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आंदोलन से जुड़े ट्विटर अकाउंट सस्पेंड, SKM ने बताया आपातकाल का उदाहरण, तीस्ता सीतलवाड़ की भी रिहाई की मांग

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि किसान-मजदूरों की इतनी मजबूत आवाज को सरकार द्वारा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंधित करना न केवल लोकतंत्र के लिए खतरनाक है, बल्कि आपातकाल का जीता जागता उदाहरण भी है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 जून 2022,
  • अपडेटेड 5:45 AM IST
  • किसान आंदोलन से जुड़े ट्विटर अकाउंट सस्पेंड
  • एसकेएम ने की अकाउंट बहाल करने की मांग
  • तीस्ता सीतलवाड़ समेत कई लोगों की रिहाई की मांग

संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के निर्देश पर दर्जनों ट्विटर अकाउंट बंद किए जाने का विरोध किया है, जिसमें किसान आंदोलन से जुड़े अकाउंट भी शामिल हैं. इसके साथ की किसान मोर्चा ने कहा कि वो तीस्ता सीतलवाड़, आरबी श्रीकुमार, संजीव भट्ट पर हो रही कार्रवाई के खिलाफ है.  

संयुक्त किसान मोर्चा केंद्र सरकार के निर्देश पर कृषि आंदोलन से जुड़े ट्विटर अकाउंट को बंद करने का कड़ा विरोध और निंदा करता है. ट्विटर ने भारत में बिना किसी नोटिस के लगभग एक दर्जन ट्विटर अकाउंट बंद कर दिए हैं, जिसमें ट्विटर हैंडल @kisanektamorcha फार्म मूवमेंट से शामिल है. इनमें ट्रैक्टर से लेकर ट्विटर तक जैसे अहम अकाउंट शामिल हैं. मोर्चा का कहना है कि इस खास बात ये है कि सरकार ने ट्विटर अकाउंट बंद करने के लिए आपातकाल के दिन को चुना है.  

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आपातकाल वाले दिन हुई कार्रवाई

मोर्चा की ओर से कहा गया है कि 1975 में जिस दिन आपातकाल लगाया गया था, वो भारत के लोकतंत्र में काला दिन माना जाता है. आपातकाल के समय सरकार ने अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को कुचल दिया था. इसी तरह बीजेपी ने उसी दिन ट्विटर पर सरकार से सवाल करने कई अकाउंट बंद करवा दिए. 

लाखों फॉलोवर्स वाले अकाउंट सस्पेंड

जब किसान आंदोलन शुरू हुआ तो आंदोलन के खिलाफ तरह-तरह झूठी खबरें फैलाई जा रही थीं. किसान आंदोलन में सक्रिय युवाओं ने किसान एकता मोर्चा, ट्रैक्टर से ट्विटर जैसे ट्विटर अकाउंटर बनाकर किसानों की आवाज को दुनिया के सामने लाने की कोशिश की. इन अकाउंट्स के लाखों फॉलोवर्स थे. एक साल से अधिक समय तक चले किसान आंदोलन के दौरान इन खातों ने आंदोलन की गतिविधियों पर बहादुरी से रिपोर्ट की और सरकार द्वारा आंदोलन और प्रदर्शनकारियों के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया. इन चैनलों के माध्यम से किसानों की आवाज गांव से निकलकर बड़े शहरों और दुनिया भर में पहुंची और सही मायने में किसानों की आवाज ट्रैक्टर से लेकर ट्विटर तक पहुंची. 

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किसान मोर्चा ने बताया आपातकाल

किसान-मजदूरों की इतनी मजबूत आवाज को सरकार द्वारा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंधित करना न केवल लोकतंत्र के लिए खतरनाक है, बल्कि आपातकाल का जीता जागता उदाहरण भी है. किसान आंदोलन से जुड़े ट्विटर अकाउंट पर केंद्र सरकार द्वारा लगाया गया प्रतिबंध इस सरकार द्वारा मानवाधिकारों के खिलाफ हमले के एक बड़े अभियान का हिस्सा है.  

सीतलवाड़ समेत कई लोगों की रिहाई की मांग

इसी अभियान के तहत 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों के लिए न्याय के लिए लड़ने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी आरबी श्रीकुमार को भी 26 जून को गिरफ्तार किया गया था. साथ ही पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ एक और मामला दर्ज किया गया. हम केंद्र सरकार के इस तानाशाही व्यवहार का कड़ा विरोध और निंदा करते हैं. किसान मोर्चा ने सरकार पर आरोप लगाया है कि जो लोग न्याय की मांग कर रहे हैं, उन्हें गिरफ्तार कर लिया जा रहा है. 

एसकेएम की सरकार से मांग

संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार से मांग की है कि किसान एकता मोर्चा और ट्विटर से ट्रैक्टर समेत सभी ट्विटर अकाउंट, जिन्हें अलोकतांत्रिक और अनुचित तरीके से बंद कर दिया गया है, उन्हें बहाल किया जाए. इसके अलावा मोर्चा ने मांग की है कि तीस्ता सीतलवाड़, आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट को भी बिना शर्त रिहा किया जाए और गुजरात दंगों के पीड़ितों को न्याय सुनिश्चित किया जाए.
 

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