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कौन है हमास का कमांडर खालिद मशेल? केरल की रैली में जिसके दिखने पर मचा है बवाल

Khaled Mashal: आज से ठीक तीन दिन पहले केरल के मलप्पुरम में फिलिस्तीन के समर्थन में रैली निकाली गई. इस रैली को हमास कमांडर और हमास पोलित ब्यूरो के पूर्व चीफ खालिद मशेल ने भी संबोधित किया. इस मुद्दे को लेकर अब देशभर में सियासी बयानबाजी चालू हो गई है.

खालिद मशेल (फोटो- ynet न्यूज) खालिद मशेल (फोटो- ynet न्यूज)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 1:20 PM IST

खालिद मशेल (khaled mashal)... 67 साल के इस हमास नेता का नाम इन दिनों पूरे भारत में चर्चा में है. दरअसल, जमात-ए-इस्लामी की यूथ विंग सॉलिडेरिटी यूथ मूवमेंट (SYM) ने 27 अक्टूबर को केरल के मलप्पुरम में फिलिस्तीन के समर्थन में एक रैली आयोजित की. रैली को खालिद मशेल ने कतर से ऑनलाइन संबोधित किया. खालिद ने इस रैली में इजरायल के साथ-साथ बुलडोजर और हिंदुत्व को भी निशाने पर लिया. तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर यह खालिद मशेल है कौन? और भारत में इसे लेकर क्या बवाल मचा हुआ है.

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यूरोपियन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस (ECFR) के मुताबिक खालिद मशेल फिलहाल हमास के कतर में स्थित 'बाहरी' पोलित ब्यूरो का चीफ है. हमास की बेहद शक्तिशाली पोलित ब्यूरो के पूर्व चीफ खालिद मशेल का जन्म जन्म 1956 में वेस्ट बैंक के सिलवाड शहर में हुआ. हमास के लिए मशेल की अहमितय का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह 1996 से 2017 तक हमास के पोलित ब्यूरो का चीफ रहा. 1967 में वह कुवैत चला गया, जहां 1990 तक रहा. कुवैत यूनिवर्सिटी में उसने फिलिस्तीनी इस्लामी आंदोलन को लीड किया.

इसके बाद 1990 में खाड़ी युद्ध शुरू होने के बाद खालिद जॉर्डन चला गया. यहां वह तब तक रहा जब तक 1999 में उसे निष्कासित नहीं कर दिया गया. 1999 में खालिद कतर चला गया. ठीक एक साल बाद हमास कमांडर खालिद सन 2000 में सीरिया के दमिश्क शहर पहुंच गया. यहां 2012 तक रहने के बाद वह एक बार फिर कतर की राजधानी दोहा में रहने लगा. वह सीरिया के अलावा इराक में भी रह चुका है. खालित मिशेल से जुड़ा एक बेहद फेमस किस्सा है. जब 1997 में उसकी हत्या की कोशिश हुई, जिसका आरोप इजरायल पर लगा. इस घटना की वजह से इजरायल और जॉर्डन के रिश्ते लंबे समय तक खराब रहे.

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भारत में क्यों मचा हुआ है बवाल?

खालिद मिशेल के ऑनलाइन संबोधन को लेकर अब देश की राजनीति दो धड़ों में बंट गई है. एक तरफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) इस रैली का जमकर विरोध करते हुए सीएम पिनाराई विजयन से एक्शन लेने की मांग कर रही है. तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस और उसकी सहयोगी मुस्लिम लीग ने इस मामले पर चु्प्पी साथ ली है. भाजपा का कहना है कि सीपीआईएम के साथ-साथ विपक्षी पार्टी कांग्रेस और मुस्लिम लीग भी जमात-ए-इस्लामी की रैली को सपोर्ट कर रहे हैं. 

आतंकियों को महिमामंडित कर रहे: BJP

रैली में खालिद मशेल के संबोधन पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने कहा, 'केरल के मलप्पुरम में सॉलिडेरिटी कार्यक्रम में हमास नेता खालिद मशेल का VIRTUAL ADDRESS चिंताजनक है. कहां है PINARAYI VIJAYAN (केरल के सीएम) की केरल पुलिस? 'फिलिस्तीन बचाओ' की आड़ में, वे एक आतंकवादी संगठन हमास और उसके नेताओं को 'योद्धा' के रूप में महिमामंडित कर रहे हैं .. यह अस्वीकार्य है!'

हमास की लॉन्चिंग टीम का रहा हिस्सा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1967 में इजरायल-अरब जंग के बीच उसने हमास जॉइन कर लिया. खालिद ने अल जजीरा को दिए एक इंटरव्यू में दावा किया था कि वह हमास की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा रहा है. बता दें कि 1987 में हमास की आधिकारिक तौर पर स्थापना हुई.  

