करने का निर्देश दिया है, जिसमें कुछ लोगों ने जजों को जान से मारने की धमकी दी थी. तीन जजों में चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी भी शामिल हैं. मुख्य न्यायाधीश के अलावा, तीन-न्यायाधीशों की पीठ में जस्टिस कृष्णा दीक्षित और जस्टिस खाजी एम जयबुन्निसा भी शामिल थे. 

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