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सुप्रीम कोर्ट और न्याय सिस्टम पर टिप्पणी, ललित मोदी ने बिना शर्त मांगी माफी

सुप्रीम कोर्ट ने 13 अप्रैल गुरुवार को ललित मोदी की सोशल मीडिया पोस्ट में न्यायपालिका के खिलाफ की गई उनकी टिप्पणी पर मोदी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और राष्ट्रीय समाचार पत्रों में बिना शर्त माफी मांगने का निर्देश दिया था. ललित मोदी ने 18 अप्रैल को लिखा कि मैं अपनी 13 जनवरी और 30 मार्च 2023 की सोशल मीडिया पोस्ट के लिए बिना शर्त सार्वजनिक माफी मांगता हूं.

ललित मोदी-फाइल फोटो ललित मोदी-फाइल फोटो
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 11:26 PM IST

इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी ने न्यायपालिका और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर माफी मांगी है. मंगलवार (18 अप्रैल) को अपने ट्वीट में उन्होंने माफी का जिक्र किया. सुप्रीम कोर्ट ने 13 अप्रैल को ललित मोदी की सोशल मीडिया पोस्ट में न्यायपालिका के खिलाफ की गई टिप्पणी पर खिंचाई करते हुए उन्हें बिना शर्त माफी मांगने का निर्देश दिया था.

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ललित मोदी ने 18 अप्रैल को लिखा कि मैं अपनी 13 जनवरी और 30 मार्च 2023 की सोशल मीडिया पोस्ट के लिए बिना शर्त सार्वजनिक माफी मांगता हूं. मेरे मन में भारतीय न्याय सिस्टम और कोर्ट के लिए पूरा सम्मान है. मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जो माननीय कोर्ट या भारतीय न्यायपालिका की महिमा या गरिमा के साथ किसी भी तरह से असंगत हो. उन्होंने ट्वीट में लिखा कि भारतीय न्यायपालिका की छवि या सार्वजनिक प्रतिष्ठा को कम करने का मेरा कोई इरादा नहीं है, और न ही था. मैं कोर्ट और  न्यायपालिका का सम्मान करता हूं.


सुप्रीम कोर्ट ने बिना शर्त माफी का दिया था निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने 13 अप्रैल गुरुवार को ललित मोदी की सोशल मीडिया पोस्ट में न्यायपालिका के खिलाफ की गई उनकी टिप्पणी पर मोदी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और राष्ट्रीय समाचार पत्रों में बिना शर्त माफी मांगने का निर्देश दिया था. अदालत ने 24 अप्रैल को अगली अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई से पहले प्रमुख समाचार पत्रों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों में माफी को प्रकाशित करने के उनके सुझाव पर सहमति व्यक्त की.

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जस्टिस एमआर शाह और सीटी रविकुमार की पीठ ने 13 जनवरी के इंस्टाग्राम पोस्ट के लिए मोदी द्वारा दायर एक हलफनामे को देखने के बाद कहा, 'हम स्पष्टीकरण से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं.' 

भारत के अटॉर्नी जनरल की अनुमति के बाद बार के एक वरिष्ठ सदस्य चंदर उदय सिंह द्वारा उनके खिलाफ अवमानना ​​याचिका दायर करने के बाद अदालत ने 3 मार्च को उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी. कोर्ट ने टिप्पणी की कि अवमानना करने वाले को यह नहीं सोचना चाहिए कि वह कानून से ऊपर है. 3 मार्च को सुनवाई की अंतिम तिथि के बाद से मोदी ने 30 मार्च को एक और ट्वीट पोस्ट किया था जिससे न्यायपालिका की प्रतिष्ठा धूमिल किया था.
 

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