
कुन्नूर हेलिकॉप्टर क्रैश में एकमात्र जिंदा बचे एयरफोर्स अधिकारी ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह इस समय अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. ऐसे में सोशल मीडिया पर उनका अपने स्कूल को लिखा एक पत्र तेजी से वायरल हो रहा है.
वीरता पुरस्कार, शौर्य चक्र से सम्मानित और अब जीवन के लिए संघर्ष कर रहे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने अपने स्कूल में 'औसत दर्जे' के बच्चों और प्रिंसिपल के लिए एक प्रेरक पत्र लिखा था.
जिस आर्मी पब्लिक स्कूल चंडी मंदिर से ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने पढ़ाई की थी, उस स्कूल के प्रिंसिपल को 18 सितंबर, 2021 को लिखे एक पत्र में उन्होंने एक छात्र के रूप में अपने जीवन को दर्शाते हुए लिखा, 'औसत दर्जे का होना ठीक है. हर कोई स्कूल में उत्कृष्ट नहीं होगा और हर कोई 90 प्रतिशत स्कोर नहीं कर पाएगा. यदि आप ऐसा करते हैं, तो यह एक अद्भुत उपलब्धि है और इसकी सराहना की जानी चाहिए.'
उन्होंने आगे लिखा था, 'अगर ऐसा नहीं होता है तो यह मत सोचिए कि आप औसत दर्जे के हैं. 'आप स्कूल में औसत दर्जे के हो सकते हैं लेकिन यह जीवन में आने वाली चीजों का कोई पैमाना नहीं है. अपनी हॉबी ढूंढें, यह कला, संगीत, ग्राफिक डिज़ाइन, साहित्य इत्यादि हो सकता है. आप जो भी काम करते हैं, समर्पित रहें, अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें. यह सोचकर कभी बिस्तर पर मत जाओ कि मैं और प्रयास कर सकता था.'
वह लिखते हैं, 'कैसे एक युवा कैडेट के रूप में उनमें आत्मविश्वास की कमी थी. एक लड़ाकू स्क्वाड्रन में एक युवा फ्लाइट लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन के बाद मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं अपना दिमाग और दिल लगा दूं तो मैं अच्छा कर सकता हूं. मैंने उस सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए काम करना शुरू कर दिया, जो मैं केवल यह सुनिश्चित करने के विरोध में कर सकता था कि मैं 'पास' होने के लिए जरूरी मानक हासिल कर सकता हूं.'
पत्र में उन्होंने आगे लिखा है, 'राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में एक कैडेट के रूप में उन्होंने पढ़ाई या खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं किया. जब मैं एएफए पहुंचा तो मुझे एहसास हुआ कि विमानों के लिए मेरे जुनून ने मुझे अपने साथियों पर बढ़त दी है. फिर भी, मुझे अपनी वास्तविक क्षमताओं पर भरोसा नहीं था.'
उन्होंने पत्र में खुद को मिले शौर्य चक्र का श्रेय स्कूल को देते हुए लिखा था कि वह इस प्रतिष्ठित पुरस्कार का श्रेय स्कूल, एनडीए और उसके बाद वायु सेना में वर्षों से जुड़े सभी लोगों को देते हैं. 'मैं दृढ़ता से मानता हूं कि उस दिन मेरे कार्य मेरे शिक्षक प्रशिक्षकों और साथियों द्वारा संवारने और सलाह देने का परिणाम था.'
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