
केशवानंद भारती का आज केरल में निधन हो गया. केशवानंद भारती वही शख्स थे जिनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की आधारभूत संरचना को अक्षुण्ण रखने का फैसला दिया था. केशवानंद भारती 79 वर्ष के थे. उनका निधन केरल के कासागोड़ जिले में एडानीर स्थित आश्रम में आज सुबह हुआ.
इसी मामले में देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट देश के संविधान का गार्जियन है. अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि संविधान में बदलाव तो किया जा सकता है लेकिन उसकी आधारभूत संरचना के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. 79 साल के संत कासरगोड़ में एडनेर मठ के प्रमुख थे. उनका पूरा नाम केशवानंद भारती श्रीपदगालवारु था. गृहमंत्री अमित शाह ने भी उनके निधन पर शोक जताया है.
केशवानंद भारती ने लगभग 40 साल पहले केरल सरकार के भूमि सुधार कानून को चुनौती दी थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खुद सुप्रीम कोर्ट ही संविधान की मूल ढांचे का संरक्षक है. इस मामले में सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में 13 जजों की अबतक की सबसे बड़ी बेंच बैठी थी. केस में पूरे 68 दिनों तक सुनवाई चली. मुकदमे की सुनवाई 31 अक्टूबर 1972 को शुरू हुई और 23 मार्च 1973 तक चली. फैसला 24 अप्रैल 1973 को हुआ.
अदालत ने 24 अप्रैल 1973 को 7:6 के बहुमत से फैसला दिया था कि संसद संविधान के किसी भी हिस्से में उतना ही बदलाव कर सकती है जबतक कि संविधान के बुनियादी ढांचे पर असर न हो. इस फैसले का निष्कर्ष ये निकला कि संसद के पास संविधान को संशोधित करने की शक्ति है, लेकिन यह तबतक ही प्रभावी होगा जबतक संविधान के मूलभूत ढांचे में किसी तरह का बदलाव न किया जाए.
हालांकि इस मामले में केशवानंद भारती को निजी रूप से राहत नहीं मिली थी, लेकिन इस मुकदमे की वजह से एक महत्वपूर्ण सिद्धांत का प्रतिपादन हुआ. इसी फैसले की वजह से संसद का अधिकार सीमित हो सका.