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18 दिन पहले ही गया था कुवैत, हादसे से मां बेखबर..., जॉब करने गए रांची के युवक की भी गई जान

कुवैत के मुंगाफ में छह मंजिला इमारत में लगी भीषण आग में मरने वाले पचास लोगों में 45 भारतीय भी हैं, जिनके शव भारत आ गए हैं. ये आग बुधवार तड़के चार बजे के आसपास लगी थी.

कुवैत अग्निकांड कुवैत अग्निकांड
सत्यजीत कुमार
  • रांची,
  • 14 जून 2024,
  • अपडेटेड 3:06 PM IST

कुवैत की छह मंजिला इमारत में लगी आग में 45 भारतीयों की मौत हुई है. इन भारतीयों के शव आज विशेष विमान से स्वदेश लाए गए हैं. बिल्डिंग में लगी भीषण आग में मरने वालों में रांची का एक शख्स अली हुसैन भी है. 

अली हुसैन के परिवार में इस समय मातम छाया हुआ है. उनके पिता का कहना है कि मौत उनके बेटे को खींचकर उनसे दूर ले गई. झारखंड के रांची के रहने वाले 24 साल के अली 18 दिन पहले ही कुवैत गए थे. अली के पिता मोहम्मद मुबारक हुसैन का कहना है कि ऐसा लगता है कि मौत ने उनके बेटे को छीन लिया है. 

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अली के परिवार में उसका एक भाई और बहन भी है. उसका भाई आदिल मक्का में रहता है. पिता का कहना है कि वो नहीं चाहते थे कि अली नौकरी करने किसी और मुल्क जाए. लेकिन अली की कुवैत जाकर नौकरी करने की जिद थी. 

मां को नहीं पता बेटे की मौत की खबर

अली के पिता का कहना है कि अभी ये खबर अली की मां को नहीं बताई गई है. पिता का कहना है कि अली बड़े अरमानों के साथ कुवैत गया था लेकिन 18 दिन बाद उसका शव लौटा है. 

अली के चाचा का कहना है कि उनका भतीजा हर रोज कॉल करता था. आखिरी बार दो दिन पहले ही परिवार की उससे बात हुई थी. जब हमें कुवैत की बिल्डिंग में आग की खबर मिली. 

अचानक कैसे लगी आग?

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कुवैत के मुंगाफ में छह मंजिला इमारत में लगी भीषण आग में मरने वाले पचास लोगों में 45 भारतीय भी हैं, जिनके शव भारत आ गए हैं. ये आग बुधवार तड़के चार बजे के आसपास लगी. छह मंजिला इस इमारत के किचन में आग लगी, जो पूरी बिल्डिंग में फैल गई. यहां रहने वाले अधिकतर मजदूर नाइट शिफ्ट करके लौटे थे और सो रहे थे. आग लगने की वजह से कई लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिला. तंग जगह होने की वजह से कई लोगों को भागने तक का मौका नहीं मिला. वहीं, कुछ लोगों ने जान बचाने के लिए अपनी-अपनी मंजिलों से छलांग भी लगाई.

मंगाफ में NBTC ग्रुप ने इस बिल्डिंग को किराए पर लिया था. कंपनी ने अपने यहां काम करने वाले मजदूरों का इस बिल्डिंग में रहने का इंतजाम किया था. इस बिल्डिंग में कुल 196 लोग रह रहे थे, जो कि क्षमता से बहुत अधिक था. कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इन मजदूरों को ठूंस-ठूंसकर इस बिल्डिंग में रहने को मजबूर किया जा रहा था.

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