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'अंदर से बंद नहीं कर सकते ड्यूटी रूम, लगता है डर...', कोलकाता कांड के बाद उत्तर से दक्षिण तक असुरक्षित महसूस कर रहीं रेजिडेंट डॉक्टर्स

कोलकाता के आरजीकर अस्पताल में रेप के बाद हत्या मामले से अस्पतालों में डॉक्टरों और नर्सों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ खड़े हो गए हैं. आजतक की टीम ने लखनऊ समेत कई अस्पतालों में दौरा कर रेजिडेंट डॉक्टरों और नर्सों से बातचीत की और स्थिति का जायजा लिया.

तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज के बाहर का दृश्य तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज के बाहर का दृश्य
अनघा/अभिषेक मिश्रा/शिबिमोल/अपूर्वा जयचंद्रन
  • नई दिल्ली,
  • 16 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 12:02 AM IST

कोलकाता के आरजीकर कॉलेज में हुई घटना से जहां पश्चिम बंगाल में स्थिति तनावपूर्ण है तो वहीं इस मामले ने सरकारी अस्पतालों में वरिष्ठ और कनिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टरों की सुरक्षा और सुविधाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. इंडिया टुडे ने ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए नाइट शिफ्ट के दौरान डॉक्टरों की स्थिति और सरकारी अस्पतालों की सुविधाओं, स्थितियों और माहौल का जायजा लिया.

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लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में ये है हाल
रात 12:15 बजे, इंडिया टुडे की टीम ने लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल का दौरा किया. यहां रेजिडेंट डॉक्टर, नर्स, और अन्य कर्मचारी मरीजों की देखभाल के लिए अपनी ड्यूटी पर थे. यहां नर्सिंग हेड सीमा ने टीम से बात करते हुए बताया कि मरीजों के परिवार के सदस्यों के साथ स्थिति कई बार असहज हो जाती है, खासकर जब वे वार्ड के अंदर बैठने की जिद करते हैं. उन्होंने कहा कि प्रवेश द्वार पर गार्ड की तैनाती है, सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं और परिसर में प्रवेश प्रतिबंधित है, लेकिन फिर भी, मरीजों के परिवार के सदस्यों के साथ उत्पन्न होने वाली समस्याओं को संभालना चुनौतीपूर्ण हो जाता है, जिससे कभी भी कोई घटना हो सकती है.

संदिग्ध अटेंडेंट करते हैं दुर्व्यवहार
एक अन्य रेजिडेंट डॉक्टर ने बताया कि आमतौर पर नाइट शिफ्ट 12 घंटे की होती है और लगातार मॉनिटरिंग की जाती रहती है. महिला कर्मचारियों के लिए रात की पाली में काम करना कठिन होता है क्योंकि देर रात होने पर हमेशा किसी घटना की आशंका बनी रहती है. हालांकि, अभी तक अस्पताल में कोई बड़ी घटना नहीं हुई है, लेकिन कुछ संदिग्ध लोग जो अटेंडेंट के रूप में आते हैं, वे अक्सर स्टाफ के साथ दुर्व्यवहार करते हैं, जिनसे निपटना मुश्किल हो जाता है.

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बलरामपुर अस्पताल में विकट है स्थिति
बलरामपुर अस्पताल की नई इमारत में टीम ने देखा कि यहां के गार्ड के पास किसी भी प्रकार के सुरक्षा उपकरण नहीं थे. अगर कोई घटना होती है, तो पुलिस को बुलाना और स्थिति को नियंत्रित करना ही एकमात्र विकल्प होता है. हालांकि, गलियारों में रोशनी ठीक थी, सीसीटीवी कैमरे लगे थे और गार्डों ने रात की पाली के दौरान अस्पताल का नियमित निरीक्षण करने का दावा किया. डॉक्टरों के ड्यूटी रूम के अंदर एक छोटा वॉशरूम भी था, जिसे चार स्टाफ मेंबर शेयर करते हैं.

जबरन कमरे में आ जाते हैं तीमारदार
रात 1:30 बजे इंडिया टुडे की टीम ने वीरांगना अवंतीबाई महिला अस्पताल का दौरा किया, जो प्रसूति एवं स्त्री रोग के लिए विशेष अस्पताल है. यहां एक रेजिडेंट डॉक्टर, डॉ. शिल्पी ने बताया कि डॉक्टरों के ड्यूटी रूम में असुविधा और सुरक्षा उनकी मुख्य चिंता का विषय है. उन्होंने बताया कि ड्यूटी रूम का दरवाजा अंदर से बंद नहीं किया जा सकता, और कई बार तीमारदार जबरदस्ती कमरे में आ जाते हैं, आराम करते हैं और वॉशरूम का इस्तेमाल करते हैं, जिससे महिला डॉक्टरों को काफी परेशानी होती है.

