
सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में पिछले साल हुई रेप और मर्डर की घटना के मामले में पीड़िता के परिवार की याचिका का निपटारा करते हुए उन्हें हाईकोर्ट में आगे की जांच के लिए याचिका दायर करने की छूट दी है.
मुख्य न्यायाधीश संजय खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्पष्ट किया कि यह आदेश केस की मेरिट पर टिप्पणी किए बिना दिया जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि हम इस आवेदन का निपटारा करते हैं और यह स्पष्ट करते हैं कि आवेदक हाईकोर्ट में अपनी याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र हैं.
सुनवाई के दौरान पीड़िता के परिवार की ओर से पेश हुए वकील ने दलील दी कि वे चाहते हैं कि हाईकोर्ट की एकल पीठ (सिंगल जज) जांच की निगरानी करे. जबकि CBI की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आवेदन में कुछ टिप्पणियां की गई हैं, जिन पर उन्होंने जानबूझकर प्रतिक्रिया नहीं दी, क्योंकि इससे आरोपियों को मदद मिल सकती है.
अदालत ने पाया कि जो आवेदन अदालत के समक्ष है, उसे पिछले आवेदन को वापस लेने के बाद नए सिरे से दायर किया गया है. पिछली बार सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित परिवार की ओर से पेश हुए वकील को इस मामले में जांच पर सवाल उठाने वाले उनके आवेदन पर बहस करते समय सावधानी बरतने की चेतावनी दी थी.
कोर्ट ने संकेत दिया था कि उन्हें इस तथ्य की जानकारी है कि याचिका सजा के आदेश से पहले दायर की गई थी, कोर्ट ने अपने पुराने सुझाव पर जोर देते हुए कहा कि परिवार नई याचिका दायर कर सकता है. हालांकि पीड़ित परिवार के वकील ने बताया कि उनकी चिंता ये है कि समय बीतता जा रहा है. इसके बाद कोर्ट ने उन्हें एक नया आवेदन दायर करने और इसे इस तरह से तैयार करने की सलाह दी थी कि इसका दुरुपयोग न हो.