
जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष रहीं शेहला रशीद ने कश्मीर को लेकर बड़ी टिप्पणी की साथ ही पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की तारीफ में कसीदे काढ़े हैं. शेहला ने कश्मीर की स्थिति पर अपनी राय रखते हुए कहा कि, कश्मीर गाजा नहीं है. उन्होंने इसके साथ यह भी कहा कि, कश्मीर में बदलाव के लिए मैं इसका श्रेय पीएम मोदी को देना चाहूंगी, जिन्होंने ऐसी राजनीतिक स्थिति तय की, जो रक्तहीन थी.
आज की बदली स्थिति के लिए आभारी हूंः शेहला रशीद
शिक्षाविद और जेएनयू में छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष रहीं शेहला रशीद से पत्थरबाजों को लेकर एक सवाल किया गया. जब उनसे पूछा गया कि पहले के समय में आपकी सहानुभूति पत्थरबाजों के साथ रही है? इस पर उन्होंने कहा कि.. हां ऐसा 2010 में था, लेकिन लेकिन आज जब मैं बदली हुई स्थिति देखती हूं तो मैं आज की स्थिति के लिए बहुत अधिक आभारी हूं.
मोदी-शाह की तारीफ की
कश्मीर गाजा नहीं है, यह बात स्पष्ट हो गई है. क्योंकि कश्मीर सिर्फ विरोध-प्रदर्शनों में शामिल था और आप उग्रवाद, घुसपैठ की छिटपुट घटनाओं को जानते हैं. बदली हुई स्थिति के लिए मैं वर्तमान सरकार, खासकर प्रधानमंत्री को श्रेय देना चाहूंगीं. इसके साथ ही गृहमंत्री अमित शाह को भी, जिन्होंने इसके लिए एक ऐसी राजनीतिक स्थिति सुनिश्चित की है, जिसे रक्तहीन कहना चाहिए.
मोदी सरकार की रही हैं घोर आलोचक
बता दें कि शेहला रशीद, केंद्र की नीतियों की आलोचक रही हैं और वर्तमान मोदी सरकार का उन्होंने पहले कई मौकों विरोध किया था. जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था तो जेएनयू छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला रशीद ने इसके खिलाफ जोरदार विरोध दर्ज कराया था. तब शेहला रशीद ने सेना पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि सेना लोगों के घरों में घुस रही है, लोगों को उठा रही है, मारपीट कर रही है. शेहला के इन आरोपों का सेना ने सिरे से खंडन किया था.
370 के फैसले को दी थी चुनौती, बाद में याचिका ली वापस
लेकिन बीते कुछ वक्त से शेहला रशीद में वैचारिक बदलाव दिखता सा लग रहा है. शेहला ने 15 अगस्त को एक ट्वीट कर कहा था कि कश्मीर में मानवाधिकार रिकॉर्ड लगातार सुधर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने एक ही कोशिश में कश्मीरियों की पहचान के संकट को खत्म कर दिया है.
शेहला ने ऊर्जा और प्रदूषण जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की तारीफ की थी. उन्होंने कहा कि अब कश्मीर की नई पीढ़ी को संघर्ष के माहौल में बड़ा नहीं होना पड़ेगा. बता दें कि शहला रशीद ने जम्मू-कश्मीर के आईएएस शाह फैसल के साथ सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के फैसले को चुनौती दी थी. लेकिन इसी साल जुलाई में आईएएस अधिकारी शाह फैसल और एक्टिविस्ट शहला राशिद ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिकाएं वापस ले ली थी.