
पिछले कुछ दिनों से जम्मू के तमाम इलाकों में आतंकी घटनाओं में इजाफा हुआ है. करीब एक दशक बाद ये देखने को मिला है कि कश्मीर की बजाय आतंकी घटनाएं जम्मू में ज्यादा देखने को मिल रही हैं. जम्मू के पहाड़ी जिलों में बढ़ रही इन आतंकी घटनाओं पर कई सुरक्षा विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति हाथ से बाहर जा सकती है.
आतंकियों ने जम्मू के इलाकों पर किया फोकस
अनुच्छेद 370 और 35-ए के निरस्त होने के बाद जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी हमलों में बढ़ोतरी देखी गई है. माना जा रहा है कि आतंकियों ने अपना ध्यान कश्मीर से हटाकर जम्मू पर केंद्रित कर लिया है. अनुच्छेद 370 के खात्मे से पहले आतंकियों का फोकस कश्मीर के इलाकों पर था. लेकिन अब जम्मू क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों में आतंकी गतिविधियां बढ़ी हैं.
इस वजह से आतंकियों ने बदली अपनी रणनीति
धारा 370 और 35-ए के निरस्त होने के बाद कश्मीर घाटी में आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र पर एक बड़ी कार्रवाई हुई. सुरक्षा बलों ने क्षेत्र में अपने आतंकवाद विरोधी अभियान तेज कर दिए. घाटी में हुई मुठभेड़ों में कई शीर्ष आतंकी कमांडरों को मार गिराया गया. इस वजह से घाटी में स्थिति सामान्य होने लगी लेकिन इसके बाद आतंकियों ने अपनी रणनीति बदल दी.उन्होंने अपना ध्यान जम्मू क्षेत्र के पहाड़ी जिलों की ओर केंद्रित कर दिया.
2021 से जम्मू के इलाकों में बढ़ा आतंक
जम्मू क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों में आतंकी घटनाओं में उछाल 11 अक्टूबर 2021 के बाद से देखने को मिलता है, जब पुंछ जिले में हुई मुठभेड़ में एक जेसीओ सहित 5 सेना के जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद से जम्मू क्षेत्र के पहाड़ी जिलों में आतंकी हमलों में इजाफा हुआ है.सूत्रों के अनुसार, करीब 40-50 आतंकी छोटे समूहों में बिखरे हुए हैं और जम्मू क्षेत्र के ऊपरी इलाकों में मौजूद हैं.
नागरिकों को भी बना रहे निशाना
ये आतंकी सेना के जवानों के साथ ही नागरिकों को भी अपना निशाना बना रहे हैं. 1 जनवरी 2023 को जम्मू के राजौरी जिले के ढांगरी गांव में आतंकियों ने 2 नाबालिगों सहित अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के 7 सदस्यों की हत्या कर दी थी. इसी तरह 9 जून को जम्मू के रियासी जिले में हिंदू तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक बस पर आतंकवादियों द्वारा हमला किया गया था.
फिर से सक्रिय हुए स्थानीय ग्राम रक्षा समूह
90 और 2000 के दशक में आतंक के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाले स्थानीय ग्राम रक्षा समूह (वीडीजी) फिर से सक्रिय हो गए हैं. आजतक से बात करते हुए वीडीजी के सदस्यों ने कहा है कि वे जम्मू के पहाड़ी इलाकों में आतंकियों को अपनी पकड़ बनाने नहीं देंगे. हालांकि, उन्होंने आधुनिक हथियारों की मांग की.विलेज डिफेंस ग्रुप के एक सदस्य ने कहा, 'हम आतंकवादियों को उनके नापाक मंसूबों में कामयाब नहीं होने देंगे. लेकिन हम अपनी सरकार से आग्रह करते हैं कि वह हमें आधुनिक स्वचालित हथियार मुहैया कराए.'
आधुनिक तकनीक और हथियारों का इस्तेमाल कर रहे आतंकी
सूत्रों ने बताया कि आतंकी न सिर्फ आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं बल्कि नई तकनीक भी प्रयोग में ला रहे हैं, जिससे उन्हें पकड़ पाने में चुनौती आ रही है. आतंकी इंटरनेट वॉयस कॉल का उपयोग करते हैं जो एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होते हैं और उनका पता लगाना मुश्किल होता है.हाल ही में 8 जुलाई को आतंकियों ने कठुआ जिले के बिलावर तहसील के सुदूर माचेडी इलाके में सेना के वाहनों पर उस समय हमला किया जब जवान गश्ती पर थे. सूत्रों ने बताया कि आतंकियों ने हमले के लिए इस जगह को पहले से ही चुना था क्योंकि इस इलाके में कच्ची सड़क है जहां गाड़ियों को धीमा करना पड़ता है. हालात का फायदा उठाते हुए आतंकियों ने पहले ग्रेनेड फेंका और फिर सेना के जवानों पर फायरिंग की.
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घुसपैठ के कारण बढ़ रही घटनाएं
जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी डॉ. एसपी वैद ने इंडिया टुडे से कहा, 'जम्मू क्षेत्र के पहाड़ी जिलों में आतंकवाद में अचानक वृद्धि का मूल कारण घुसपैठ है. यह महत्वपूर्ण है कि सीमा सुरक्षा ग्रिड को मजबूत किया जाए और घुसपैठ पर रोक लगाई जाए.' एसपी वैद ने चिंता जताते हुए जम्मू क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों की स्थिति को 90 और 2000 के दशक की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण और गंभीर बताया है. उन्होंने कहा कि उस वक्त जम्मू के पहाड़ी जिलों में अधिकांश आतंकी स्थानीय थे और उच्च प्रशिक्षित नहीं थे. उनके पास अत्याधुनिक हथियार नहीं थे. लेकिन अब ऊपरी इलाकों में मौजूद आतंकवादी उच्च प्रशिक्षित हैं जो आधुनिक हथियारों से लैस हैं.