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लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल की SC में याचिका, लोकसभा सदस्यता बहाल करने की मांग

एनसीपी नेता मोहम्मद फैजल ने कहा कि- सत्र न्यायालय के सजा सुनाने के बाद जितनी तेजी मेरी सदस्यता रद्द करने पर दिखाई गई थी, उतनी तेजी केरल हाईकोर्ट से मामले पर रोक लगाने के बाद सांसदी बहाल करने पर नहीं दिखाई जा रही है.

मोहम्मद फैजल (फाइल  फोटो) मोहम्मद फैजल (फाइल फोटो)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 26 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 7:28 AM IST

लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल ने SC में याचिका दाखिल की. उन्होंने अपनी लोकसभा सदस्यता बहाल करने की मांग की  है. दरअसल, फैजल को हत्या के प्रयास केस में इसी साल 11 जनवरी को 10 साल की सजा मिली थी. इसलिए उनको दो दिन बाद ही 13 जनवरी को लोकसभा सचिवालय ने स्पीकर के आदेश का हवाला देते हुए अयोग्य करार दे दिया.

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इसके पांच दिन बाद ही 18 जनवरी को निर्वाचन आयोग ने लक्षद्वीप सीट पर उपचुनाव के कार्यक्रम का ऐलान भी कर दिया था. लेकिन उसके सात दिन बाद ही 25 जनवरी को केरल हाईकोर्ट ने फैजल पर दोष सिद्धि पर रोक लगा दी. लेकिन लोकसभा सचिवालय ने फैजल के अयोग्यता का आदेश वापस नहीं लिया है.

अयोग्य ठहराए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट से राहत पाए एनसीपी नेता मोहम्मद फैजल ने कहा कि उनकी पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार और सांसद सुप्रिया सुले के साथ मैंने खुद लोकसभा सचिवालय को कोर्ट आदेश और निर्वाचन आयोग के हलफनामे की सूचना दी है. उनके हवाले से मैंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जी से मुलाकात कर अपनी संसद सदस्यता खत्म किए जाने के फैसले को रद्द करने की मांग भी की है.

सत्र न्यायालय के सजा सुनाने के बाद जितनी तेजी मेरी सदस्यता रद्द करने पर दिखाई गई थी, उतनी तेजी केरल हाईकोर्ट से मामले पर रोक लगाने के बाद सांसदी बहाल करने पर नहीं दिखाई जा रही है.
 
उन्होंने कहा कि लोकसभा सचिवालय का फैसला मनमाना है. इससे मेरे संवैधानिक अधिकारों का हनन और कोर्ट के आदेश की अवमानना हो रही है. क्योंकि कोर्ट ऑर्डर के हवाले से बिजली की तेजी से मुझे अयोग्य ठहराते हुए लोकसभा अध्यक्ष और सचिवालय ने मेरी सदस्यता तो रद्द कर दी. लेकिन हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद उसे बहाल करने में सुस्ती दिखाई जा रही है. उसका कोई कारण भी नहीं बताया जा रहा है. मेरी चिंता एक जनप्रतिनिधि यानी सांसद के कर्तव्य को लेकर है जिसे लोकसभा सत्र ने भी नहीं निभाने दिया गया. इसी ऊहापोह में लोकसभा स्पीकर और सचिवालय ने दो महीने निकाल दिए हैं. लिहाजा मुझे सुप्रीम कोर्ट की शरण में आना पड़ा है. उम्मीद है कि सोमवार से शुरू होने वाले हफ्ते में इस पर सुनवाई हो.

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