
वर्तमान में संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. विपक्षी इंडिया ब्लॉक के सदस्यों ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के पदेन सभापति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने के लिए राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति पर पक्षपातपूर्ण व्यवहार का आरोप लगाया और अविश्वास प्रस्ताव लाने की वजह भी बताई. अब सवाल यह है कि संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को खत्म हो जाएगा. ऐसे में क्या राज्यसभा के सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव अगले सत्र तक वैध रहेगा या नहीं?
लोकसभा की सहमति भी जरूरी
आर्टिकल 67(B) के तहत राज्य सभा के सभापति, जो उपराष्ट्रपति भी हैं, उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. प्रस्ताव को राज्य सभा में साधारण बहुमत से पारित करवाना जरूरी है. इसके बाद लोकसभा की सहमति की भी जरूरत होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि उपराष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा के सांसद भी वोट डालते हैं
नोटिस का नियम क्या है?
245 सदस्यों की राज्य सभा में अभी 231 सदस्य ही हैं. मौजूदा समय में राज्य सभा की 14 सीटें खाली हैं. ऐसे में मौजूदा समय में सदन में बहुमत का आंकड़ा 116 है. विपक्ष के पास प्रस्ताव पास कराने के लिए 116 का नंबर नहीं है. नियम के तहत 14 दिन का नोटिस जरूरी है. मौजूदा सत्र 20 दिसंबर को समाप्त हो रहा है. इसलिए यह नोटिस स्वीकार नहीं होगा और नोटिस अगले सत्र तक के लिए वैध नहीं है.
विपक्ष लेकर आया अविश्वास प्रस्ताव
बता दें कि विपक्षी इंडिया ब्लॉक जगदीप धनखड़ को पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया है. विपक्षी गठबंधन ने राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को इस आशय का प्रस्ताव सौंप दिया है. जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर 60 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं.
विपक्षी पार्टियों ने संविधान के आर्टिकल 67-बी के तहत उपराष्ट्रपति को पद से हटाने की मांग को लेकर राज्यसभा में प्रस्ताव पेश कर दिया है. यह प्रस्ताव उपराष्ट्रपति को हटाने की मांग को लेकर लाया गया है जो राज्यसभा के पदेन सभापति भी हैं. इस प्रस्ताव पर सोनिया गांधी और किसी भी दल के फ्लोर लीडर्स ने हस्ताक्षर नहीं किया है.
चेयरमैन पर लगाया पक्षपात का आरोप
कांग्रेस की ओर से जयराम रमेश और प्रमोद तिवारी के साथ ही तृणमूल कांग्रेस के नदीम उल हक और सागरिका घोष ने यह प्रस्ताव राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा. विपक्षी पार्टियों ने अविश्वास प्रस्ताव में आरोप लगाया है कि उनको बोलने नहीं दिया जाता. चेयरमैन पक्षपात कर रहे हैं. विपक्षी पार्टियों ने हाल का एक उदाहरण देते हुए कहा कि ट्रेजरी बेंच के सदस्यों को बोलने का मौका दिया गया लेकिन जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे बोल रहे थे तो उनको रोका गया.