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बचपन में गंवाए हाथ-पैर, फिर बने दिव्यांगों की आवाज... जानें कौन हैं पद्मश्री पाने वाले राजन्ना

केएस राजन्ना ने बचपन में पोलियो के कारण अपने हाथ और पैर खो दिए. उन्होंने घुटनों के बल चलना सीख लिया. उन्होंने अपनी शारीरिक सीमाओं को प्रेरणा बनाया और खुद को किसी से कम नहीं मानते हुए दिव्यांगजनों के लिए काम करने का फैसला किया.

दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता केएस राजन्ना को पद्म श्री से सम्मानित करतीं भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू. (Photo: X/@rashtrapatibhvn) दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता केएस राजन्ना को पद्म श्री से सम्मानित करतीं भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू. (Photo: X/@rashtrapatibhvn)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2024,
  • अपडेटेड 11:15 AM IST

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को राष्ट्रपति भवन में वर्ष 2024 के लिए नागरिकों को पद्म पुरस्कार प्रदान किए. समारोह के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और अन्य मौजूद रहे. इस दौरान दिव्यांगजनों के वेलफेयर के लिए काम करने वाले दिव्यांग सोशल एक्टिविस्ट केएस राजन्ना को पद्मश्री से अलंकृत किया. सम्मान प्राप्त करने के लिए अपना नाम पुकारे जाने पर राजन्ना अपनी कुर्सी से उठे और सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पहुंचे और हाथ पकड़कर उनका अभिवादन किया. प्रधानमंत्री मोदी भी कुछ सेकेंड तक राजन्ना के दिव्यांग हाथों को थामकर आह्लादित होते दिखे. 

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राजन्ना ​फिर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आसन की ओर बढ़े और  शीश नवाकर भारत के राष्ट्रपति को प्रणाम किया. इसके बाद राष्ट्रपति मुर्मू के हाथों सम्मान प्राप्त किया. पद्मश्री सम्मान पाने के बाद वह हॉल में मौजूद सभी लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे. इस दौरान एक सैनिक उनकी मदद के लिए आगे आया, लेकिन उन्होंने अपनी आत्मनिर्भरता की भावना का परिचय देते हुए मदद लेने से इनकार कर दिया. बता दें कि इस साल 26 जनवरी को घोषित पद्म पुरस्कार प्राप्त करने वालों की सूची में अपना नाम आने के बाद राजन्ना ने कहा था, 'यह पुरस्कार मेरे लिए चीनी खाने जितना मीठा है. लेकिन यह सिर्फ एक पुरस्कार बनकर नहीं रहना चाहिए बल्कि इससे मुझे अपने सामाजिक कार्यों में और मदद मिलेगी. हम सिर्फ सहानुभूति नहीं चाहते, बल्कि अपने अधिकारों का प्रयोग करने का अवसर भी चाहते हैं.'

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केएस राजन्ना ने बचपन में पोलियो के कारण अपने हाथ और पैर खो दिए. उन्होंने घुटनों के बल चलना सीख लिया. उन्होंने अपनी शारीरिक सीमाओं को प्रेरणा बनाया और खुद को किसी से कम नहीं मानते हुए दिव्यांगजनों के लिए काम करने का फैसला किया. समाज सेवा से जुड़ने के बाद उन्होंने लगातार काम किया और 2013 में कर्नाटक सरकार ने उन्हें दिव्यांगों के लिए राज्य आयुक्त बना दिया. कर्नाटक के बेंगलुरु के रहने वाले राजन्ना को तीन साल के लिए यह पद दिया गया था, लेकिन कार्यकाल खत्म होने से पहले ही उन्हें हटा दिया गया. कुछ समय बाद उन्हें फिर से पद दे दिया गया.

इस वर्ष 132 नागरिकों को विभिन्न क्षेत्रों में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्म पुरस्कारों से अलंकृत किया गया. अन्य प्रमुख पुरस्कार विजेताओं में वैजयंतीमाला बाली (पद्म विभूषण), कोनिडेला चिरंजीवी (पद्म विभूषण), पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (पद्म विभूषण), एम फातिमा बीवी (पद्म भूषण), होर्मुसजी एन कामा (पद्म भूषण), मिथुन चक्रवर्ती (पद्म भूषण), उषा उत्थुप (पद्म भूषण), कालूराम बामनिया (पद्म श्री) शामिल हैं. नागरिक अलंकरण समारोह के समापन के बाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने आवास पर पद्म पुरस्कार विजेताओं के लिए रात्रिभोज का आयोजन किया.

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