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Pegasus का जिन्न बोतल में बंद क्यों नहीं हो रहा? जानिए स्पाइवेयर से जुड़ी रोचक बातें

Pegasus डिवाइज में इंस्टॉल होते ही ईमेल, फोटो, कॉन्टैक्ट सब कुछ चुरा लेता है. इतना ही नहीं, स्पाई वेयर पेगासस फोन या सिस्टम की लोकेशन, कैमरा और माइक्रोफोन तक को कंट्रोल करने लगता है.

यूनानी संस्कृति में सफेद पंखों से सजे उड़ने वाले काल्पनिक घोड़े का नाम Pegasus है. (प्रतीकात्मक तस्वीर) यूनानी संस्कृति में सफेद पंखों से सजे उड़ने वाले काल्पनिक घोड़े का नाम Pegasus है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली ,
  • 31 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 11:25 PM IST
  • आईफोन और एंड्रायड मोबाइल में सेंध लगा सकता है पेगासस
  • ईमेल, तस्वीर, कॉन्टैक्ट चुरा लेता है पेगासस स्पाईवेयर

Pegasus Spyware Row: पेगासस जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कानूनी बहस जारी है. इसी बीच अमेरिकी मीडिया में भी इस तकनीक और सौदेबाजी को लेकर कई बातें हो रही हैं. यूनानी संस्कृति में सफेद पंखों से सजे उड़ने वाले काल्पनिक घोड़े का नाम पेगासस (Pegasus) है. लेकिन भारत में इस काल्पनिक घोड़े की उड़ान ने सरकार को सांसत में ला रखा है. आए दिन नए सवाल, नई अर्जियां, नए खुलासे, नित नई जानकारियां इसके जिन्न को बोतल में बंद नहीं होने दे रहीं. फिर कोई तिलिस्मी चिराग को रगड़ देता है और विवादों के पंख फड़फड़ाता घोड़ा नई उड़ान भरने लगता है!

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अब तकनीक के जानकार ये दावा कर रहे हैं कि किसी के मोबाइल फ़ोन को मिस कॉल के जरिए भी काबू कर सकता है ये स्पाई वेयर. इसे बनाने वाली कम्पनी का भी दावा है कि पेगासस वो कर सकता है जो कोई निजी, सरकारी या किसी भी तरह की एजेंसी के कोई भी एक्सपर्ट कभी नहीं कर सकते. ये स्पाइवेयर बहुत ही भरोसेमंद तरीके से किसी भी वर्जन के स्मार्ट फोन यानी एंड्रॉयड हो या आईफोन, सभी के सुरक्षाचक्र को कभी भी कितनी बार भी भेद सकता है और किसी भी विशेषज्ञ को कानोंकान भनक तक नहीं लगती.

क्योंकि ये जीरो क्लिक सॉफ्टवेयर नस्ल का है. यानी जीरो क्लिक का सीधा अर्थ है कि किसी यूजर के किसी भी लिंक या अटैचमेंट को ओपन करने के लिए क्लिक किए बगैर ही ये अपना काम कर जाता है. बस इसे मोबाइल फोन, सिस्टम, लैपटॉप में एक बार कितनी भी दूर बैठे-बैठे इंस्टॉल भर कराने की जरूरत होती है.

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यूजर को पता तक नहीं चलता

अगर पेगासस को किसी भी तरह से यानी व्हाट्सएप मैसेज, टेक्स्ट मैसेज यानी एमएमएस या सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म, स्पैम मेल के जरिए या फिर अन्य कई और विकल्पों से इंस्टॉल कर दिया जाए, तो ये फोन, लैपटॉप या सिस्टम से सारे ईमेल, तस्वीर, कॉन्टैक्ट, किसी भी प्रारूप के संदेश सब कुछ चुरा लेता है. इतना ही नहीं, शातिर चोर स्पाई वेयर पेगासस फोन या सिस्टम की लोकेशन, कैमरा और माइक्रोफोन तक को कंट्रोल करने लगता है. यूजर को इसका पता भी नहीं चलने देता.

1400 लोगों की जासूसी!

सुप्रीम कोर्ट में भी दायर याचिका के मुताबिक, इसके जरिए 2019 में ही भारत में कम से कम 1400 लोगों के पर्सनल मोबाइल या सिस्टम की जासूसी हुई है. दावा किया गया है कि 40 मशहूर पत्रकार, विपक्ष के तीन बड़े नेता, संवैधानिक पद पर आसीन एक महानुभाव, केंद्र सरकार के दो मंत्री, सुरक्षा एजेंसियों के कई आला अफसर, दिग्गज उद्योगपति भी शामिल हैं.

इजराइल से खरीदे जाने का दावा

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में भी मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से ये जिक्र है कि भारत सरकार ने 2017 में जब इजराइल से दो अरब डॉलर का सौदा कर मिसाइलें खरीदी थीं तो उसी के साथ पेगासस स्पाई वेयर भी खरीदा था. हालांकि, केंद्र सरकार ने इस दावे और सवाल को संसद और सुप्रीम कोर्ट में सिरे से खारिज कर दिया था.

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