
कोलकाता में एक युवा महिला डॉक्टर के साथ हुए जघन्य बलात्कार और हत्या के मामले को लेकर देश में गुस्सा है और बड़ी संख्या में लोग सोशल मीडिया पर अपनी पीड़ा साझा कर रहे हैं. दुर्भाग्य से आर.जी. कर अस्पताल में हुई घटना पर ऑनलाइन आक्रोश का शरारती तत्व फायदा उठा रहे हैं. इसमें पीड़िता की फर्जी प्रोफ़ाइल बनाना और रेप के बारे में और अधिक फर्जी दावे फैलाना शामिल है. Google Trends डेटा से पता चलता है कि पिछले छह दिनों में 'कोलकाता डॉक्टर केस की पूरी कहानी' वाक्यांश को 20 लाख से अधिक बार खोजा गया. यूजर्स ने पीड़िता की फोटो और वीडियो को 2 लाख से अधिक बार खोजा.
इसका एक उदाहरण यह झूठा दावा है कि कोलकाता में एक छात्रा के साथ रेप किया गया, जब वह आरजी कर अस्पताल में एक विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के बाद लौट रही थी, जहां पिछले सप्ताह एक पुलिस के सहायक द्वारा डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई थी.
सोशल मीडिया के दावों में उसकी पहचान बर्दवान विश्वविद्यालय की अंकिता बाउरी के रूप में की गई. इसमें लिखा था, 'गुंडों ने उसके चेहरे को पत्थर से कुचल दिया ताकि कोई उसे पहचान न सके. उन्होंने उसका गला काट दिया! मीडिया अभी भी चुप है! क्या न्याय मांगने का यही नतीजा मिलता है? क्या हम इसी समाज में रह रहे हैं?'
पोस्ट सोशल मीडिया साइट्स पर तेजी से वायरल हो गई. इंस्टाग्राम पर इंडिया टुडे द्वारा देखे गए वायरल यूजर 'स्टोरीज' के अनुसार इसे कम से कम 680,000 यूजर्स ने शेयर किया. पुलिस द्वारा स्पष्टीकरण के बाद मूल पोस्ट को बाद में हटा दिया गया. इंस्टाग्राम के फीचर की वजह से पोस्ट को बिना जांचे शेयर करना आसान हो गया.
झूठे दावे को एक्स पर भी शेयर किया गया. जहां 378 यूजर्स की ओर से पोस्ट करीब 3,000 पोस्ट में यह शामिल था.
एक्स पर फर्जी दावा सबसे पहले 16 अगस्त को 'फ्लर्ट' (@Obnoxi0us) नाम के एक यूजर ने किया था. विश्लेषण से पता चला कि यह अकाउंट पिछले महीने @ti*sandcl**s नाम के एक अन्य अकाउंट के सस्पेंड के बाद बनाया गया था. अकाउंट द्वारा शेयर की गई एक पोस्ट में लिखा है, 'आज मैंने खुद पर कंट्रोल करके एक लड़की को बलात्कार से बचाया.'
गलत सूचना सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित नहीं थी. नोएडा स्थित हिंदी न्यूज पोर्टल 'न्यूजनाशा' और बागपत स्थित एनजीओ 'एआईएमए मीडिया' ने फर्जी दावे के आधार पर एक स्टोरी प्रकाशित की. पीड़िता के लास्ट मूवमेंट को दिखाने का दावा करने वाले कुछ फर्जी वीडियो भी ऑनलाइन प्रसारित हो रहे थे. इन फर्जी दावों को फैलाने वाले सोशल मीडिया यूजर्स बलात्कार मामले के कई पहलुओं से जुड़े बड़े हितों की बात करते हैं.
फर्जी दावों पर पुलिस की कार्रवाई
कोलकाता पुलिस ने सोशल मीडिया पर लोगों द्वारा किए गए भ्रामक दावों की जांच शुरू की है और 280 लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया है. दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने एक बयान में कहा कि उन्होंने पाकिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले कई यूजर्स को डॉक्टर के बलात्कार मामले के बारे में सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैलाते हुए पाया है.
कोलकाता पुलिस के सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि गलत सूचना फैलाने के कारण कई सोशल मीडिया अकाउंट हटा दिए गए हैं. इससे भी बुरी बात क्या है? कुछ लोग सोशल मीडिया पर अधिक फॉलोअर्स पाने के लिए लोगों के गुस्से का फायदा उठा रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में इंस्टाग्राम पर कोलकाता बलात्कार पीड़िता के नाम पर कई अकाउंट बनाए गए हैं.