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मोबाइल फोन बाहर रखवाए, मीडिया में बयान से रोका... जानें कांग्रेस की 'महाबैठक' में क्या हुआ?

कांग्रेस ने अगले साल होने वाले आम चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. महाराष्ट्र में संसदीय चुनाव की तैयारियों को लेकर मंगलवार को दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय में एक अहम बैठक हुई. इस बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा राज्य के 30 से ज्यादा नेता मौजूद रहे. इस बैठक में भाजपा को रोकने के मुद्दे पर प्रमुखता से चर्चा हुई. साथ ही चर्चा का केंद्र यह भी था कि पार्टी अपने पुराने गढ़ यानी महाराष्ट्र को वापस कैसे जीतेगी.

दिल्ली में कांग्रेस की अहम बैठक (फाइल फोटो) दिल्ली में कांग्रेस की अहम बैठक (फाइल फोटो)
मौसमी सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 11:44 PM IST

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में बंटबारे के बाद महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति पर कांग्रेस ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मैराथन बैठक की. हाल ही में आयोजित राज्य इकाई की बैठकों के जारी सिलसिले के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने 4 घंटे से ज्यादा समय तक हालातों पर चर्चा की. इस बैठक में कांग्रेस के 30 से ज्यादा नेता मौजूद थे. 

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दिलचस्प बात यह है कि इस बैठक के दौरान सभी नेताओं को अपने मोबाइल फोन बाहर छोड़ने के लिए कहा गया था और नेताओं को निर्देश दिया गया कि इस बैठक के बाद मीडिया से कोई भी नेता ज्यादा बातचीत नहीं करेगा. बैठक के बाद कई नेता अपनी बात सुनने से उत्साहित दिखे और कहा कि यह लंबे समय के बाद पहली बार हुआ है. पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस महाराष्ट्र में लो प्रोफाइल (Low Profile) पार्टी है. इसकी वजह है कि कांग्रेस अपने सहयोगियों शिवसेना और NCP के साथ दूसरी भूमिका निभाई में रही है.

पार्टी नेताओं ने एनसीपी के टूटने के मद्देनजर आगे की रणनीति पर चर्चा की. बैठक में मौजूद एक पार्टी नेता ने कहा, 'हम स्थिति पर नजर रखेंगे. अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि अजित के पास दो तिहाई विधायक हैं या नहीं, यदि नहीं तो नए शपथ लेने वाले मंत्रियों को अयोग्य घोषित करने की जरूरत है.'

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अजित को शरद पवार ने दिया बढ़ावा?

बैठक के दौरान कुछ नेताओं ने इस भ्रम पर भी आपत्ति जताई कि कहीं अजित पवार को खुद शरद पवार ने तो इस बगावत के लिए बढ़ावा नहीं दिया है. बैठक में मौजूद एक अन्य सूत्र ने कहा, पार्टी नेतृत्व ने संकेत दिया है कि कांग्रेस फिलहाल वेट एंड वॉच की स्थिति में रहेगी जैसा कि शिवसेना के विभाजन के मामले में था. जहां कि बाद में यह साफ हो गया कि शिंदे खेमे ने उद्धव ठाकरे की इच्छा के खिलाफ काम किया था. 

फिलहाल एनसीपी के विभाजन के बाद विपक्ष का नेता कौन होगा यह मुद्दा बना हुआ है. सूत्रों ने आजतक को बताया कि शरद पवार गुट ने कांग्रेस से अनुरोध किया है कि वह बने रहें क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि उनके पक्ष में अधिकांश विधायक होंगे और सवाल यह है कि नए विपक्ष के नेता का चयन करने की नौबत नहीं आएगी. इस बीच, कांग्रेस इस अवसर को महसूस करते हुए अपना आधार मजबूत करने की कोशिश कर रही है कि उसका पारंपरिक वोट बैंक पैदा हुए शून्य के साथ वापस आ सकता है.

जनता के बीच पहुंचें... 

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों में पार्टी के लिए राजनीतिक स्थिति और अपनी स्ट्रेटजी को समझाने के लिए एक पावरपॉइंट प्रजेंटेशन दी. इस बैठक के दौरान पार्टी में सत्ता संघर्ष तब सामने आया, जब सुनील केदार और विजय वेदट्टीवार ने राज्य प्रमुख नाना पटोले की कार्यशैली पर सवाल उठाया. उन्होंने प्रदेश प्रभारी को लेकर मुद्दा उठाया और कहा कि प्रदेश को पूर्णकालिक प्रभारी की जरूरत है. कर्नाटक में वर्तमान प्रभारी एचके पाटिल मंत्री बन गए हैं. इस दौरान खड़गे और राहुल गांधी ने कई बार हस्तक्षेप किया. बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि कांग्रेस नेताओं को भाजपा से सामना करने के लिए सड़कों पर उतरकर जनता के बीच जाना चाहिए. 

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राहुल ने कहा- हम चुनाव जीत रहे हैं

राहुल गांधी ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया कि हम जानते हैं कि पार्टी के लिए संपत्ति कौन है और दायित्व कौन है और हम सभी को जमीन पर उतरकर राजनीतिक आंदोलन शुरू करने पर विचार करना चाहिए. उन्होंने यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों में राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में जीत रही है.

