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गुजरात का वो कानून... जो बनेगा दिल्ली पुलिस की ताकत, तस्करों की खैर नहीं...

राजधानी दिल्ली में गुजरात का कानून 'द गुजरात प्रिवेंशन ऑफ एंटी-सोशल एक्टिविटीज एक्ट, 1985' लाने की तैयारी हो रही है.  उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इसे दिल्ली में लागू करने का प्रस्ताव पारित कर मंजूरी के लिए गृह मंत्रालय को भेजा है.

इस कानून से दिल्ली पुलिस को मिलेगी और ताकत (फाइल फोटो) इस कानून से दिल्ली पुलिस को मिलेगी और ताकत (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 3:03 PM IST

दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने गृह मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजकर 'द गुजरात प्रिवेंशन ऑफ एंटी-सोशल एक्टिविटीज एक्ट, 1985' को राष्ट्रीय राजधानी में लागू करने की मंजूरी मांगी है. अगर यह कानून दिल्ली में लागू हो जाता है तो राजधानी में कई तरह के बदलाव आ सकते हैं. तो आइए जानते हैं कि आखिर ये कानून है क्या? और इसके तहत लिए जाने वाले कठोर फैसलों से राजधानी दिल्ली में क्या बदलाव आएगा.

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कानून विभाग ने की थी समीक्षा

दिल्ली के गृह विभाग ने 27 जून को गुजरात के अधिनियम को दिल्ली में लागू करने के लिए केंद्र शासित प्रदेश (कानून) अधिनियम की धारा-2 के तहत अधिसूचना जारी करने के लिए उपराज्यपाल को प्रस्ताव सौंपा था. दिल्ली सरकार के कानून विभाग ने इस टिप्पणी के साथ मसौदा अधिसूचना की समीक्षा की है. समीक्षा में कहा गया है कि प्रशासनिक विभाग को 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (संशोधन)(GNCTD) अध्यादेश, 2023' के साथ जीएनसीटीडी (संशोधन) अधिनियम, 2021 के प्रावधानों और व्यापार के लेनदेन के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए.

तेलंगाना और गुजरात के कानून की तुलना

तेलंगाना में भी इसी तरह का कानून (तेलंगाना बूटलेगर्स, संपत्ति अपराधियों, आदि की खतरनाक गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, 1986) है, जिसका अध्ययन करने के दौरान पता चला कि गुजरात कानून ज्यादा उचित और बेहतर है. एलजी सक्सेना इस प्रस्ताव पर भी सहमत हुए कि गुजरात कानून को राष्ट्रीय राजधानी में इसके विस्तार पर विचार करने के लिए गृह मंत्रालय के पास भेजा जा सकता है.

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इस साल मार्च में, उपराज्यपाल ने ने गृह विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी कि दिल्ली पुलिस को 'राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980' का प्रभावी ढंग से उपयोग करना चाहिए जिसका उद्देश्य 'कुछ मामलों में और उससे जुड़े मामलों के लिए निवारक हिरासत प्रदान करना है.' दिल्ली पुलिस ने इस साल 14 फरवरी को अपने पत्र के माध्यम से अनुरोध किया था कि गुजरात अधिनियम के प्रावधानों की जांच की जाए.

गृह विभाग ने पिछले साल अक्टूबर में तेलंगाना और गुजरात कानूनों का अध्ययन करने के दिल्ली पुलिस के अनुरोध पर एलजी द्वारा दी गई मंजूरी को आगे बढ़ाया था. कुछ केंद्र शासित प्रदेशों में अधिनियमों का विस्तार करने की शक्ति से संबंधित कानून मेंकहा गया है कि 'केंद्र सरकार, आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली या उसके किसी भी हिस्से तक विस्तार कर सकती है.'

पुलिस को मिलेगी और ताकत

-'द गुजरात प्रिवेंशन ऑफ एंटी-सोशल एक्टिविटीज एक्ट, 1985' के तहत शराब तस्करों, खतरनाक व्यक्तियों, मादक पदार्थ तस्करों, मानव तस्करों और संपत्ति हड़पने वालों की एहतियातन हिरासत का प्रावधान है.

-अधिकारियों ने कहा कि उम्मीद है कि एक बार अधिसूचित होने के बाद, उक्त अधिनियम पुलिस को अपराधियों से निपटने के लिए और अधिक ताकत प्रदान करेगा और साथ ही चेन स्नैचिंग, अवैध शराब, नशीली दवाओं की तस्करी और तस्करी आदि जैसे अपराधों के खिलाफ प्रभावी रोकथाम सुनिश्चित करेगा.

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-अगर दिल्ली में ये कानून लागू हो जाता है तो पुलिस और भी ज्यादा ताकतवर हो जाएगी और अपराधियों के खिलाफ एक्शन लेने में दिल्ली पुलिस के पास पहले से ज्यादा अधिकार होंगे.

कानून का मकसद

इस कानून में सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव के लिए प्रतिकूल असामाजिक और खतरनाक गतिविधियों को रोकने के लिए अपराधियों, खतरनाक व्यक्तियों, नशीली दवाओं के तस्करों और संपत्ति हड़पने वालों को हिरासत में रखने का प्रावधान है. कानून का मुख्य मकसद सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए आरोपी को एहतियातन हिरासत में रखना है. दिल्ली सरकार के गृह विभाग ने 27 जून, 2023 को गुजरात के इस कानून को दिल्ली में लागू करने के लिए प्रस्ताव उपराज्यपाल के पास भेजा था जिस पर उपराज्यपाल ने भी सहमति जताई थी.

गुजरात में जब ये कानून लागू हुआ था तो काफी आलोचनाएं हुई थी. आरोप लगाया गया कि इसका दुरुपयोग किया जा रहा है. कोर्ट की ओर से भी इस एक्ट को लेकर फटकार लगाई जा चुकी है. ये कानून दो साल पहले भी तब चर्चा में रहा था जब एक डॉक्टर को इस कानून के तहत हिरासत में लिया गया था.

 

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