Advertisement

Aruna Shanbaug केस से कोलकाता कांड तक... 51 साल बाद भी देश के मेडिकल प्रोफेशनल सेम लड़ाई लड़ रहे हैं, जानिए बर्बरता की कहानी

मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल हॉस्पिटल की नर्स 1966 में कर्नाटक से मुंबई में नौकरी करने आई थी. अरुणा की शादी होने वाली थी. लेकिन शादी से ठीक महीने पहले 27 नवंबर 1973 को अस्पताल में उसके साथ जो हुआ, उसने सभी को हिलाकर रख दिया. 

अरुणा शानबाग 42 साल तक कोमा में रही थीं. (फाइल फोटो) अरुणा शानबाग 42 साल तक कोमा में रही थीं. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 11 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:55 PM IST

कोलकाता के RG Kar अस्पताल की ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या के मामले पर अभी तक डॉक्टर सड़कों पर हैं और इंसाफ की मांग कर रहे हैं. मामले की जांच भले ही सीबीआई को सौंप दी गई है. लेकिन लोगों का गुस्सा अभी तक शांत नहीं हुआ है. कोलकाता की डॉक्टर के साथ के साथ जिस तरह की हैवानियत हुई, ठीक उसी तरह की दरिंदगी 51 साल पहले मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल की एक नर्स अरुणा शानबाग के साथ भी हुई थी. 

Advertisement

मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल हॉस्पिटल की नर्स 1966 में कर्नाटक से मुंबई में नौकरी करने आई थी. अरुणा की शादी होने वाली थी. लेकिन शादी से ठीक महीने पहले 27 नवंबर 1973 को अस्पताल में उसके साथ जो हुआ, उसने सभी को हिलाकर रख दिया. 

अस्पताल के वार्ड ब्वॉय सोहनलाल ने अरुणा का रेप किया. इस दौरान उसने कुत्ते की चेन से अरुणा का गला घोंट दिया और मरा हुआ समझकर वहां से फरार हो गया. लेकिन अरुणा ने दम नहीं तोड़ा, वह कोमा में चली गई. वह 42 सालों तक कोमा में रहीं. 

अरुणा शानबाग के लिए उठी थी इच्छामृत्यु की मांग

मुंबई के जिस किंग एडवर्ड अस्पताल में अरुणा नर्स थी. उसी अस्पताल के एक कमरे में वह 42 सालों तक जिंदा लाश की तरह रही. उसकी ऐसी हालत देखकर उसके लिए इच्छामृत्यु की मांग की गई. लेकिन कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया. लेकिन 2011 

Advertisement

मार्च 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अरुणा को जीना होगा. इच्छा मृत्यु की इजाजत नहीं दी जा सकती. फैसला देने से पहले कोर्ट ने एक मेडिकल बोर्ड से उनका चेकअप करवाया था. डाक्टरों की रिपोर्ट और केईएम अस्पताल के नर्सों की दलील के बाद 7 मार्च 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने उनको इच्छामृत्यु की इजाजत नहीं दी. आखिरकार 18 मई 2015 को उनकी मौत हो गई.

7 साल में छूट गया था अरुणा का दोषी

 अरुणा शानबाग के साथ दरिंदगी की सारें हदें पार कर दी गई थीं. उसके दोषी सोहन लाल ने कुत्ते की चेन से उसका गला घोंट दिया था. उस दिन के बाद से ही अरुणा कोमा में चली गई थीं. अरुणा के गुनहगार सोहन लाल को बाद में सिर्फ सात साल की सजा हुई. सजा काट कर वो 1980 में जेल से बाहर भी आ गया. रिहाई के बाद उसने नाम और पहचान बदल कर दिल्ली के किसी अस्पताल में नौकरी भी की. लेकिन फिर बाद में उसकी भी मौत हो गई.

51 साल बाद भी वैसे ही हालात!

27 नवंबर 1973 को अरुणा शानबाग का बलात्कार किया गया था. अरुणा शानबाग जिस अस्पताल में नर्स थीं, उसी में काम करने वाले वार्ड बॉय सोहनलाल ने उसका बलात्कार किया था. इस केस के 51 साल बाद भी मेडिकल प्रोफेशनल के हालात वैसे ही बने हैं. अरुणा केस के 51 साल बाद 8-9 अगस्त 2024 की रात कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में 31 साल की ट्रेनी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म किया गया. उस ट्रेनी डॉक्टर के साथ भी दरिंदगी की सारे हदें पार कर दी गईं. उसके मुख्य आरोपी संजय रॉय को गिरफ्तार तो कर लिया गया है. कानून भी बदलने की कोशिश की गई है. लेकिन बहुत कुछ बदला नहीं है. ट्रेनी डॉक्टर को इंसाफ दिलाने के लिए महीनेभर से डॉक्टरों की हड़ताल जारी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद डॉक्टर जिद पर अड़े हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement