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Hijab Row: हिजाब विवाद सुनवाई के दौरान वकील ने कहा, यूनिफॉर्म बदलने से पहले नोटिस जारी करना था

हिजाब विवाद के बीच कर्नाटक में जारी विधानसभा सत्र में भी जोरदार हंगामा हुआ. पूर्व सीएम और कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने राज्य के सीएम की चुप्पी पर हैरानी जताई है.

Hijab विवाद को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई. (फाइल फोटो) Hijab विवाद को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई. (फाइल फोटो)
नलिनी शर्मा/नोलान पिंटो
  • बेंगलुरु,
  • 16 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 4:57 PM IST
  • हिजाब मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई
  • विवाद के बीच कर्नाटक में खुले स्कूल-कॉलेज

हिजाब मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने आज दोपहर 2.30 बजे से फिर सुनवाई शुरू हुई. वकीलों ने अदालत से इस मामले की समय सीमा तय करने और जल्द से जल्द फैसला देने को कहा. इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने कर्नाटक शिक्षा अधिनियम का हवाला दते हुए कहा कि नियम के तहत अगर कोई स्कूल या कॉलेज यूनिफॉर्म बदलते हैं तो बच्चों के अभिभावकों को एक साल पहले सूचित किया जाना चाहिए. इसके मुताबिक अगर हिजाब पर प्रतिबंध है तो इस बारे में भी एक साल पहले बताना चाहिए था.  

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वरिष्ठ अधिवक्ता प्रोफेसर रविवर्मा ने सुनवाई के दौरान कहा, सरकार सिर्फ  हिजाब को टारगेट क्यों कर रही है, चूड़ी पहने हिंदू लड़कियों और क्रॉस पहनने वाली ईसाई लड़कियों को बाहर क्यों नहीं भेजा जाता है. उन्होंने कहा कि मुस्लिम लड़कियों के साथ भेदभाव विशुद्ध रूप से धर्म पर आधारित है.

सीनियर एडवोकेट प्रोफेसर रविवर्मा कुमार आगे कहते हैं कि सरकार के आदेश में हिजाब पर कोई पाबंदी नहीं है. इसलिए सवाल यह है कि किसी नियम के आधार पर मुस्लिम छात्राओं को क्लास से बाहर रखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस तथ्य पर ध्यान देना बहुत जरूरी है कि कॉलेज विकास समिति कोई प्राधिकरण नहीं है जो नियमों के तहत स्थापित या मान्यता प्राप्त हो. इसलिए इस समिति के पास पुलिस जैसे अधिकार नहीं हो सकते हैं. वकील ने कहा कि  इस तरह की समिति का गठन हमारे लोकतंत्र को आघात देता है. 

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सीनियर वकील कुमार का कहना है कि कॉलेज विकास समितियों (सीडीसी) का गठन 2014 में एक सर्कुलर जारी करके किया गया था, न कि एक आदेश द्वारा. सर्कुलर में कहा गया है कि समितियों का गठन अनुदानों के उपयोग के साथ-साथ शिक्षा मानकों को बनाए रखने के उद्देश्य से किया जाना है. यह सीडीसी छात्रों के कल्याण के लिए नहीं है. सीडीसी के तहत विधायक प्रशासन संभालते हैं. इसलिए कुमार ने तर्क दिया कि किसी समिति का अध्यक्ष जो एक विधायक भी है, वो किसी राजनीतिक दल का प्रतिनिधि होता है. क्या आप छात्र-छात्राओं के कल्याण को किसी विचारधारा के प्रतिनिधि के हाथों सौंप सकते हैं?    

बता दें कि, चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.

उधर, राज्य में प्री-यूनिवर्सिटी और डिग्री कॉलेज आज फिर से खुल गए हैं. हालांकि, कई क्षेत्रों से छात्रों और कॉलेज के अधिकारियों के बीच विवाद की खबरें आई थीं, जब लड़कियों को अपने हिजाब को हटाने और क्लास में बैठने के लिए कहा गया था. इस बीच, बागलकोट, बेंगलुरु, चिक्काबल्लापुरा, गडग, शिमोगा, तुमकुर, मैसूर, उडुपी और दक्षिण कन्नड़ में धारा 144 लागू कर दी गई है.

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शिक्षा मंत्री बोले- सिर्फ 2-3 स्कूलों से लड़कियां वापस गईं

हिजाब विवाद के बीच स्कूल-कॉलेज खुलने पर कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा, मुझे खुशी है कि सभी स्कूल ठीक से चल रहे हैं और लगभग सभी छात्र-छात्राओं ने कक्षाओं में भाग लिया है, जबकि केवल 2-3 स्कूलों से लड़कियां वापस चली गईं. उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले की कॉपी मिलने के बाद हम इस संबंध में आगे का निर्णय करेंगे.  

विधानसभा में हंगामा

वहीं, बुधवार को हिजाब विवाद के बीच कर्नाटक में जारी विधानसभा सत्र में जोरदार हंगामा हुआ. जिसके चलते दोपहर 3 बजे तक सदन का स्थगित करना पड़ा. पूर्व सीएम और विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने राज्य के सीएम बसवराज बोम्मई की चुप्पी पर हैरानी जताई है.   

 

 

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