पूर्व सीएम पृथ्वीराज चौहान ने कहा, 'यह एक बहुत ही गंभीर बैठक थी, महाराष्ट्र के पैंतीस वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र स्थित पांच महासचिव इसमें मौजूद थे और सभी को बोलने का मौका मिला. यह एक उत्साहजनक अभ्यास था. हमारा ध्यान 2024 के लोकसभा चुनावों पर है और मैं इससे ज्यादा बैठक का ब्यौरा नहीं दे सकता.'

टीम बी से सावधान रहें

दिल्ली में हुई यह बैठक पार्टी अध्यक्ष खड़गे और राहुल गांधी के साथ राष्ट्रीय राजधानी में हुई बैठकों की एक श्रृंखला का हिस्सा है. पार्टी उस क्षेत्र में अपनी किस्मत फिर से चमकने की उम्मीद कर रही है जो कभी उसका पारंपरिक गढ़ हुआ करता था. यहां तक ​​कि राहुल गांधी ने भी इस बात पर जोर देते हुए कहा कि महाराष्ट्र बेहद महत्वपूर्ण है और हमें अपना 'गढ़' वापस जीतना होगा.

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बैठक में पार्टी को बीजेपी की टीम 'बी' से मिलने वाले खतरों के बारे में बताया गया. 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को झटका लगा, क्योंकि प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अगाड़ी ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के साथ गठबंधन किया. इस गठबंधन ने दलित-अल्पसंख्यक वोटों को खा लिया जो परंपरागत रूप से कांग्रेस और एनसीपी को जाते थे, जिससे कांग्रेस को नुकसान हुआ. ये दोनों पार्टियां करीब एक दर्जन सीटों पर आगे रहीं. पिछले विधानसभा चुनाव में भी प्रकाश अंबेडकर की पार्टी ने राकांपा-कांग्रेस गठबंधन को पच्चीस से अधिक सीटों पर झटका दिया था.

BRS कर रही प्रभाव बढ़ाने की कोशिश

राज्य की अन्य पार्टियों में किसान आधारित स्वाभिमानी शेतकारी संगठन और स्वराज्य पार्टी (संबाजी) शामिल हैं. हालांकि, नवीनतम प्रवेशी भारतीय राष्ट्रीय समिति पर इसके मुख्य फोकस दलित मुस्लिम और किसानों के रूप में विस्तार से चर्चा की गई. आगामी तेलंगाना चुनाव से पहले कांग्रेस और बीआरएस के बीच आर-पार की लड़ाई है. पार्टी सुप्रीमो केसीआर महाराष्ट्र में अपनी ताकत दिखा रहे हैं और उन्होंने कांग्रेस के गढ़ नांदेड़, शोलापुर और लातूर में रैलियां कीं. नेताओं ने बीआरएस के प्रभाव पर चर्चा की और शायद आगामी चुनाव में बीआरएस को कम करने पर भी चर्चा की. 

कांग्रेस ने बैठक के बारे में दी यह जानकारी

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इस बैठक के बाद पत्रकारों को जानकारी देते हुए पार्टी महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने कहा, बैठक काफी सार्थक रही और चार घंटे तक चली. उन्होंने कहा कि बैठक में मौजूद सभी नेताओं का एकमत मानना ​​था कि कांग्रेस महाराष्ट्र में संसदीय चुनाव में जीत हासिल करेगी. उन्होंने कहा कि पार्टी पहले से ही प्रचार मोड में है. उन्होंने कहा, राहुल गांधी ने विशेष रूप से अपनी भारत जोड़ो यात्रा के महाराष्ट्र चरण का जिक्र किया जहां उन्हें अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिली, जो देश में सर्वश्रेष्ठ में से एक थी.

वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि कांग्रेस महा विकास अघाड़ी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी. गठबंधन सहयोगियों के साथ बैठक और चर्चा के बाद सीट बंटवारे पर सहमति बनेगी.

एआईसीसी महासचिव ने खुलासा किया कि आज की बैठक में मोटे तौर पर तीन बातें निष्कर्ष पर पहुंचीं. इनमें यह भी शामिल है कि पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता राज्य के प्रत्येक संसदीय क्षेत्र की जिम्मेदारी संभालेंगे. सितंबर माह से प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में एक वरिष्ठ नेता पदयात्रा करेगा, जिसके बाद दिसंबर माह में बस यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें सभी नेता संयुक्त रूप से सभी संसदीय क्षेत्रों का दौरा करेंगे. वेणुगोपाल के मुताबिक महाराष्ट्र में लोगों के मूड को देखते हुए उन्होंने कहा, इसका बीजेपी पर बहुत नकारात्मक असर पड़ने वाला है. यह निश्चित है कि लोग भाजपा को हराना चाहते हैं, क्योंकि वे विपक्षी दलों को विभाजित करने और ईडी और धन का उपयोग करने की इसकी राजनीति को समझ गए हैं.

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