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लद्दाख: 371, 6th Schedule... जानिए सोनम वांगचुक की डिमांड्स क्या है जिसके लिए 13 दिन से अनशन पर हैं?

लद्दाख के सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक 21 दिनों के आमरण अनशन पर हैं. अनशन के 13वें दिन उनके समर्थन में सैकड़ों लोग भी भूखे रहे और रात को भूखे सोए. उन्होंने स्पष्ट किया कि आखिर उनकी मांग क्या है और इसका मकसद लोगों को लद्दाख में प्रवेश से रोकना नहीं है.

सोनम वांगचुक सोनम वांगचुक
aajtak.in
  • लद्दाख,
  • 19 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 3:00 PM IST

लद्दाख के मशहूर क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक के आमरण अंशन को 13 दिन बीत चुके हैं. उनके साथ 1500 लोग सोमवार को एक दिवसीय भूख हड़ताल पर थे. उन्होंने एक वीडियो शेयर किया और बताया कि कैसे 250 लोग उनके समर्थन में रात को भूखे सोए. वांगचुक लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, जो प्रदेश के स्थानीय लोगों को आदिवासी इलाके में एडमिनिस्ट्रेशन का अधिकार देगा.

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सोनम वांगचुक ने कहा, "जब विविधता में एकता की बात आती है तो छठी अनुसूची भारत की उदारता का प्रमाण है. यह महान राष्ट्र न सिर्फ विविधता को सहन करता है बल्कि उसे प्रोत्साहित भी करता है." उन्होंने 6 मार्च को '#SAVELADAKH, #SAVEHIMALAYAS' के अभियान के साथ 21 दिनों का आमरण अंशन शुरू किया था. उन्होंने कहा था कि यह अंशन जरूरत पड़ने पर आगे भी बढ़ाया जा सकता है.

यह भी पढ़ें: लद्दाख की जनता क्यों है नाराज? सोनम वांगचुक भूख हड़ताल पर... अनुच्छेद 371 की हो रही चर्चा

सोनम वांगचुक ने क्या कहा?

सोनम वांग्चुक ने वीडियो जारी कर सोशल मीडिया पर चल रहे भ्रम को दूर करने की कोशिश की है. उन्होंने बताया कि छठी अनुसूची का मकसद सिर्फ बाहरी लोगों को ही रोकना नहीं है, बल्कि पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील इलाके या संस्कृतियां-जनजातियां सभी को स्थानीय लोगों से भी बचाने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि इसके लागू होने के बाद से स्थानीय लोगों से भी इन्हें बचाया जा सकेगा.

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मशहूर सोशल एक्टिविस्ट ने विस्तार से बताया कि आखिर उनके आमरण अनशन की क्या वजह है. उन्होंने कहा कि जहां तक उद्योग की बात है तो जो इलाके संवेदनशील नहीं हैं, उन्हें इकोनॉमिक जोन बनाया जा सकता है, ताकि उद्योग लगे, देश-दुनिया से निवेश हो. इसमें लद्दाख के लोगों को कोई मसला नहीं है.

क्या है छठी अनुसूची ?

सोनम वांगचुक और स्थानीय लोग लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. धारा 370 खत्म किए जाने के बाद लद्दाख एक केंद्रशासित प्रदेश बन गया है, और जम्मू कश्मीर में विधानसभा की तरह यहां कोई स्थानीय काउंसिल नहीं है. छठी अनुसूची में शामिल किए जाने के बाद लद्दाख के लोग स्वायत्त जिला और क्षेत्रीय परिषदें बना सकेंगे, जिसमें शामिल लोग स्थानीय स्तर पर काम करेंगे. इनके अलावा उनकी केंद्रीय स्तर पर लोकसभा में दो सीट और राज्यसभा में भी प्रतिनिधित्व की मांग है. असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम छठी अनुसूची में पहले से शामिल हैं, जो आदिवासी समुदाय को विशेष सुरक्षा प्रदान करता है.

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केंद्र सरकार ने क्या कहा?

केंद्र सरकार ने हालांकि, धारा 371 के तहत लद्दाख के लिए स्पेशल स्टेटस देने की पेशकश की है. यह जम्मू कश्मीर में दशकों तक लागू रहे 370 जैसा नहीं है. धारा 371 देश के कुछ उत्तर पूर्वी राज्यों में भी लागू हैं. यह पूरे राज्य में लागू नहीं किया जाता है, बल्कि जिला स्तर और क्षेत्रीय स्तर पर लागू किया जाता है, जिससे वहां के पर्यावरण या फिर जनजातीय या संस्कृतियों को संरक्षण दिया जा सके. मसलन, इससे संरक्षित इलाके में बाहरी लोगों का कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता.

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