Advertisement

रक्षा मंत्री से मिले लद्दाख के नेता, बॉर्डर पर मौजूद चारागाह से प्रतिबंध हटाने की मांग

लद्दाख के घुमंतू समुदाय ने रक्षा मंत्री से कहा, "भारतीय सीमा के अंदर के हम घुमंतू समुदाय घोषणा करते हैं कि हम बिना वर्दी के सैनिक हैं, जानवरों को चारागाह ले जाने के मुद्दे पर सेना को हम पर यकीन करनी चाहिए. इसलिए हम सरकार से अपील करते हैं कि हमें अपने जानवरों को पारंपरिक चारागाह तक ले जाने की अनुमति दी जाए."

रक्षा मंत्री से लद्दाख के नेताओं ने की मुलाकात (फोटो-इंडिया टुडे) रक्षा मंत्री से लद्दाख के नेताओं ने की मुलाकात (फोटो-इंडिया टुडे)
अभिषेक भल्ला
  • नई दिल्ली,
  • 06 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 11:55 PM IST
  • लद्दाख में चीन कर रहा है चरवाहों का इस्तेमाल
  • भारतीय चरवाहों के सामने जीविका का संकट
  • सरकार से चारागाहों से प्रतिबंध हटाने की मांग

लद्दाख हिल डेवलपमेंट काउंसिल ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को लद्दाख में चीन की साजिशों के बारे में जानकारी दी है. लद्दाख हिल डेवलपमेंट काउंसिल ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर कहा है कि घुमंतू समुदाय के सहारे चीन भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश करता रहता है. जबकि भारतीय सीमा में चरवाहों को सिर्फ चारागाह तक ही जाने की इजाजत है. लद्दाख हिल डेवलपमेंट काउंसिल के प्रतिनिधियों ने कहा है कि प्रतिबंधों की वजह से उन्हें काफी परेशानी हो रही है. 

Advertisement

5 जनवरी को तीन सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल रक्षा मंत्री से मिला और मांग की कि स्थानीय लोगों की आवाजाही पर रोक न लगाई जाए. घुमंतू समुदाय ने रक्षा मंत्री से कहा, "भारतीय सीमा के अंदर के हम घुमंतू समुदाय घोषणा करते हैं कि हम बिना वर्दी के सैनिक हैं, जानवरों को चारागाह ले जाने के मुद्दे पर सेना को हम पर यकीन करनी चाहिए. इसलिए हम सरकार से अपील करते हैं कि हमें अपने जानवरों को पारंपरिक चारागाह तक ले जाने की अनुमति दी जाए."

लद्दाख में जानवरों के पालन पोषण कर अपनी जीविका चलाने वाले इन घुमंतू समुदाय का कहना है कि पारंपरिक चारागाहों पर प्रतिबंध लगाने से जानवरों के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है. इससे हमारी आय भी कम हो गई है."

देखें: आजतक LIVE TV

Advertisement

बता दें कि लद्दाख के लुकुंग, यूरगो, फोबरांग जैसे इलाके पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे से मिलते हैं, इसी सीमा में फिंगर लेक का भी इलाका है जहां भारत और चीन की सेना आमने-सामने है.

चुसुल के पार्षद कोंचक स्टैंजिन ने कहा कहा कि यहां के चरवाहे याक के ऊन से दुनिया सर्वेश्रेष्ठ पाश्मीना शॉल बनाते हैं और अपना जीवन यापन करते हैं. जबकि चीन की तरफ घुमंतू सीमा पर घुसपैठ करने की कोशिश में रहते हैं. 

दिसंबर में पार्षद कोंचक स्टैंजिन ने अपने ट्वटिर अकाउंट में कुछ तस्वीरें भी डाली थी और कहा था कि चीन ने अपने तरफ के घुमंतू समुदाय के लिए डेमचोक में घर बना दिया है. बता दें कि डेमचोक में भी भारत और चीन के बीच तनाव है. 

इस प्रतिनिधिमंडिल ने सीमावर्ती इलाकों में मोबाइल टावर कनेक्टिविटी, बिजली जैसी दूसरी सुविधाओं की भी मांग की है. इनका कहना है कि सीमावर्ती इलाकों में निवेश न सिर्फ विकास में निवेश है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा में निवेश है. 

 


 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement