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केरल को राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की कोशिश, प्रोपेगेंडा फिल्में इसका हिस्सा: पिनाराई विजयन

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि केरल की सामाजिक और सांस्कृतिक उत्कृष्टता को खत्म करने के लिए देश में संगठित प्रयास चल रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर पर केरल को बदनाम करने के लिए नापाक अभियान और प्रोपेगेंडा फिल्में भी इसका हिस्सा हैं.

पिनाराई विजयन-फाइल फोटो पिनाराई विजयन-फाइल फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:45 AM IST

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि केरल की सामाजिक और सांस्कृतिक उत्कृष्टता को खत्म करने के लिए देश में संगठित प्रयास चल रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर पर केरल को बदनाम करने के लिए नापाक अभियान और प्रोपेगेंडा फिल्में भी इसका हिस्सा हैं. मुख्यमंत्री तिरुवनंतपुरम में केरल पुनर्जागरण समिति के राज्य नेतृत्व सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे थे.

मुख्यमंत्री ने कालामस्सेरी घटना की ओर इशारा करते हुए कहा कि समाज में घट रही कुछ समसामयिक घटनाएं किसी के लिए भी चिंता का विषय हैं. सीएम ने कहा कि कालामस्सेरी में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना की खबर सुनी, इसे सांप्रदायिक रंग देने और सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काकर सांप्रदायिक संघर्ष पैदा करने का प्रयास किया गया. कुछ ताकतवर ताकतों ने इसके लिए काम करना शुरू कर दिया. लेकिन केरल इसका विरोध करने के लिए एकजुट रहा.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भी देखा गया कि नेताओं को ही सांप्रदायिक प्रचार का शिकार बनाने की कोशिश हो रही है. इसे पहचाना जाना चाहिए और इसका बचाव किया जाना चाहिए. संघर्षों और प्रगतिशील विकास के परिणामस्वरूप केरल विश्व स्तर पर ध्यान आकर्षित कर चुका है. सीएम ने कहा कि देश में इसे अन्यथा दिखाने की भरपूर कोशिशें हो रही हैं. एक तरह का प्रचार है कि देश का इतिहास सिर्फ एक खास वर्ग का है. उसके लिए असली इतिहास को छुपाया जाता है और नकली इतिहास बनाया जाता है. प्रगतिशील सोच वाला समाज इसे स्वीकार कर आगे नहीं बढ़ सकता. इसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.

सीएम ने कहा कि जो चीज़ भाईचारे को संभव बनाती है वह धर्मनिरपेक्षता है. धर्मनिरपेक्ष समाज और जाति मुक्त समाज में अंतर है. जाति-मुक्त समाज जाति न पूछो, न बताओ के सिद्धांत पर आधारित है. इसका मतलब यह है कि जाति लुप्त हो जाती है या अप्रासंगिक हो जाती है. एक धर्मनिरपेक्ष समाज धर्म के बिना समाज नहीं है. यहां धर्म और आस्था की स्वतंत्रता है.

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पिनाराई विजयन ने कहा कि वह सब कायम रखते हुए लोग बिना धर्म पूछे या बताए भाईचारे के साथ रह रहे हैं. यहां धर्म की कोई अस्वीकृति नहीं है, केवल धर्म के राजनीतिक दुरुपयोग की अस्वीकृति है. अलग-अलग धार्मिक मान्यताएं होने पर भी मन में एकजुट रहना केरल समाज का सहज स्वभाव है. इसलिए मेरा तात्पर्य यह है कि धर्म का त्याग न करें और साथ ही उसका दुरुपयोग भी न करें. इस प्रवृत्ति को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. पुनरुद्धार समिति को इसके विरुद्ध सावधानी के साथ हस्तक्षेप करने में सक्षम होना चाहिए.

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