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अगर केरल सरकार का अध्यादेश राज्यपाल को टारगेट करेगा तो राष्ट्रपति के पास भेजेंगे: आरिफ मोहम्मद खान

केरल सरकार के अध्यादेश पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि अगर विजयन सरकार का अध्यादेश राज्यपाल की शक्तियों को प्रभावित करेगा तो उस मामले में मैं खुद जज नहीं बनूंगा, उसे राष्ट्रपति के पास भेज दूंगा.

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (फाइल फोटो) केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST

केरल सरकार राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को यूनिवर्सिटीज के चांसलर के पदों से हटाने की तैयारी कर रही है. इसको लेकर सरकार एक अध्यादेश लाने की तैयारी कर रही है. इसको लेकर राज्यपाल ने कहा है कि अगर सीपीएम सरकार द्वारा कोई अध्यादेश उनके अधिकारों को लेकर भेजा गया है तो वह इस पर फैसला नहीं देंगे और इसे राष्ट्रपति को भेजेंगे. 

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दिल्ली में शनिवार को पत्रकारों से बात करते हुए राज्यपाल ने कहा कि उन्हें अभी अध्यादेश देखना और पढ़ना है, इसके बाद ही वो कोई फैसला लेंगे. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि अगर केरल सरकार के इस अध्यादेश में मुझे टारगेट किया गया है तो मैं इसमें न्यायाधीश नहीं बनूंगा. मैं इसे अभी घोषित नहीं करूंगा. पहले इसे देखूंगा, पढ़ूंगा और अगर मैं इस इस निष्कर्ष पर पहुंचता हूं कि मुझे टारगेट बनाया गया है तो मैं इस पर साइन नहीं करूंगा. मैं इसको राष्ट्रपति के पास भेज दूंगा.  

इस बीच केरल के स्थानीय स्वशासन और आबकारी राज्यमंत्री एमबी राजेश ने कहा कि सरकार राज्यपाल से संविधान के अनुसार कार्य करने की अपेक्षा करती है. उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए तिरुवनंतपुरम में कहा कि राज्य सरकार ने संविधान के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग किया, उसके बाद इस अध्यादेश को लेकर आई अब उसे राज्यपाल को भेजा गया है. 

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उन्होंने कहा कि यह कानूनी, संवैधानिक और नियमों के अनुसार है. हम अब केवल यह उम्मीद कर सकते हैं कि हर कोई संविधान के अनुसार काम करेगा. राजभवन के एक सूत्र ने बताया कि खान शनिवार शाम दिल्ली पहुंचे थे. उससे पहले केरल की लेफ्ट सरकार ने राजभवन को राज्य में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से राज्यपाल को हटाने के लिए अपना अध्यादेश भेजा था.

9 नवंबर को अध्यादेश लेकर आई थी सरकार

केरल कैबिनेट ने 9 नवंबर को विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के पद से हटाने वाला अध्यादेश लाने का फैसला लिया था. इसका उद्देश्य प्रख्यात शिक्षाविदों को राज्यपाल के स्थान पर राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में नियुक्त करना है. विजयन सरकार के फैसले का कांग्रेस और भाजपा दोनों ने विरोध किया है क्योंकि दोनों दलों ने आरोप लगाया है कि इस कदम का उद्देश्य केरल में विश्वविद्यालयों को 'कम्युनिस्ट केंद्रों' में बदलना था.  

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बनाया था आधार 

केरल के राज्यपाल ने 9 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को इस्तीफे का निर्देश देने के पीछे सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी के नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर एमएस राजश्री की नियुक्ति को रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि यूजीसी नियमों के अनुसार कुलपति का चयन करने के लिए पैनल को तीन नाम की सिफारिश करनी होती है, लेकिन यहां केवल एक नाम बढ़ाया गया, जो नियमों का उल्लंघन है. 

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केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने 9 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से इस्तीफा मांगने के पीछे सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले को आधार बताया था. हालांकि, कुलपतियों ने केरल हाईकोर्ट का रुख किया और हाईकोर्ट ने उन्हें राहत दे दी थी.  

 

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