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जॉर्डन में हत्या की हो चुकी है कोशिश!

जॉर्डन की राजधानी अम्मान में रहने के दौरान मशेल को सितंबर 1997 में निशाना बनाया गया. इसका आरोप इजरायली पर लगा. कहा गया कि हत्या का आदेश प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दिया था, उस समय नेतन्याहू का पहला कार्यकाल पूरा होने वाला था. बताया जाता है कि इजरायली जासूसी एजेंसी मोसाद के 2 एजेंट खालिद के तफ्तर के बाहर उसका इंतजार कर रहे थे. उसके पास आते ही उन्होंने मार्फिन से सौ गुना ज्यादा खतरनाक फेंटेनाइल की घातक खुराक खालिद को छिड़क दी. 

क्लिंटन ने कराई थी दोनों के बीच सुलह

रिपोर्ट्स के मुताबिक इजरायली पीएम को भरोसा था कि फेंटेनाइल की घातक खुराक से खालिद नहीं बचेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उसे अस्पताल ले जाया गया. जॉर्डन के राजा हुसैन ने आधी रात तक इजरायल के साथ संबंध खत्म करने की धमकी दी. तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के मुख्य मध्य पूर्व नेगोशिएटर डेनिस रॉस के पास सुबह-सुबह नेतन्याहू का फोन आया. उन्होंने क्लिंटन से बात करने की इच्छा जताई. बाद में समझौते के तहत नेतन्याहू को जॉर्डन के डॉक्टरों को एक एंटीडोट फॉर्मूला मुहैया कराना पड़ा था.

हमास ने किया था इजरायल पर हमला

हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल में हमला किया था. इस हमले में सैकड़ों इजरायली नागरिक मारे गए जबकि 200 से अधिक लोगों को हमास के लड़ाके बंधक बनाकर ले गए. इसके बाद से ही इजरायल की तरफ से गाजा पट्टी पर लगातार बमबाजी की जा रही है. वहीं, फिलिस्तीन में हमास के लड़ाके भी शांत नहीं पड़े हैं. वो इजरायल पर अभी भी तीन मोर्चे से अटैक कर रहे हैं. लेबनान, समंदर से सटे इलाके और इजिप्ट से सटे साउथ गाजा से रॉकेट और मिसाइलें दागी जा रही हैं. इस हमले के बाद इजरायल ने हमास के खात्मे की कसम खाई है. इजरायल लगातार गाजा पट्टी में हमास के ठिकानों पर बमबारी कर रहा है. इन हमलों में अब तक 7000 से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है. गाजा हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक, इनमें से 3000 बच्चे हैं. वहीं युद्ध के चलते लाखों लोगों ने गाजा को छोड़ दिया था.

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SYM ने कहा- कुछ भी असामान्य नहीं

केरल के सॉलिडेरिटी यूथ मूवमेंट (SYM) प्रमुख सुहैब सीटी ने कहा है कि हमास नेता का किसी रैली में शामिल होना न तो असामान्य है और न ही गैर-कानूनी है. उन्होंने कहा, 'हमास भारत में कोई प्रतिबंधित संगठन नहीं है और न ही भारत ने इसे आतंकवादी संगठन घोषित किया है. भारत में तो ये काम भी नहीं करता. पहले भी केरल में कई कार्यक्रमों में हमास के नेताओं ने शिरकत की है. 

भड़के केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा,'हमास का आतंकी केरल में भाषण दिया है और हिन्दू को खत्म करने की बात कही उसने वहां. मैं बता दूं उन्हें कि भारत में कई आए लेकिन कुछ नहीं कर पाए. वैसे ही हमास का भी नाश हो जाएगा... भारत फिलिस्तीन के साथ खड़ा है. लेकिन प्रियंका गांधी वोट के लिए आतंकवादी हमास के साथ खड़ी है.'

कोझिकोड़ में भी गाजा के समर्थन में रैली

केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के प्रमुख सहयोगी आईयूएमएल ने भी गाजा में महिलाओं और बच्चों सहित नागरिकों की कथित हत्याओं की निंदा करते हुए उत्तरी कोझिकोड में एक विशाल रैली का आयोजन किया था. हजारों IUML समर्थकों ने फिलिस्तीन एकजुटता मानवाधिकार रैली में भाग लिया था, जिसका उद्घाटन IUML नेता पनाक्कड़ सैयद सादिक अली शिहाब थंगल ने किया. इस रैली में कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इजरायल पर सात अक्टूबर को हुए हमले को आतंकवादी कृत्य बताया था. इसके बाद थरूर की खूब आलोचना हुई थी.

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