असामाजिक तत्व करते हैं दुर्व्यवहार
डॉ. शिल्पी ने कहा कि कई बार असामाजिक तत्व अटेंडेंट के रूप में अस्पताल के अंदर आ जाते हैं और डॉक्टरों के कमरे तक पहुंच जाते हैं, जहां गार्डों को उन्हें बाहर निकालना पड़ता है. ऐसे लोग स्टाफ के साथ दुर्व्यवहार करते हैं और महिला डॉक्टरों को असुरक्षित महसूस होता है. प्रवेश द्वार पर तैनात राम बहादुर गार्ड ने बताया कि आमतौर पर भर्ती मरीज के साथ केवल एक तीमारदार को अनुमति दी जाती है, लेकिन कई बार लोग जबरदस्ती अंदर आ जाते हैं और मरीज के साथ रहने की मांग करते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे सख्त तत्वों पर नजर रखना बहुत मुश्किल हो जाता है, और इसका एकमात्र तरीका पुलिस को बुलाना और स्थिति को नियंत्रित करना है.

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रात की शिफ्ट में लगता है डरः नर्स
एक अन्य महिला नर्स, शांति ने कहा कि वह देर रात की शिफ्ट के दौरान कई बार असुरक्षित महसूस करती हैं, क्योंकि ऐसे असामाजिक तत्व अंदर आकर महिला डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की गोपनीयता को प्रभावित करते हैं. उन्होंने कहा कि अस्पताल में अधिक सुरक्षा व्यवस्था की जानी चाहिए और रात की पाली के दौरान कम से कम एक पुलिस कांस्टेबल की तैनाती होनी चाहिए.

गवर्नमेंट जनरल अस्पताल (जीजीएच), विजयवाड़ा  

टीम ने विजयवाड़ा के सरकारी जनरल अस्पताल का भी दौरा किया. रात 11:30 बजे जब टीम वहां पहुंची तो प्रवेश द्वार पर 7-8 सुरक्षा गार्ड तैनात थे, जो आने-जाने वाले लोगों की कड़ी जांच कर रहे थे. इस अस्पताल परिसर में एक मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल भी है, जो पीछे के ब्लॉक में स्थित है. प्रवेश करते ही कैजुअल्टी ब्लॉक और सामान्य वार्ड दिखाई देते हैं, जहां सुरक्षा के लिए दो महिलाओं सहित चार गार्ड तैनात थे. ये गार्ड सुनिश्चित कर रहे थे कि केवल जरूरी तीमारदार ही एक पॉइंट से आगे प्रवेश कर सकें. सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाने के लिए हर प्रवेश द्वार पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे.

रात के 12 बजे के करीब अस्पताल के अंदर काफी गतिविधियां चल रही थीं, क्योंकि कई कर्मचारी और परिचारक ऑन-कॉल थे और अपनी-अपनी ड्यूटी निभा रहे थे. जब रिपोर्टर ने सुरक्षा घेरे के पार जाने की कोशिश की, तो उन्हें गार्ड ने रोका और चेक किया. यह सुनिश्चित किया गया कि बिना उचित कारण के किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है. अस्पताल की सख्त सुरक्षा व्यवस्था से यह स्पष्ट हो गया कि मरीजों और स्टाफ की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है.

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तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज 
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के तिरुवनंतपुरम मेडिकल कॉलेज शहर का सबसे प्रमुख अस्पताल है. जब हमारी टीम ने रात 12:30 बजे अस्पताल का दौरा किया, तो यहां काफी भीड़ थी. आपातकालीन विभाग में लगातार एम्बुलेंस मरीजों को लेकर आ रही थीं. अस्पताल में प्रवेश से पहले हमें ओपी (आउट पेशेंट) टिकट लेने के लिए कहा गया और मरीजों के साथ बैठकर प्रतीक्षा करने को कहा गया. अस्पताल में फोन से शूटिंग की अनुमति नहीं थी और हमें बिना अनुमति के कहीं भी जाने की इजाजत नहीं दी गई. आपातकालीन क्षेत्र के बाहर सीसीटीवी, सुरक्षा गार्ड और दो पुलिस अधिकारी तैनात थे, जो गश्त कर रहे थे. अस्पताल के पास ही मेडिकल कॉलेज पुलिस स्टेशन भी स्थित है.

मल्लेश्वरम स्थित केसी जनरल अस्पताल
मल्लेश्वरम के केसी जनरल अस्पताल में सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं की गंभीर कमी उजागर हुई है. इमरजेंसी बिल्डिंग के अंदर के दृश्य बताते हैं कि वहां कोई सुरक्षा कर्मी तैनात नहीं हैं और इमारत के अंदरूनी हिस्सों में रोशनी की भी कमी है. स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स रूम, जहां डॉक्टर आराम करते हैं, उसकी भी स्थिति दयनीय है. कमरे के अंदर की स्थिति मानकों से काफी नीचे है, और पूरा फर्श खाली पड़ा हुआ है.

डॉक्टरों के आराम के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इस कमरे की हालत बेहद खराब है. इसके अलावा, डॉक्टर्स रूम के बाहर के गलियारे भी खाली और सुनसान दिखाई दिए, और वहां भी कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी. डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कोई उपाय नहीं किए गए हैं, जिससे उनकी सुरक्षा पर सवाल उठते हैं.

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