
लद्दाख के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में भारतीय सेना ने 26 दिसंबर 2024 को पैंगोंग झील के किनारे छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया। 14,300 फीट की ऊंचाई पर स्थापित यह प्रतिमा न केवल मराठा योद्धा राजा को श्रद्धांजलि है, बल्कि यह भारत के सीमा-सुरक्षा के प्रति मजबूत इरादों का संदेश भी देती है.
प्रतिमा का अनावरण लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला, एससी, एसएम, वीएसएम, जीओसी फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स और मराठा लाइट इन्फेंट्री के कर्नल ने किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता, रणनीति और न्याय की परंपरा आधुनिक सैन्य अभियानों में भी प्रेरणा देती है.
यह भी पढ़ें: सेना का लद्दाख में पर्वत प्रहार अभ्यास, हाई-एल्टीट्यूड वाले ऑपरेशन पर केंद्रित किया ध्यान
यह प्रतिष्ठान ऐसे समय में हुआ है जब भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर महत्वपूर्ण विकास जारी है. पैंगोंग झील का इलाका, जो 2020-21 के भारत-चीन संघर्ष के दौरान एक महत्वपूर्ण स्थान था, 2021 में गलवान झड़प के बाद हुए समझौते के तहत शांत हुआ. झील के किनारे स्थापित यह प्रतिमा भारत की बढ़ती बुनियादी ढांचे और क्षेत्रीय प्रभुत्व का प्रतीक है.
एलएसी पर भारत की मजबूत तैयारी
यह अनावरण भारत और चीन के बीच हालिया बातचीत के बाद हुआ, जिसमें डेमचोक और देपसांग में सेना हटाने का समझौता हुआ है. यह तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन भारतीय सेना सतर्क बनी हुई है और लद्दाख में अपने बुनियादी ढांचे को लगातार मजबूत कर रही है.
पैंगोंग झील का इलाका, जो सीमा के पास स्थित है, रणनीतिक रूप से बेहद अहम है. भारतीय सेना ने यहां अपने ठिकानों को मजबूत किया है, जिसमें फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स की भूमिका महत्वपूर्ण रही है.
शिवाजी महाराज की विरासत का संदेश
छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत उनकी अद्वितीय रणनीतियों और साहस में निहित है. पैंगोंग झील पर उनकी प्रतिमा न केवल सैनिकों का मनोबल बढ़ाती है, बल्कि यह भारत की ऐतिहासिक और वर्तमान सैन्य शक्ति का प्रतीक भी है. यह प्रतिमा एक स्पष्ट संदेश देती है कि भारत की संप्रभुता और सुरक्षा अडिग और अटल है.
सेना की परंपरा में नया अध्याय
दिलचस्प बात यह है कि भारतीय सेना प्रमुख के लाउंज में अब पैंगोंग झील की तस्वीर को जगह दी गई है, जिसने 1971 के ऐतिहासिक बांग्लादेश समर्पण तस्वीर को प्रतिस्थापित किया है. यह कदम सेना के आधुनिक उत्तर सीमा की प्राथमिकताओं को दर्शाता है.
यह भी पढ़ें: चीन में अजीत डोभाल, लद्दाख बॉर्डर पर समझौते के बाद आगे बढ़ेगी बात, जानें- दौरे के बीच क्या आया बयान
फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स ने एक ट्वीट में इस अनावरण का जश्न मनाते हुए लिखा, "14,300 फीट की ऊंचाई पर पैंगोंग झील पर स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की भव्य प्रतिमा साहस और दृढ़ता का प्रतीक है. एक ऐसी विरासत को सम्मानित करते हुए जो हर दिन हमारे सैनिकों को प्रेरित करती है. जय भवानी! जय शिवाजी."
लद्दाख में बुनियादी ढांचे का विकास
लद्दाख में भारत के बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान सड़कों, पुलों और लॉजिस्टिक नेटवर्क के रूप में स्पष्ट दिखता है. शिवाजी महाराज की यह प्रतिमा इस प्रगति का प्रतीक है, जो सांस्कृतिक गौरव और रणनीतिक प्राथमिकताओं को जोड़ती है. यह अनावरण लद्दाख के आधुनिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो एक महान शासक की अमर भावना को सीमा की सुरक्षा के लिए देश की दृढ़ता के साथ जोड़ता है.